न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: जयदेव सिंह
Updated Wed, 06 Apr 2022 08:54 AM IST
सार
राजपक्षे परिवार का सबसे ताकतवर चेहरा प्रधानममंत्री महिंदा राजपक्षे हैं। महिंदा छह भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं। महिंदा 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे हैं। 2009 में लिट्टे को खत्म करने के बाद उनकी लोकप्रियता आसमान छूने लगी थी।
श्रीलंका की सत्ता में राजपक्षे परिवार का दबदबा।
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस संकट का सबसे बड़ा खलनायक राजपक्षे भाइयों को बताया जा रहा है। राजपक्षे परिवार के सबसे ताकतवर नेता महिंदा राजपक्षे देश के प्रधानमंत्री हैं। उनके छोटे भाई गोतबाया राष्ट्रपति, इतना ही नहीं परिवार के आठ सदस्य मौजूदा सरकार का हिस्सा थे। श्रीलंका की राजनीति में ये परिवार बीते नौ दशक से अपना दखल रखता है। दखल ऐसा कि अब तक परिवार के करीब डेढ़ दर्जन सदस्य सांसद से लेकर मंत्री तक रह चुके हैं। गुलामी के दौर में विदान अराचचि (गांव के मुखिया जैसा पद) से शुरू हुई राजपक्षे परिवार की राजनीति कैसे श्रीलंका पर राज करने लगी, आइये जानते हैं…
सबसे पहले बात अंग्रेजों के दौर की। औपनिवेशिक युग के दौरान सीलोन (श्रीलंका) में मुखिया प्रणाली चलती थी। इसमें विदान अराची होता था। जो इलाके में शांति बनाए रखने, राजस्व संग्रह करने और न्यायिक कार्यों में सहायता करने के लिए जिम्मेदार होता था। सिलोन में ऐसे ही एक विदान अराची थे डॉन डेविड राजपक्षे। डेविड के चार बेटों में से दो बेटे चुनावी राजनीति में सक्रिय हुए। सबसे पहले डॉन मैथ्यू चुनावी राजनीति में उतरे। मैथ्यू 1936 से 1945 तक हम्बनटोटा में राज्य विधान परिषद के सदस्य रहे। मैथ्यू के निधन के बाद उनके छोटे भाई डॉन अल्विन राजानीति में आए। देश जब आजाद हुआ तो अल्विन पहली संसद में पहुंचे नेताओं में शामिल थे। आज श्रीलंका को चला रहे राजपक्षे भाई इन्हीं अल्विन के बेटे हैं।
संसद के डिप्टी स्पीकर थे महिंदा के पिता
अल्विन राजपक्षे श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे। वह सीलोन के पांचवें प्रधानमंत्री विजयानंद दहनायके सरकार में कृषि मंत्री भी रहे थे। अल्विन संसद के डिप्टी स्पीकर भी रहे। अल्विन के बारे में कहा जाता है कि वो बेहद सुलझे हुए नेता थे। उनकी बड़ी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं नहीं थी। ना ही उन्हें पद का घमंड था। डॉन अल्विन के नौ बच्चे हुए। छह बेटे और चार बेटिंयां। चमल, जयंती, महिंदा, टुडोर, गोतबाया, बासिल, डुडले, प्रीथि और गंदागी।
राजपक्षे परिवार का सबसे ताकतवर चेहरा महिंदा
मौजूदा दौर में राजपक्षे परिवार का सबसे ताकतवर चेहरा प्रधानममंत्री महिंदा राजपक्षे हैं। महिंदा छह भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं। महिंदा 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे हैं। उस वक्त उनके पास रक्षा, वित्त और कानून जैसे मंत्रालय भी थे। 2009 में लिट्टे को खत्म करने के बाद उनकी लोकप्रियता आसमान छूने लगी थी। 1970 में पहली बार सांसद बने महिंदा लंबे समय तक अलग-अलग सरकारों में मंत्री भी रहे। 2004 में देश के प्रधानमंत्री बने एक साल बाद राष्ट्रपति। 2015 के चुनाव में हार के बाद कहा जाने लगा कि महिंदा का समय खत्म हो गया। लेकिन, एक साल बाद ही महिंदा ने अपनी अलग पार्टी बना ली। 2019 में महिंदा के छोटे भाई गोतबाया राष्ट्रपति बन गए। महज तीन साल पुरानी महिंदा की पार्टी फिर से सत्ता में आ गई। छोटे भाई गोतबाया ने बड़े भाई महिंदा को अपना प्रधानमंत्री बना दिया।
देश के कुल बजट का 75 फीसदी हिस्सेदारी वाले मंत्रालय परिवार के पास
आर्थिक संकट के दौर में जनता के बढ़ते विरोध प्रदर्शन और आक्रोश के कारण राष्ट्रपति गोतबाया और प्रधानमंत्री महिंदा को छोड़कर बाकी कैबिनेट ने तीन मार्च को इस्तीफा दे दिया। कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे से पहले हालात ये थी कि देश के कुल बजट का 75 फीसदी हिस्सेदारी वाले मंत्रालय राजपक्षे परिवार के सदस्य मंत्रियों के पास थे। देश के रक्षा, गृह, वित्त से लेकर खेल मंत्रालय तक परिवार के लोगों के पास था। महिंदा के बडे़ भाई चामल राजपक्षे तीन अप्रैल तक श्रीलंका के केंद्रीय सिचाई मंत्री के साथ ही रक्षा और गृह राज्य मंत्री थे। छोटे भाई गोतबाया राजपक्षे राष्ट्रपति के सथ ही रक्षा मंत्री भी थे। चौथे भाई बासिल भी तीन अप्रैल तक श्रीलंका के वित्त मंत्री थे।
महिंदा के बेटे-भतीजे और भांजे भी मंत्री थे
ऐसा नहीं है कि सिर्फ चार भाई की श्रीलंका सरकार का हिस्सा रहे हों। महिंदा के बेटे नमल खेल मंत्री थे। महिंदा के दूसरे बेटे योशिथा राजपक्षे प्रधानमंत्री को चीफ ऑफ स्टाफ हैं। 2016 में नमल और योशिथा मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार भी हुए थे। महिंदा के भतीजे शशिन्द्रा राजपक्षे श्रीलंका सरकार में कृषि राज्य मंत्री थे। शशिन्द्रा के पिता चामल राजपक्षे भी सरकार का हिस्सा थे। शशिन्द्रा 2009 ने 2015 तक उवा प्रोविंस के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। सांसद निपुण राणावका महिंदा राजपक्षे के भांजे हैं। निपुण भी तीन अप्रैल के पहले राज्यमंत्री थे।