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यूक्रेन संकट: जो बाइडन की बढ़ती धमकियों पर कुछ कह रही है पुतिन की खामोशी

सार

रूस ने यूक्रेन से लगती तीनों तरफ की सीमा पर एक लाख के करीब फौज की तैनाती कर रखी है। अत्याधुनिक और भारी हथियार, ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइल और किसी भी हवाई हमले को बेअसर करने वाली प्रतिरक्षी मिसाइल प्रणाली, परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम हथियार, अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को तैनात कर रखा है…

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस को यूक्रेन पर हमला न करने की चेतावनी देने के बाद अगला संदेश देना शुरू किया है। अमेरिकी प्रभुत्व वाले नाटो ने पिछले सप्ताह जर्मनी से 1000 सैनिकों को रोमानिया में तैनात किया था। स्ट्रांग फोर्स के 2000 सैनिकों ने भी पोलैंड का रुख किया है। यूरोप की सुरक्षा में करीब 8,500 सैनिक अगली तैनाती की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके साथ जो बाइडन ने यूक्रेन से अपने नागरिकों को बाहर आने के लिए कहा है। यह सीधे-सीधे रूस के लिए संदेश और धमकी है, लेकिन इसके सामानांतर रूस के राष्ट्रपति पुतिन का कोई बयान नहीं आया। बड़ा सवाल है कि आखिर पुतिन खामोश क्यों हैं?

यूक्रेन सीमा पर तनाव के बीच में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पोलैंड पहुंच गए हैं। बाइडन ने रूस को चेतावनी देते हुए उसकी नार्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन परियोजना को रोक देने की चेतावनी दी है। यह परियोजना बाल्टिक सागर से पश्चिमी रूस होते हुए उत्तर-पूर्वी में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति से जुड़ी है। सितंबर 2021 में ही पूरी हो चुकी है। यहां भी रूस का रवैया अमेरिका की इस धमकी से बेफिक्र रहने जैसा है। अमेरिका ने पोलैंड में सैनिकों, पैट्रिएट मिसाइल रोधी प्रतिरक्षण प्रणाली समेत कई अत्याधुनिक हथियार तैनात किए हैं। नाटों ने काला सागर में सैन्य तैनाती की प्रक्रिया शुरू की है। इतना ही नहीं नाटो प्रमुख जेंस स्टोलेनबर्ग की अगले सप्ताह नाटो सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों संग बैठक होगी। इस बैठक में आगे की योजना बनेगी और रणनीतिक तैयारी पर अंतिम चर्चा के बाद तेजी से निर्णय लिए जाएंगे। इसके बाद तेजी से सैन्य तैनाती शुरू हो जाएगी। नाटो प्रमुख ने यहां तक कहा कि बहुत कम समय में नाटो सैन्य बलों की तैनाती में सक्षम हैं।

रूस को चेतावनी केवल अमेरिका नहीं दे रहा है

रूस को यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई न करने की चेतावनी केवल अमेरिका नहीं दे रहा है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शूल्ज, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और विदेश मंत्री लिज ट्रस, पोलैंड के राष्ट्रपति डूडो भी इसी तरह की चेतावनी दे रहे हैं। यूरोप में अब रूस के साथ सैन्य टकराव की संभावना बढऩे लगी है। मास्को में रह रहे विनोद कुमार भी बताते हैं कि यूक्रेन को लेकर टकराव की चर्चाएं यहां भी हैं। हालांकि विनोद कुमार का कहना है कि मास्को में लोगों को राष्ट्रपति पुतिन पर पूरा भरोसा है। विनोद कुमार पिछले कुछ दशक से मास्को में हैं। उनका कहना है कि समाचारों में अमेरिका और नाटो की सैन्य तैनाती तथा बयानों को लेकर मीडिया में खबरें हैं, लेकिन वातावरण बिल्कुल सामान्य है। 

आखिर क्या कर रहा है रूस?

