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रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स: जानें क्या है ये, जिसे खत्म करने के लिए सरकार ने पेश किया विधेयक, अमेरिकी मंच ने भी की सराहना

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ‌डिंपल अलावाधी
Updated Fri, 06 Aug 2021 04:52 PM IST

सार

सरकार ने लोकसभा में ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ पेश किया है। इसमें रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म करने का प्रावधान है। रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स वो टैक्स होता है जो कंपनियों से उनकी पुरानी डील पर भी वसूला जाता है। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
– फोटो : ANI

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ पेश कर दिया है। इस विधेयक को आयकर अधिनियम 1961 में संशोधन करने के लिए लाया गया है। सरकार विवादित रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म करने जा रही है। यानी इसके माध्यम से किसी लेनदेन पर पिछली तारीख से कर (रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स) वसूली के सख्त प्रावधान को खत्म किया जाएगा। 

सबसे पहले आइए उदाहरण से समझते हैं क्या है रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स….

रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स वो टैक्स होता है जो कंपनियों से उनकी पुरानी डील पर भी वसूला जाता है। आसान भाषा में समझें, तो मान लीजिए कि सरकार ने साल 2021 में किसी डील या सर्विस पर टैक्स लगाने का कानून बनाया है। इस कानून के तहत सरकार एक समय तय करती है, जिससे कंपनी से टैक्स वसूला जाएगा। अब यदि सरकार ने 2010 की टाइमलाइन तय की है, तो फिर सरकार 2010 से अब तक का कुल टैक्स कंपनी से वसूलेगी। भले ही 2010 में यह कानून नहीं था लेकिन चूंकि अब सरकार ने 2021 में कानून बना दिया है, तो कंपनी को 2010 से ही टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा।

सरकार ने क्यों किया संशोधन?
सरकार ने विधेयक पेश करते हुए सपष्ट कहा कि इसमें प्रावधान किया गया है कि 28 मई 2012 के पूर्व किए गए किसी भी भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर भविष्य में पिछली तारीख से कर वसूली नहीं की जा सकेगी। सरकार को यह संशोधन इसलिए करना पड़ा क्योंकि वोडाफोन व केयर्न के मामले को लेकर क्षमतावान निवेशक के मन में संशय पैदा हो गया था। कोविड-19 से उत्पन्न हालात को देखते हुए अर्थव्यवस्था में त्वरित सुधार जरूरी है। ऐसे में ऐसे प्रावधान, जिनसे निवेशकों में संशय हो, उन्हें हटाया जा रहा है। 

क्या होगा फायदा?
इसके माध्यम से किसी लेनदेन पर पिछली तारीख से कर वसूली के सख्त प्रावधान को खत्म किया जाएगा। यदि कोई लेनदेन 28 मार्च 2012 के पहले किया गया होगा, तो पूर्व तिथि से कर वसूली की कोई मांग नहीं की जाएगी। बीते कुछ वर्षों में देश में कई वित्तीय व बुनियादी ढांचे संबंधी सुधार किए गए हैं। इससे देश में निवेश के प्रति सकारात्मक माहौल बना है। 

निवेश को मिलेगा बढ़ावा
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स से देश में निवेश को धक्का लगा है। सरकार के प्रयासों के बावजूद देश में विदेशी निवेश उत्साहजनक नहीं रहा। साल 2012 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को लागू किया गया था। इसे कई विशेषज्ञों ने गलत बताया था। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी स्वीकार किया था कि रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स गलत है। अब सरकार द्वारा इसे खत्म करने पर फिर से उम्मीद की जा रही है कि देश में विदेशी कंपनियां निवेश के लिए आगे आएंगी।

अमेरिकी मंच ने की सराहना
अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी मंच (USISPF) ने भारत सरकार के इस कदम की सराहना की। इस संदर्भ में यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मुकेश अघी ने कहा कि, ‘वित्त मंत्रालय ने संसद में जो विधेयक पेश किया है, यह भारत में अंतरराष्ट्रीय निवेश को प्रोत्साहित करेगा। इस विधेयक ता वे कंपनियां स्वागत करेंगी, जिन्होंने भारत में लंबे समय से निवेश किया है।’ आगे अघी ने कहा कि 2012 की सरकार का पिछली तिथि से कर लगाने का फैसला एक संभावित निवेश गंतव्य के रूप में भारत की प्रतिष्ठा पर एक काला धब्बा है।

