बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: डिंपल अलावाधी
Updated Mon, 09 Aug 2021 04:51 PM IST
सार
वोडाफोन-आइडिया पर कुल 1.80 लाख करोड़ का बकाया है। ब्रिटिश फर्म वोडाफोन समूह के सीईओ ने 23 जुलाई को ही स्पष्ट कर दिया था कि अब वे वोडा आइडिया में एक भी रुपये का निवेश नहीं करेंगे।
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विस्तार
कंपनी दिवालिया हुई, तो एसबीआई सहित तीन बैंकों पर ज्यादा असर
वोडा आइडिया के पास निवेश जुटाने की गुंजाइश बेहद कम है और दिवालिया होने की स्थिति में बैंकों का 28,700 करोड़ कर्ज चुकाना मुश्किल होगा। सबसे ज्यादा असर एसबीआई पर होगा, जिसने कंपनी को 11 हजार करोड़ का कर्ज दिया है।
इसके अलावा यस बैंक ने 4 हजार करोड़ और इंडसइंड बैंक ने 3,500 करोड़ के कर्ज दिए हैं। अगर लोन बुक के लिहाज से देखा जाए, तो आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के कुल कर्ज में वोडा आइडिया का हिस्सा 2.9 फीसदी है। इसके बाद यस बैंक के लोन बुक में हिस्सेदारी 2.4 फीसदी और इंडसइंड बैंक में 1.65 फीसदी है।
दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को एजीआर के भुगतान के लिए 10 साल का वक्त
भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के एक समूह ने दूरसंचार विभाग को बताया है कि दूरसंचार कंपनी के कर्ज को इक्विटी में बदलने से कंपनी को संकट से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है। उल्लेखनीय है कि शीर्ष न्यायालय ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को 93,520 करोड़ रुपये के एजीआर बकाया राशि का भुगतान करने के लिए 10 साल का वक्त दिया है।
निवेश के लिए तरस रही वीआईएल
ब्रिटिश फर्म वोडाफोन समूह के सीईओ निक रीड ने 23 जुलाई को ही स्पष्ट कर दिया था कि अब वे भारतीय ज्वाइंट वेंचर (वोडा आइडिया) में एक भी रुपये का निवेश नहीं करेंगे। हाल ही में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला ने कर्ज के दलदल में फंसी वोडाफोन आइडिया के गैर कार्यकारी निदेशक व गैर कार्यकारी चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया। कंपनी के निदेशक मंडल ने उनका आग्रह मंजूर करते हुए इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