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जराखोवा ने नाटो देशों पर लगातार गलत मंशा और फर्जी तरीके से तनाव को बढ़ाने का आरोप लगाया है। जराखोवा का कहना है कि नाटो देश यूक्रेन की सीमा पर अपनी मौजूदगी को न्यायोचित ठहराने के लिए तनाव बढ़ा रहे हैं। ताकि वह यूक्रेन की सीमा पर अपनी मौजूदगी को सही साबित कर सकें। मारिया जराखोवा से पहले गुरुवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ब्रिटेन के अपने समकक्ष लिज ट्रस से मिले थे। दोनों नेताओं के बीच में चर्चा भी हुई। चर्चा के बाद लावरोव ने साफ किया कि रूस से यह कहना कहां तक सही है कि वह अपनी ही सीमा से अपनी सेना को पीछे हटा ले। लावरोव का कहना था कि रूस की सैन्य तैनाती उसके अपने क्षेत्र में है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव यूक्रेन पर हमला करने जैसी संभावना को खारिज कर रहे हैं। हालांकि यूक्रेन को नाटो देशों में शामिल करने को लेकर रूस लगातार विरोध कर रहा है। दिसंबर 2021 में भी पुतिन ने इसे लेकर अमेरिका और नाटो देशों के सामने दो प्रस्ताव रखे थे, लेकिन राष्ट्रपति बाइडन ने इसे खारिज कर दिया था। इसमें रूस का प्रमुख प्रस्ताव अपने पड़ोसी देश यूक्रेन को नाटो में न शामिल करने तथा अन्य पड़ोसियों को भी इससे दूर रखने की मांग की थी। इसके जवाब में नाटो देशों का कहना है कि रूस की कोशिश नाटो संगठन को ही तोड़ने की है।

यूक्रेन सीमा पर आक्रामक सैन्य तैनाती के साथ घातक युद्धाभ्यास

रूस ने यूक्रेन से लगती तीनों तरफ की सीमा पर एक लाख के करीब फौज की तैनाती कर रखी है। अत्याधुनिक और भारी हथियार, ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइल और किसी भी हवाई हमले को बेअसर करने वाली प्रतिरक्षी मिसाइल प्रणाली, परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम हथियार, अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को तैनात कर रखा है। काला सागर में रूस के युद्धक बेड़े (युद्धपोत, विध्वंसक) विमानवाहक पोत, पनडुब्बी समेत अन्य की तैनाती है। इसके साथ-साथ रूस बेलारूस की सेना के साथ 10 दिनों का घातक युद्धाभ्यास शुरू कर चुका है। इस युद्धाभ्यास में बेलारूस के 30 हजार सैनिक अत्याधुनिक हथियारों के साथ भाग ले रहे हैं।

इमैनुएल मैक्रों आरटी-पीसीआर टेस्ट कराएं

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन संकट को लेकर बात करने पहुंचे थे। दोनों नेताओं के बीच में पांच घंटे तक चर्चा चली। रूस और फ्रांस दोनों ने एक दूसरे को वैकल्पिक प्रयासों पर विचार करने का वादा किया है, लेकिन इस दौरान एक दिलचस्प घटना भी हुई। रूसी प्रशासक ने वार्ता के लिए आए इमैनुएल मैक्रों के सामने आरटी-पीसीआर टेस्ट की शर्त रखी। रूस की तरफ से कहा गया कि राष्ट्रपति के साथ करीब में बैठकर चर्चा करनी है तो पहले कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना होगा। बताते हैं कि मैक्रों ने टेस्ट कराने से मना कर दिया। इसके बाद दोनों नेताओं ने कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेसिंग) का पालन करते हुए एक बड़ी मेज के दोनों तरफ बैठकर चर्चा की।

आखिर क्यों खामोश हैं पुतिन?

पुतिन न तो नार्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइप लाइन से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति रोके जाने की चेतावनी पर कोई प्रतिक्रिया दे रहे हैं और न ही अमेरिका के गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी पर। रूस ने अभी तक यूक्रेन की सीमा पर न तो अपने किसी कार्यक्रम में कोई बदलाव किया है और न ही इसका संकेत दिया है। उल्टे सैन्य तैनाती और यूक्रेन के चारों तरफ लगातार सैन्य तैनाती बढ़ रही है। माना जा रहा है कि अमेरिका और पश्चिम देशों के साथ राष्ट्रपति पुतिन अभी एक मनोवैज्ञानिक युद्ध लड़ रहे हैं। रूस मामलों के जानकारों का कहना है कि नार्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइप लाइन योजना से जितना रूस को आर्थिक लाभ होगा, उतना ही जर्मनी की सहूलियत बढ़ेगी। इसके अलावा यूरोप के उद्योग, कल कारखाने और घरेलू उपभोग के लिए ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से अहम है। इसे पुतिन भी समझ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि पुतिन खामोशी और संवाद का तालमेल बनाकर संदेश देने के लिए भी जाने जाते हैं। इसलिए अभी उनकी आवाज कहे जाने वाले सर्गेई लावरोव की सक्रियता काफी बढ़ गई है।

