एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Sun, 03 Oct 2021 01:54 AM IST
सार
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स साल 2012 में लागू किया गया था। इसके बाद से ही ये टैक्स विवादों के घेरे में रहा है। नियमों में कहा गया है कि वर्ष 2012 के रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून के तहत सरकार ने जो भी टैक्स दावे किए हैं, वे वापस लिए जाएंगे और इस कानून के तहत जो भी टैक्स वसूल किया गया है उसे वापस कर दिया जाएगा।
केयर्न एनर्जी (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी और वोडाफोन समूह जैसी कंपनियों को पिछली तिथि से भरे गए टैक्स की रकम को वापस पाने के लिए सरकार को भविष्य में किसी भी तरह के दावे में न घसीटने की गारंटी देनी होगी और सभी लंबित मामले वापस लेने होंगे। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून का प्रावधान खत्म करने के बाद इससे संबंधित नियमों को पहली अक्तूबर से अधिसूचित कर दिया है और इन नियमों में कंपनियों के लिए अपना टैक्स रिफंड पाने के लिए कुछ सख्त प्रावधान किए गए हैं।
नियमों में कहा गया है कि वर्ष 2012 के रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून के तहत सरकार ने जो भी टैक्स दावे किए हैं, वे वापस लिए जाएंगे और इस कानून के तहत जो भी टैक्स वसूल किया गया है उसे वापस कर दिया जाएगा। इस कानून के तहत सरकार के पास कानून लागू होने से भी पहलेे की तिथि से कंपनियों से इनकम टैक्स वसूलने का अधिकार था और कई बड़ी कंपनियों को इसके कारण भारी-भरकम राशि टैक्स के रूप में चुकानी पड़ी थी।
केयर्न एनर्जी ने इसके खिलाफ विदेशों में मामला दर्ज करके भारत सरकार से 1.2 अरब डॉलर की राशि वापस पाने का मुकदमा जीत रखा है और इस राशि की वसूली के लिए विदेशों में सरकार की कई संपत्तियां जब्त करा रखी हैं। पेरिस और अमेरिका में ऐसी संपत्तियां जब्त होने से सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी और तब इस कानून को वापस ले लिया गया और इसके तहत वसूली गई राशि को बिना किसी ब्याज या जुर्माने के वापस करने के लिए सरकार तैयार हो गई है।
आसानी से नहीं मिलेगा पैसा
हालांकि कंपनियों को यह पैसा आसानी से नहीं मिलेगा। नए नियमों के तहत जो भी कंपनी रिफंड का दावा करेगी, उसे सबसे पहले तो सरकार के खिलाफ किसी भी मंच पर दायर किसी भी तरह का मुकदमा वापस लेना होगा। साथ ही उसे ये गारंटी देनी होगी कि भविष्य में वह किसी तरह का दावा भारत या दुनिया के किसी भी हिस्से में नहीं करेगा। कंपनियों को एक क्षतिपूर्ति बॉन्ड भरना होगा कि भविष्य में वे सरकार के खिलाफ किसी तरह की क्षतिपूर्ति का दावा भी नहीं करेंगी। क्षतिपूर्ति बॉन्ड के साथ-साथ कंपनियों को आयकर अधिकारियों के सामने घोषणापत्र और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से पारित प्रस्ताव या कानूनी अधिकार भी देना होगा।
ये रहेगी समय-सीमा
नए नियमों में दी गई समय सीमा के अनुसार, पहले 45 दिनों में कंपनियों को सभी लंबित मामले वापस लेने का हलफनामा देना होगा। इसके बाद संबंधित आयकर प्राधिकारी अगले रिफंड आवेदन प्राप्त होने के 15 दिन के अंदर दावे को मंजूर या खारिज करने का सर्टिफिकेट जारी करेंगे। ये सर्टिफिकेट हासिल करने के 60 दिन के अंदर कंपनियों को क्षतिपूर्ति से संबंधित वादा पूरा करना होगा। इसके बाद कंपनियों को राहत देने का आदेश 30 दिनों के अंदर पारित किया जाएगा और इसके कम से कम 10 दिन के बाद रिफंड राशि दे दी जाएगी। इस सारी प्रक्रिया में कम से कम पांच महीने लगेंगे। एक टैक्स विशेषज्ञ के अनुसार, यदि कंपनियां तेजी दिखाती हैं तब भी टैक्स रिफंड मिलने में कम से कम 2-3 महीने लगेंगे।
