एजेंसी, हांगकांग।
Published by: देव कश्यप
Updated Sun, 19 Dec 2021 02:03 AM IST
सार
1997 में हांगकांग को ब्रिटेन से चीनी शासन को सौंपते वक्त बीजिंग ने 50 वर्षों तक पश्चिमी शैली की स्वतंत्रता कायम रखने का वादा किया गया था। इस बीच, लोकतंत्र की बढ़ती मांगों ने 2014 और 2019 में विरोध आंदोलनों को हवा दी। लेकिन उन्हें बड़े पैमाने पर नजरअंदाज कर बाद में कुचल दिया गया।
हांगकांग और चीन (सांकेतिक तस्वीर)
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विस्तार
1997 में हांगकांग को ब्रिटेन से चीनी शासन को सौंपते वक्त बीजिंग ने 50 वर्षों तक पश्चिमी शैली की स्वतंत्रता कायम रखने का वादा किया गया था। इस बीच, लोकतंत्र की बढ़ती मांगों ने 2014 और 2019 में विरोध आंदोलनों को हवा दी। लेकिन उन्हें बड़े पैमाने पर नजरअंदाज कर बाद में कुचल दिया गया। अब रविवार को हांगकांग में 90 सीटों के लिए सातवीं विधान परिषद के चुनाव होने जा रहे हैं।
लेकिन अब यहां चीनी जोर-जबरदस्ती से बहुत कुछ बदला जा चुका है। चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने 30 जून 2020 को यहां लोकतांत्रिक समर्थकों की गतिविधियों को अलगाववादी मानते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पास कर दिया। साथ ही 11 मार्च 2021 को चीनी संसद ने हांगकांग का चुनाव कानून बदलते हुए बीजिंग समर्थक समिति के अधिकार सीधे चुने गए लोगों के अनुपात में बढ़ा दिए। इसमें लोकतंत्र समर्थक दरकिनार हुए हैं।
2014 के ‘अंब्रेला आंदोलन’ में 1000 गिरफ्तारियां
व्यापार जिले के लिए ‘ऑक्यूपाई सेंट्रल’ के रूप में भी जाना जाता है, जहां लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी एकत्र हुए थे। इस आंदोलन का नाम पुलिस के मिर्च छिड़काव से बचने के लिए कार्यकर्ताओं द्वारा छतरी के प्रयोग को लेकर पड़ा था। करीब 1,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जो चीन के इस क्षेत्र पर अधिकार करने के बाद से शहर के सबसे अशांत समय को चिंहित करता है।
2019 प्रत्यर्पण कानून विरोध
फरवरी 2019 में, सरकार ने एक प्रत्यर्पण विधेयक पेश किया, जिसमें आपराधिक संदिग्ध चीन को सौंपे जाने का प्रावधान था। विरोधियों ने कहा कि यह नागरिकों को राजनीतिक आरोपों पर मुख्य भूमि पर प्रत्यर्पित किए जाने का खतरा बढ़ेगा, साथ ही उन्हें यातना और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ सकता है। सड़कों पर संघर्ष के बाद इसे वापस लेने की घोषणा की गई लेकिन इसे लंबे समय तक वापस नहीं लिया गया।
