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शोध: फाइजर और बायोएनटेक वैक्सीन का बूस्टर डोज काफी प्रभावी, लेने के बाद कोरोना का खतरा कम

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 22 Oct 2021 12:03 AM IST

सार

अगर किसी को कोरोना की दोनों डोज लगी हैं, अगर वह बूस्टर डोज ले लेता है तो उसे संक्रमण होने की दर कम है। बूस्टर डोज को कोरोना के सबसे खतरनाक वैरिएंट डेल्टा पर भी काफी प्रभावी पाया गया है।

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दुनियाभर में कोरोना खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है, रोज सैकड़ों मौंतें एक दिन में दर्ज की जा रही हैं। संक्रमण को रोकने का एकमात्र तरीका है वैक्सीन, जिन्होंने वैक्सीन के पूरे डोज ले लिए हैं उनको बूस्टर डोज देने की बात चल रही है। वहीं कोरोना के बूस्टर डोज को लेकर जर्मन पार्टनर कंपनी बायोएनटेक एसई और फाइजर इंक ने एक शोध किया है।

इस शोध के मुताबिक पता चला है कि अगर किसी को कोरोना की दोनों डोज लगी हैं, अगर वह बूस्टर डोज ले लेता है तो उसे संक्रमण होने की दर कम है। बूस्टर डोज को कोरोना के सबसे खतरनाक वैरिएंट डेल्टा पर भी काफी प्रभावी पाया गया है।

दवा निर्माता कंपनियों ने बताया कि शोध में शामिल छह साल या उससे अधिक उम्र के 10,000 प्रतिभागियों में इसका परीक्षण किया गया था और कोरोना से जुड़ी बीमारियों के खिलाफ यह बूस्टर डोज 95.6 फीसदी प्रभावशाली देखा गया। इन प्रतिभागियों में डेल्टा वैरिएंट के लक्षण वाले व्यक्ति भी शामिल थे। अध्ययन के मुताबिक बूस्टर डोज लोगों की सुरक्षा को लेकर काफी अनुकूल है।

दवा निर्माताओं ने शोध के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अध्ययन में दूसरी डोज और बूस्टर डोज में लगभग 11 महीने का समय था। ज्यादातर प्रतिभागियों की उम्र 53 वर्ष थी और 55.5 फीसदी प्रतिभागी 16 से 55 साल के बीच के थे। 65 साल से ऊपर के प्रतिभागी 23.3 फीसदी थे।

मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन के बूस्टर को एफडीए ने दी मंजूरी
टीकाकरण के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को एक और बड़ी सफलता मिली है। दरअसल, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने बुधवार को मॉडर्ना इंक(Moderna) और जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson and johnson) कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज को मान्यता दे दी। एफडीए के अनुसार इस बूस्टर डोज को तीसरी खुराक के रूप में लेना होगा। इसके अलावा एफडीए ने  मिक्स-एंड-मैच बूस्टर डोज को भी मंजूरी दे दी है। यह बूस्टर डोज किसी भी टीके की पहली खुराक के बाद दी जा सकेगी।

विस्तार

दुनियाभर में कोरोना खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है, रोज सैकड़ों मौंतें एक दिन में दर्ज की जा रही हैं। संक्रमण को रोकने का एकमात्र तरीका है वैक्सीन, जिन्होंने वैक्सीन के पूरे डोज ले लिए हैं उनको बूस्टर डोज देने की बात चल रही है। वहीं कोरोना के बूस्टर डोज को लेकर जर्मन पार्टनर कंपनी बायोएनटेक एसई और फाइजर इंक ने एक शोध किया है।

इस शोध के मुताबिक पता चला है कि अगर किसी को कोरोना की दोनों डोज लगी हैं, अगर वह बूस्टर डोज ले लेता है तो उसे संक्रमण होने की दर कम है। बूस्टर डोज को कोरोना के सबसे खतरनाक वैरिएंट डेल्टा पर भी काफी प्रभावी पाया गया है।

दवा निर्माता कंपनियों ने बताया कि शोध में शामिल छह साल या उससे अधिक उम्र के 10,000 प्रतिभागियों में इसका परीक्षण किया गया था और कोरोना से जुड़ी बीमारियों के खिलाफ यह बूस्टर डोज 95.6 फीसदी प्रभावशाली देखा गया। इन प्रतिभागियों में डेल्टा वैरिएंट के लक्षण वाले व्यक्ति भी शामिल थे। अध्ययन के मुताबिक बूस्टर डोज लोगों की सुरक्षा को लेकर काफी अनुकूल है।

दवा निर्माताओं ने शोध के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अध्ययन में दूसरी डोज और बूस्टर डोज में लगभग 11 महीने का समय था। ज्यादातर प्रतिभागियों की उम्र 53 वर्ष थी और 55.5 फीसदी प्रतिभागी 16 से 55 साल के बीच के थे। 65 साल से ऊपर के प्रतिभागी 23.3 फीसदी थे।

मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन के बूस्टर को एफडीए ने दी मंजूरी

टीकाकरण के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को एक और बड़ी सफलता मिली है। दरअसल, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने बुधवार को मॉडर्ना इंक(Moderna) और जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson and johnson) कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज को मान्यता दे दी। एफडीए के अनुसार इस बूस्टर डोज को तीसरी खुराक के रूप में लेना होगा। इसके अलावा एफडीए ने  मिक्स-एंड-मैच बूस्टर डोज को भी मंजूरी दे दी है। यह बूस्टर डोज किसी भी टीके की पहली खुराक के बाद दी जा सकेगी।

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