विस्तार
ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी और वोडाफोन समूह जैसी कंपनियों को पिछली तिथि से भरे गए टैक्स की रकम को वापस पाने के लिए सरकार को भविष्य में किसी भी तरह के दावे में न घसीटने की गारंटी देनी होगी और सभी लंबित मामले वापस लेने होंगे। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून का प्रावधान खत्म करने के बाद इससे संबंधित नियमों को पहली अक्तूबर से अधिसूचित कर दिया है और इन नियमों में कंपनियों के लिए अपना टैक्स रिफंड पाने के लिए कुछ सख्त प्रावधान किए गए हैं।
नियमों में कहा गया है कि वर्ष 2012 के रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून के तहत सरकार ने जो भी टैक्स दावे किए हैं, वे वापस लिए जाएंगे और इस कानून के तहत जो भी टैक्स वसूल किया गया है उसे वापस कर दिया जाएगा। इस कानून के तहत सरकार के पास कानून लागू होने से भी पहलेे की तिथि से कंपनियों से इनकम टैक्स वसूलने का अधिकार था और कई बड़ी कंपनियों को इसके कारण भारी-भरकम राशि टैक्स के रूप में चुकानी पड़ी थी।
केयर्न एनर्जी ने इसके खिलाफ विदेशों में मामला दर्ज करके भारत सरकार से 1.2 अरब डॉलर की राशि वापस पाने का मुकदमा जीत रखा है और इस राशि की वसूली के लिए विदेशों में सरकार की कई संपत्तियां जब्त करा रखी हैं। पेरिस और अमेरिका में ऐसी संपत्तियां जब्त होने से सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी और तब इस कानून को वापस ले लिया गया और इसके तहत वसूली गई राशि को बिना किसी ब्याज या जुर्माने के वापस करने के लिए सरकार तैयार हो गई है।
आसानी से नहीं मिलेगा पैसा
हालांकि कंपनियों को यह पैसा आसानी से नहीं मिलेगा। नए नियमों के तहत जो भी कंपनी रिफंड का दावा करेगी, उसे सबसे पहले तो सरकार के खिलाफ किसी भी मंच पर दायर किसी भी तरह का मुकदमा वापस लेना होगा। साथ ही उसे ये गारंटी देनी होगी कि भविष्य में वह किसी तरह का दावा भारत या दुनिया के किसी भी हिस्से में नहीं करेगा। कंपनियों को एक क्षतिपूर्ति बॉन्ड भरना होगा कि भविष्य में वे सरकार के खिलाफ किसी तरह की क्षतिपूर्ति का दावा भी नहीं करेंगी। क्षतिपूर्ति बॉन्ड के साथ-साथ कंपनियों को आयकर अधिकारियों के सामने घोषणापत्र और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से पारित प्रस्ताव या कानूनी अधिकार भी देना होगा।
ये रहेगी समय-सीमा
नए नियमों में दी गई समय सीमा के अनुसार, पहले 45 दिनों में कंपनियों को सभी लंबित मामले वापस लेने का हलफनामा देना होगा। इसके बाद संबंधित आयकर प्राधिकारी अगले रिफंड आवेदन प्राप्त होने के 15 दिन के अंदर दावे को मंजूर या खारिज करने का सर्टिफिकेट जारी करेंगे। ये सर्टिफिकेट हासिल करने के 60 दिन के अंदर कंपनियों को क्षतिपूर्ति से संबंधित वादा पूरा करना होगा। इसके बाद कंपनियों को राहत देने का आदेश 30 दिनों के अंदर पारित किया जाएगा और इसके कम से कम 10 दिन के बाद रिफंड राशि दे दी जाएगी। इस सारी प्रक्रिया में कम से कम पांच महीने लगेंगे। एक टैक्स विशेषज्ञ के अनुसार, यदि कंपनियां तेजी दिखाती हैं तब भी टैक्स रिफंड मिलने में कम से कम 2-3 महीने लगेंगे।
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