विस्तार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ पेश कर दिया है। इस विधेयक को आयकर अधिनियम 1961 में संशोधन करने के लिए लाया गया है। सरकार विवादित रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म करने जा रही है। यानी इसके माध्यम से किसी लेनदेन पर पिछली तारीख से कर (रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स) वसूली के सख्त प्रावधान को खत्म किया जाएगा। 

सबसे पहले आइए उदाहरण से समझते हैं क्या है रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स….

रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स वो टैक्स होता है जो कंपनियों से उनकी पुरानी डील पर भी वसूला जाता है। आसान भाषा में समझें, तो मान लीजिए कि सरकार ने साल 2021 में किसी डील या सर्विस पर टैक्स लगाने का कानून बनाया है। इस कानून के तहत सरकार एक समय तय करती है, जिससे कंपनी से टैक्स वसूला जाएगा। अब यदि सरकार ने 2010 की टाइमलाइन तय की है, तो फिर सरकार 2010 से अब तक का कुल टैक्स कंपनी से वसूलेगी। भले ही 2010 में यह कानून नहीं था लेकिन चूंकि अब सरकार ने 2021 में कानून बना दिया है, तो कंपनी को 2010 से ही टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा।

सरकार ने क्यों किया संशोधन?

सरकार ने विधेयक पेश करते हुए सपष्ट कहा कि इसमें प्रावधान किया गया है कि 28 मई 2012 के पूर्व किए गए किसी भी भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर भविष्य में पिछली तारीख से कर वसूली नहीं की जा सकेगी। सरकार को यह संशोधन इसलिए करना पड़ा क्योंकि वोडाफोन व केयर्न के मामले को लेकर क्षमतावान निवेशक के मन में संशय पैदा हो गया था। कोविड-19 से उत्पन्न हालात को देखते हुए अर्थव्यवस्था में त्वरित सुधार जरूरी है। ऐसे में ऐसे प्रावधान, जिनसे निवेशकों में संशय हो, उन्हें हटाया जा रहा है। 

क्या होगा फायदा?

इसके माध्यम से किसी लेनदेन पर पिछली तारीख से कर वसूली के सख्त प्रावधान को खत्म किया जाएगा। यदि कोई लेनदेन 28 मार्च 2012 के पहले किया गया होगा, तो पूर्व तिथि से कर वसूली की कोई मांग नहीं की जाएगी। बीते कुछ वर्षों में देश में कई वित्तीय व बुनियादी ढांचे संबंधी सुधार किए गए हैं। इससे देश में निवेश के प्रति सकारात्मक माहौल बना है। 

निवेश को मिलेगा बढ़ावा

रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स से देश में निवेश को धक्का लगा है। सरकार के प्रयासों के बावजूद देश में विदेशी निवेश उत्साहजनक नहीं रहा। साल 2012 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को लागू किया गया था। इसे कई विशेषज्ञों ने गलत बताया था। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी स्वीकार किया था कि रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स गलत है। अब सरकार द्वारा इसे खत्म करने पर फिर से उम्मीद की जा रही है कि देश में विदेशी कंपनियां निवेश के लिए आगे आएंगी।

अमेरिकी मंच ने की सराहना

अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी मंच (USISPF) ने भारत सरकार के इस कदम की सराहना की। इस संदर्भ में यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मुकेश अघी ने कहा कि, ‘वित्त मंत्रालय ने संसद में जो विधेयक पेश किया है, यह भारत में अंतरराष्ट्रीय निवेश को प्रोत्साहित करेगा। इस विधेयक ता वे कंपनियां स्वागत करेंगी, जिन्होंने भारत में लंबे समय से निवेश किया है।’ आगे अघी ने कहा कि 2012 की सरकार का पिछली तिथि से कर लगाने का फैसला एक संभावित निवेश गंतव्य के रूप में भारत की प्रतिष्ठा पर एक काला धब्बा है।

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