विस्तार

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस को यूक्रेन पर हमला न करने की चेतावनी देने के बाद अगला संदेश देना शुरू किया है। अमेरिकी प्रभुत्व वाले नाटो ने पिछले सप्ताह जर्मनी से 1000 सैनिकों को रोमानिया में तैनात किया था। स्ट्रांग फोर्स के 2000 सैनिकों ने भी पोलैंड का रुख किया है। यूरोप की सुरक्षा में करीब 8,500 सैनिक अगली तैनाती की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके साथ जो बाइडन ने यूक्रेन से अपने नागरिकों को बाहर आने के लिए कहा है। यह सीधे-सीधे रूस के लिए संदेश और धमकी है, लेकिन इसके सामानांतर रूस के राष्ट्रपति पुतिन का कोई बयान नहीं आया। बड़ा सवाल है कि आखिर पुतिन खामोश क्यों हैं?

यूक्रेन सीमा पर तनाव के बीच में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पोलैंड पहुंच गए हैं। बाइडन ने रूस को चेतावनी देते हुए उसकी नार्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन परियोजना को रोक देने की चेतावनी दी है। यह परियोजना बाल्टिक सागर से पश्चिमी रूस होते हुए उत्तर-पूर्वी में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति से जुड़ी है। सितंबर 2021 में ही पूरी हो चुकी है। यहां भी रूस का रवैया अमेरिका की इस धमकी से बेफिक्र रहने जैसा है। अमेरिका ने पोलैंड में सैनिकों, पैट्रिएट मिसाइल रोधी प्रतिरक्षण प्रणाली समेत कई अत्याधुनिक हथियार तैनात किए हैं। नाटों ने काला सागर में सैन्य तैनाती की प्रक्रिया शुरू की है। इतना ही नहीं नाटो प्रमुख जेंस स्टोलेनबर्ग की अगले सप्ताह नाटो सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों संग बैठक होगी। इस बैठक में आगे की योजना बनेगी और रणनीतिक तैयारी पर अंतिम चर्चा के बाद तेजी से निर्णय लिए जाएंगे। इसके बाद तेजी से सैन्य तैनाती शुरू हो जाएगी। नाटो प्रमुख ने यहां तक कहा कि बहुत कम समय में नाटो सैन्य बलों की तैनाती में सक्षम हैं।

रूस को चेतावनी केवल अमेरिका नहीं दे रहा है

रूस को यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई न करने की चेतावनी केवल अमेरिका नहीं दे रहा है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शूल्ज, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और विदेश मंत्री लिज ट्रस, पोलैंड के राष्ट्रपति डूडो भी इसी तरह की चेतावनी दे रहे हैं। यूरोप में अब रूस के साथ सैन्य टकराव की संभावना बढऩे लगी है। मास्को में रह रहे विनोद कुमार भी बताते हैं कि यूक्रेन को लेकर टकराव की चर्चाएं यहां भी हैं। हालांकि विनोद कुमार का कहना है कि मास्को में लोगों को राष्ट्रपति पुतिन पर पूरा भरोसा है। विनोद कुमार पिछले कुछ दशक से मास्को में हैं। उनका कहना है कि समाचारों में अमेरिका और नाटो की सैन्य तैनाती तथा बयानों को लेकर मीडिया में खबरें हैं, लेकिन वातावरण बिल्कुल सामान्य है। 

आखिर क्या कर रहा है रूस?

