अमर उजाला रिसर्च टीम, लंदन।
Published by: योगेश साहू
Updated Tue, 02 Nov 2021 06:57 AM IST
सार
सेंटर फॉर बायोडायवर्सिटी एंड एनवॉयरमेंट रिसर्च के वैज्ञानिक डॉ. एलेसांद्रो सिनी का कहना है कि मधुमक्खियां अपनी इस तरकीब से अपने बीच बीमारी को फैलने से रोकने का प्रयास करती हैं।
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विस्तार
यूसीएल के विज्ञानियों का कहना है कि मधुमक्खियों के छत्ते पर जब कोई परजीवी हमला होता है तो मधुमक्ख्यिां छत्ते में आपसी दूरी बनाकर एक-दूसरे का जीवन सुरक्षित करने की कोशिश करती हैं। खास बात ये है कि इस दौरान युवा और बुजुर्ग मधुमक्ख्यिों के बीच भी दूरी बनाई जाती है जिससे जान का जोखिम कम हो सके।
सेंटर फॉर बायोडायवर्सिटी एंड एनवॉयरमेंट रिसर्च के वैज्ञानिक डॉ. एलेसांद्रो सिनी का कहना है कि मधुमक्खियां अपनी इस तरकीब से अपने बीच बीमारी को फैलने से रोकने का प्रयास करती हैं। बहुत हद तक वे इसमें सफल भी होती हैं। ऐसे में इंसानों को कोरोना महामारी के दौर में मधुमक्ख्यिों से सबक लेना होगा।
मधुमक्खियां सामाजिक जीव
वैज्ञानिकों का कहना है कि मधुमक्खियां सामाजिक जीव होती हैं। इनका झुंड एक साथ जीता है। संयुक्त रूप से खाद्य पदार्थों की व्यवस्था करता है लेकिन जब इनके सामाजिक लगाव के कारण छत्ते में संक्रमण का खतरा बढ़ता है तो ये एक-दूसरे से दूरी बनाने का फैसला करती हैं जिससे जीवन के खतरे को कम किया जा सके। इससे मौत का खतरा भी कम होता है।
उद्देश्य : छत्ते में बीमारी फैलने से रोकना
वैज्ञानिकों का कहना है कि मधुमक्ख्यिों का मुख्य उद्देश्य छत्ते में बीमारी को फैलने से रोकना होता है। मधुमक्ख्यिों के छत्ते के दो प्रमुख हिस्से होते हैं। छत्ते के बाहरी हिस्से में बाहर घूमने वाली मधुमक्खियां होती हैं जो खाद्य पदार्थ या फूलों का रस लाने का काम करती हैं। दूसरे हिस्से में रहने वाली मधुमक्खियों को क्वीन कहते हैं जो छत्ते की सुरक्षा संभालती हैं।
क्वीन मधुमक्खियों का काम
वैज्ञानिकों का कहना है कि क्वीन मधुमक्खियां छत्ते की छोटी और नवजात मधुमक्खियों को हर तरह के हमले से बचाने का काम करती हैं। छत्ते पर जब कोई परजीवी हमला करता है तो इन मधुमक्ख्यिों का सबसे पहला काम नवजात मधुमक्खियों को सुरक्षित करना होता है। इसी कारण देखने में आता है कि कभी घना दिखने वाला छत्ता एक समय बाद खाली सा हो जाता है या कम मधुमक्खियां रह जाती हैं।