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टोक्यो ओलंपिक: आगाज और अंजाम दोनों रहे अच्छे, चानू ने रजत से खोला खाता तो नीरज ने कराई स्वर्णिम विदाई

मीराबाई चानू और नीरज चोपड़ा
– फोटो : amar ujala

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रंगारंग कार्यक्रम के साथ टोक्यो में 32वें ओलंपिक खेलों का समापन हो गया। भारत के लिए ये खेल ऐतिहासिक रहे। भारत ने सात (एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य) पदक जीते जो किसी एक संस्करण में भारत का श्रेष्ठ प्रदर्शन है। पहले ही दिन भारोत्तोलक मीराबाई चानू के रजत से पदक तालिका में आने के बाद भारत शीर्ष पचास (48वां स्थान) में रहा। 

भारत ने सात पदक जीते जिनमें भालाफेंक एथलीट नीरज चोपड़ा, मुक्केबाज लवलीना, पहलवान रवि दहिया, बजरंग का यह पहला ओलंपिक रहा। हॉकी टीम में कप्तान मनप्रीत और श्रीजेश को छोड़ दें तो ज्यादातर खिलाड़ी पहली बार खेल महाकुंभ में उतरे।  

यूं तो पूरी दुनिया में कोेविड-19 के कारण ओलंपिक की तैयारियां प्रभावित रहीं लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से दिखा दिया कि महामारी की चुनौती के बीच भी उनमें खेलों के सबसे बड़े मंच पर बेहतर करने का जज्बा है। कोरोना के कारण ही यह खेल एक साल के लिए स्थगित हुए थे।   

पहली बार किया यह कमाल 

  • भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने 121 साल के ओलंपिक इतिहास में ट्रैक एंड फील्ड में पहला स्वर्ण पदक दिलाया। 
  • बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में दो पदक जीतने वालीं पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। 
  • पहली बार ऐसा हुआ कि हम पहले ही दिन पदक तालिका में आ गए जब भारोत्तोलन में पहली बार मीराबाई ने भारत को रजत पदक दिलाया। मीराबाई से पहले कर्णम मल्लेश्वरी (सिडनी 2000) में कांस्य दिलाया था। 

मुक्केबाज लवलीना पदक जीतकर दिग्गज एम सी मैरीकॉम (लंदन 2012) के बाद ओलंपिक में पदक जीतने वालीं दूसरी भारतीय महिला मुक्केबाज बनीं। 

पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर गौरवशाली अतीत की वापसी की उम्मीद जगा दी है। आठ बार चैंपियन रह चुके भारत को 41 साल बाद पदक मिला है। यह कांस्य पदक जरूर लेकिन भारत के लिए इसकी अहमियत स्वर्ण पदक से कम नहीं है।

 भारतीय मुक्केबाज सतीश कुमार (91+ भारवर्ग) क्वार्टर फाइनल में विश्व चैंपियन बखोदिर से हार गए लेकिन इस मुकाबले में वह 13 टांके लगे होने के बाद उतरे। वह चाहते तो मुकाबले से हट सकते लेकिन उन्होंने असीम दर्द सहा और हार कर भी नाम बुलंद कर दिया।

महिला हॉकी टीम पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचने में सफल रही। कांस्य पदक के कड़े मुकाबले में ब्रिटेन से हार गई लेकिन अपने जुझारूपन और प्रदर्शन से देश की बेटियों की बड़ी सराहना हुई। भारतीय गोलकीपर सविता पूनिया की तो जमकर सराहना हो रही है जो तीन बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत में गोलपोस्ट के सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई। ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फैरेल ने सविता को वॉल ऑफ इंडिया करार दिया था। 

भारतीय गोल्फर अदिति अशोक मामूली अंतर से चौथे स्थान पर रहकर पदक से चूक गईं। दुनिया की नामी गिरामी गोल्फरों के बीच अदिति लगातार पदक की होड़ में रहीं। उन्होंने ओलंपिक गोल्फ में भारत की ओर से श्रेष्ठ प्रदर्शन किया।  

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रंगारंग कार्यक्रम के साथ टोक्यो में 32वें ओलंपिक खेलों का समापन हो गया। भारत के लिए ये खेल ऐतिहासिक रहे। भारत ने सात (एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य) पदक जीते जो किसी एक संस्करण में भारत का श्रेष्ठ प्रदर्शन है। पहले ही दिन भारोत्तोलक मीराबाई चानू के रजत से पदक तालिका में आने के बाद भारत शीर्ष पचास (48वां स्थान) में रहा। 

भारत ने सात पदक जीते जिनमें भालाफेंक एथलीट नीरज चोपड़ा, मुक्केबाज लवलीना, पहलवान रवि दहिया, बजरंग का यह पहला ओलंपिक रहा। हॉकी टीम में कप्तान मनप्रीत और श्रीजेश को छोड़ दें तो ज्यादातर खिलाड़ी पहली बार खेल महाकुंभ में उतरे।  


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कोरोना की चुनौती के बीच महाप्रदर्शन 

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