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जराखोवा ने नाटो देशों पर लगातार गलत मंशा और फर्जी तरीके से तनाव को बढ़ाने का आरोप लगाया है। जराखोवा का कहना है कि नाटो देश यूक्रेन की सीमा पर अपनी मौजूदगी को न्यायोचित ठहराने के लिए तनाव बढ़ा रहे हैं। ताकि वह यूक्रेन की सीमा पर अपनी मौजूदगी को सही साबित कर सकें। मारिया जराखोवा से पहले गुरुवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ब्रिटेन के अपने समकक्ष लिज ट्रस से मिले थे। दोनों नेताओं के बीच में चर्चा भी हुई। चर्चा के बाद लावरोव ने साफ किया कि रूस से यह कहना कहां तक सही है कि वह अपनी ही सीमा से अपनी सेना को पीछे हटा ले। लावरोव का कहना था कि रूस की सैन्य तैनाती उसके अपने क्षेत्र में है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव यूक्रेन पर हमला करने जैसी संभावना को खारिज कर रहे हैं। हालांकि यूक्रेन को नाटो देशों में शामिल करने को लेकर रूस लगातार विरोध कर रहा है। दिसंबर 2021 में भी पुतिन ने इसे लेकर अमेरिका और नाटो देशों के सामने दो प्रस्ताव रखे थे, लेकिन राष्ट्रपति बाइडन ने इसे खारिज कर दिया था। इसमें रूस का प्रमुख प्रस्ताव अपने पड़ोसी देश यूक्रेन को नाटो में न शामिल करने तथा अन्य पड़ोसियों को भी इससे दूर रखने की मांग की थी। इसके जवाब में नाटो देशों का कहना है कि रूस की कोशिश नाटो संगठन को ही तोड़ने की है।

यूक्रेन सीमा पर आक्रामक सैन्य तैनाती के साथ घातक युद्धाभ्यास

रूस ने यूक्रेन से लगती तीनों तरफ की सीमा पर एक लाख के करीब फौज की तैनाती कर रखी है। अत्याधुनिक और भारी हथियार, ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइल और किसी भी हवाई हमले को बेअसर करने वाली प्रतिरक्षी मिसाइल प्रणाली, परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम हथियार, अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को तैनात कर रखा है। काला सागर में रूस के युद्धक बेड़े (युद्धपोत, विध्वंसक) विमानवाहक पोत, पनडुब्बी समेत अन्य की तैनाती है। इसके साथ-साथ रूस बेलारूस की सेना के साथ 10 दिनों का घातक युद्धाभ्यास शुरू कर चुका है। इस युद्धाभ्यास में बेलारूस के 30 हजार सैनिक अत्याधुनिक हथियारों के साथ भाग ले रहे हैं।

इमैनुएल मैक्रों आरटी-पीसीआर टेस्ट कराएं

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन संकट को लेकर बात करने पहुंचे थे। दोनों नेताओं के बीच में पांच घंटे तक चर्चा चली। रूस और फ्रांस दोनों ने एक दूसरे को वैकल्पिक प्रयासों पर विचार करने का वादा किया है, लेकिन इस दौरान एक दिलचस्प घटना भी हुई। रूसी प्रशासक ने वार्ता के लिए आए इमैनुएल मैक्रों के सामने आरटी-पीसीआर टेस्ट की शर्त रखी। रूस की तरफ से कहा गया कि राष्ट्रपति के साथ करीब में बैठकर चर्चा करनी है तो पहले कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना होगा। बताते हैं कि मैक्रों ने टेस्ट कराने से मना कर दिया। इसके बाद दोनों नेताओं ने कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेसिंग) का पालन करते हुए एक बड़ी मेज के दोनों तरफ बैठकर चर्चा की।

आखिर क्यों खामोश हैं पुतिन?

पुतिन न तो नार्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइप लाइन से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति रोके जाने की चेतावनी पर कोई प्रतिक्रिया दे रहे हैं और न ही अमेरिका के गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी पर। रूस ने अभी तक यूक्रेन की सीमा पर न तो अपने किसी कार्यक्रम में कोई बदलाव किया है और न ही इसका संकेत दिया है। उल्टे सैन्य तैनाती और यूक्रेन के चारों तरफ लगातार सैन्य तैनाती बढ़ रही है। माना जा रहा है कि अमेरिका और पश्चिम देशों के साथ राष्ट्रपति पुतिन अभी एक मनोवैज्ञानिक युद्ध लड़ रहे हैं। रूस मामलों के जानकारों का कहना है कि नार्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइप लाइन योजना से जितना रूस को आर्थिक लाभ होगा, उतना ही जर्मनी की सहूलियत बढ़ेगी। इसके अलावा यूरोप के उद्योग, कल कारखाने और घरेलू उपभोग के लिए ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से अहम है। इसे पुतिन भी समझ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि पुतिन खामोशी और संवाद का तालमेल बनाकर संदेश देने के लिए भी जाने जाते हैं। इसलिए अभी उनकी आवाज कहे जाने वाले सर्गेई लावरोव की सक्रियता काफी बढ़ गई है।

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