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कोरोना की तीसरी लहर: अमेरिका व ब्रिटेन में बच्चों में बढ़ा संक्रमण, हमारे लिए खतरे का संकेत

अमर उजाला रिसर्च टीम, वाशिंगटन।
Published by: Amit Mandal
Updated Wed, 11 Aug 2021 05:54 AM IST

कोरोना वायरस (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI

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भारत में कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को अधिक नुकसान होने का अनुमान है। वहीं, अमेरिका व ब्रिटेन में बच्चों में संक्रमण के मामले पहले की दो लहर की तुलना में बढ़ गए हैं, जो हमारे लिए खतरे का संकेत हो सकता है। अलबामा, अरकंसास, लुसियाना व फ्लोरिडा में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। अरकंसास के चिल्ड्रेन अस्पताल में संक्रमण से भर्ती होने वाले बच्चों की दर में 50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। सात नवजात आईसीयू में तो दो वेंटिलेटर पर जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं।

लुसियाना में जुलाई के आखिरी सप्ताह में सर्वाधिक 4232 बच्चों में संक्रमण मिला है। यहां 15 से 21 जुलाई के बीच पांच साल से कम उम्र के 66 बच्चों में वायरस मिला है।  ब्रिटेन में हर दिन औसतन 40 बच्चे अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। वहीं फ्लोरिडा के स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि 12 वर्ष से कम उम्र के 10,785 मामले सामने आए थे। 12 से 19 वर्ष के 11,048 बच्चों में संक्रमण मिला है। 23 से 30 जुलाई के बीच 224 बच्चों को भर्ती कराया गया है। भारत में भी पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में बच्चे अधिक संक्रमित हुए हैं। संदेह है कि वायरस इस बार बच्चों को अपना शिकार बना सकता है।

कोरोना से बच्चों को खतरा कम नहीं हुआ
अमेरिका में 2020 में बच्चों की मौत का प्रमुख कारण कोरोना था। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. एडम फिन्न बताते हैं कि बच्चों में कोरोना  संक्रमण का खतरा कम नहीं हुआ है। मेरे साथी बताते हैं कि वे अस्पताल में संक्रमित बच्चों को देख रहे हैं लेकिन संख्या ज्यादा है। इससे स्पष्ट है बीमारी के मामले में ये लहर पहले की दो लहर की तुलना में थोड़ी अलग है।

बच्चों को हर हाल में लगे टीका 
इंपीरियल कॉलेज लंदन की पीडियाट्रिक इंफेक्सियश डिसीज विशेषज्ञ डॉ. एलिजाबेथ व्हिटकर का कहना है कि अमेरिका व ब्रिटेन में 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में संक्रमण दर बढ़ी है। इनमें अधिकतर बच्चे ऐसे हैं जिन्हें टीका नहीं लगा है। ऐसे में बच्चों को हर हाल में टीका लगाना होगा।

मोटे बच्चों के लिए कठिन समय 
विशेषज्ञों का कहना है कि मोटे व मधुमेह से ग्रसित बच्चों के लिए ये कठिन समय है। संक्रमण के मामले अचानक बढ़ने लगे हैं। अमेरिका में बच्चों में पीडियाट्रिक इन्फलैमेट्री मल्टी सिस्टम सिंड्रोम (पीआाईएमएस) के मामले बढ़ रहे हैं जिसका समय पर इलाज न हो तो बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है।

पीआईएमएस पीडि़त बच्चों को पहचानें
अमेरिका के सीडीसी की निदेशक प्रो. रोशेल वैलेंस्की के अनुसार कोरोना संक्रमण के तीन से चार सप्ताह बाद बच्चों को पीआईएमएस की चपेट में आने का खतरा रहता है। बच्चे को कई दिन तक तेज बुखार, पेट में दर्द, डायरिया, उल्टी, त्वचा पर चकत्ते लाल आंखें व हाथ-पैर का ठंडा होने जैसे लक्षण दिखते हैं।

विस्तार

भारत में कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को अधिक नुकसान होने का अनुमान है। वहीं, अमेरिका व ब्रिटेन में बच्चों में संक्रमण के मामले पहले की दो लहर की तुलना में बढ़ गए हैं, जो हमारे लिए खतरे का संकेत हो सकता है। अलबामा, अरकंसास, लुसियाना व फ्लोरिडा में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। अरकंसास के चिल्ड्रेन अस्पताल में संक्रमण से भर्ती होने वाले बच्चों की दर में 50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। सात नवजात आईसीयू में तो दो वेंटिलेटर पर जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं।

लुसियाना में जुलाई के आखिरी सप्ताह में सर्वाधिक 4232 बच्चों में संक्रमण मिला है। यहां 15 से 21 जुलाई के बीच पांच साल से कम उम्र के 66 बच्चों में वायरस मिला है।  ब्रिटेन में हर दिन औसतन 40 बच्चे अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। वहीं फ्लोरिडा के स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि 12 वर्ष से कम उम्र के 10,785 मामले सामने आए थे। 12 से 19 वर्ष के 11,048 बच्चों में संक्रमण मिला है। 23 से 30 जुलाई के बीच 224 बच्चों को भर्ती कराया गया है। भारत में भी पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में बच्चे अधिक संक्रमित हुए हैं। संदेह है कि वायरस इस बार बच्चों को अपना शिकार बना सकता है।

कोरोना से बच्चों को खतरा कम नहीं हुआ

अमेरिका में 2020 में बच्चों की मौत का प्रमुख कारण कोरोना था। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. एडम फिन्न बताते हैं कि बच्चों में कोरोना  संक्रमण का खतरा कम नहीं हुआ है। मेरे साथी बताते हैं कि वे अस्पताल में संक्रमित बच्चों को देख रहे हैं लेकिन संख्या ज्यादा है। इससे स्पष्ट है बीमारी के मामले में ये लहर पहले की दो लहर की तुलना में थोड़ी अलग है।

बच्चों को हर हाल में लगे टीका 

इंपीरियल कॉलेज लंदन की पीडियाट्रिक इंफेक्सियश डिसीज विशेषज्ञ डॉ. एलिजाबेथ व्हिटकर का कहना है कि अमेरिका व ब्रिटेन में 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में संक्रमण दर बढ़ी है। इनमें अधिकतर बच्चे ऐसे हैं जिन्हें टीका नहीं लगा है। ऐसे में बच्चों को हर हाल में टीका लगाना होगा।

मोटे बच्चों के लिए कठिन समय 

विशेषज्ञों का कहना है कि मोटे व मधुमेह से ग्रसित बच्चों के लिए ये कठिन समय है। संक्रमण के मामले अचानक बढ़ने लगे हैं। अमेरिका में बच्चों में पीडियाट्रिक इन्फलैमेट्री मल्टी सिस्टम सिंड्रोम (पीआाईएमएस) के मामले बढ़ रहे हैं जिसका समय पर इलाज न हो तो बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है।

पीआईएमएस पीडि़त बच्चों को पहचानें

अमेरिका के सीडीसी की निदेशक प्रो. रोशेल वैलेंस्की के अनुसार कोरोना संक्रमण के तीन से चार सप्ताह बाद बच्चों को पीआईएमएस की चपेट में आने का खतरा रहता है। बच्चे को कई दिन तक तेज बुखार, पेट में दर्द, डायरिया, उल्टी, त्वचा पर चकत्ते लाल आंखें व हाथ-पैर का ठंडा होने जैसे लक्षण दिखते हैं।

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