न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Wed, 15 Dec 2021 12:44 PM IST
सार
लखीमपुर खीरी हिंसा पर अब राजनीति तेज होती जा रही है। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही राहुल गांधी समेत विपक्षी सांसदों ने गृह राज्यमंत्री अजय टेनी की इस्तीफा की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया जिसके चलते सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
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विस्तार
एसआईटी जांच टीम के बयान के बाद विपक्ष हुआ हमलावर
दरअसल, एसआईटी जांच टीम के बयान के बाद राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेता सरकार पर हमलावर हो गए हैं। एसआईची जांच टीम ने लखीमपुर खेरी हिंसा मामले में नई धाराएं बढ़ाते हुए मामले को दुर्घटना का नहीं बल्कि सोची समझी हत्या की साजिश बताया है। अब तक एसआईटी एक्सीडेंटल केस के साथ ही विकल्प के रूप में हत्या की धाराओं के साथ मैदान में थी, जबकि सोमवार को एसआईटी से जुडे़ मुख्य विवेचक विद्याराम दिवाकर ने साफ कर दिया कि बारीकी से जांच करने पर यह स्पष्ट हुआ है कि लापरवाही और उपेक्षापूर्वक गाड़ी चलाते हुए मृत्यु कारित करने का दुघर्टना मामला नहीं है बल्कि सोची समझी साजिश के चलते भीड़ को कुचलने हत्या करने और हत्या के प्रयत्न के साथ ही अंग भंग करने की साजिश का साफ-साफ मामला है। इसलिए केस को परिवर्तन करते हुए हत्या और हत्या के प्रयास के साथ ही अंग भंग करने की धाराएं लगाई जानी चाहिए।
साथ ही विवेचक ने अपनी रिपोर्ट देते हुए बताया कि एक्सीडेंटल केस से जुड़ी धाराओं को हटाया जा रहा है, इसलिए जेल में बंद आरोपियों पर से धारा 279, 337, 338, 304 ए की धाराएं हटाई जा रही हैं और एकराय होकर जानलेवा हमला करने और अंग भंग करने की धाराएं बढ़ाई जाती हैं, जिनमें 120बी, 307, 34, 326 आईपीसी की धाराएं बढ़ाई गई हैं।
राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री पर किया था हमला
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को संसद परिसर में 12 राज्यसभा सांसदों के निलंबन के विरोध में शामिल हुए थे। इस मौके पर उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि जहां भी विपक्ष ने अपनी आवाज उठाई है, वहां सांसदों को निलंबित कर दिया जाता है। जिस मुद्दे पर हम बहस करना चाहते हैं उनकी अनुमति नहीं दी जाती। तीन-चार मुद्दे हैं, जिनके नाम तक नहीं लिए जाते। प्रधानमंत्री सदन में 13 दिनों से नहीं आए हैं। ये कोई तरीका नहीं है लोकतंत्र चलाने का। हम यहां प्रदर्शन कर रहे हैं ये सिंबल है लोकतंत्र का। निलंबित सांसदों की आवाज दबाई गई और वे इसके खिलाफ संसद के बाहर प्रदर्शन में बैठे हैं। हमें संसद में राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर अपनी आवाज नहीं उठाने दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हंगामे के बीच संसद में लगातार बिल पास हो रहे हैं। यह संसद चलाने का तरीका नहीं है। यह लोकतंत्र की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या है।