अमर उजाला रिसर्च टीम, नई दिल्ली।
Published by: Amit Mandal
Updated Wed, 11 Aug 2021 05:43 AM IST
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परिवार और पालतू जानवरों से भी हुए रूबरू
डेलमोट के मुताबिक, दुनियाभर के वैज्ञानिकों के साथ काम करना एक आनंदमयी अहसास रहा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान ही वैज्ञानिक एक-दूसरे के परिवार व पालतू जानवरों से अच्छी तरह रूबरू हो गए।
सिर्फ दो वैज्ञानिक, जो एक साथ डटे रहे
3,949 पेजों की इस रिपोर्ट पर जब आखिरी मुहर लगी तो पीयर्स फोस्टर व जोएरी रोगेल्ज ही ऐसे वैज्ञानिक थे, जो आपस में गले मिले सके। दरअसल, ब्रिटेन के फोस्टर ने लॉकडाउन के दौरान सहयोगी रोगेल्ज को साथ काम करने के लिए अपने घर बुला लिया था।
234 वैज्ञानिकों की मेहनत, अलग टाइम जोन
इस रिपोर्ट को बनाने में 65 देशों के 234 वैज्ञानिक जुटे थे। इनमें से कइयों का टाइम जोन अलग-अलग था, जिसके चलते सबकी नींद खराब होती थी।
घंटों माथापच्ची
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) में उपाध्यक्ष वेलेरी मैसन डेलमोट बताती हैं, रिपोर्ट में एक फुटनोट के लिए दर्जनों स्क्रीन में कैद वैज्ञानिकों को घंटों तक माथापच्ची करनी पड़ती थी। यह काम मैराथन जैसा था। एक दिन भारत में वैज्ञानिक को बैठक के लिए फोन किया तो पता लगा कि इलाका तूफानग्रस्त है। वहां बिजली और इंटरनेट नहीं हैं।
