एजेंसी, वाॅशिंगटन।
Published by: योगेश साहू
Updated Fri, 18 Feb 2022 07:01 AM IST
सार
गैर-संक्रमित लोगों की तुलना में, संक्रमित लोगों में मानसिक विकार पैदा होने का जोखिम 60 फीसदी ज्याददा मिला। संक्रमित लोगों में एंटीडिप्रेसेंट दवाओ की खपत में करीब 55 फीसदी की वृद्धि हुई है, चिंता के लिए इस्तेमाल होने वाली बेंजोडायजेपाइन की खपत 65 फीसदी बढ़ी है।
दुनिया में अब तक करीब 41.8 करोड़ लोग कोविड महामारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से करीब 1.48 करोड़ लोग आधिकारिक तौर पर मानसिक विकारों की गिरफ्त में हैं। अमेरिका में हुए एक अध्ययन के मुताबिक कोविड से पीड़ित रह चुके लोगों में संक्रमण के एक वर्ष बाद भी चिंता, अवसाद और नींद में कमी सहित कई मानसिक विकारों का जोखिम बना रहता है।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञानी अल-एली कहते हैं कि कोविड की वजह से मानसिक चुनौतियों का सामना कर रहे लोगों की वास्तविक संख्या बहुत अधिक हो सकती है, करोड़ों लोग चुपचाप मानसिक विकारों का सामना कर रहे हैं।
संक्रमित लोगों में ज्यादा आता है आत्महत्या का विचार
संक्रमित लोगों में अफीम आधारित दवाओं के आदी बनने की आशंका 34 फीसदी ज्यादा पाई गई, शराब या किसी अवैध मादक द्रव्य की लत लगने का जोखिम 20 फीसदी अधिक था। आम लोगों की तुलना में आत्महत्या के विचार आने का जोखिम 46 फीसदी तक अधिक था।
अमेरिका में हुआ अध्ययन : अवसादग्रस्त होने का खतरा 40 फीसदी बढ़ा
गैर-संक्रमित लोगों की तुलना में, संक्रमित लोगों में मानसिक विकार पैदा होने का जोखिम 60 फीसदी ज्याददा मिला। संक्रमित लोगों में एंटीडिप्रेसेंट दवाओ की खपत में करीब 55 फीसदी की वृद्धि हुई है, चिंता के लिए इस्तेमाल होने वाली बेंजोडायजेपाइन की खपत 65 फीसदी बढ़ी है। कोविड से उबरने वाले 41 फीसदी नींद संबंधी विकारों से जूझ रहे हैं। 80 फीसदी न्यूरोकॉग्निटिव तौर पर प्रभावित होने की आशंका है।
विस्तार
दुनिया में अब तक करीब 41.8 करोड़ लोग कोविड महामारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से करीब 1.48 करोड़ लोग आधिकारिक तौर पर मानसिक विकारों की गिरफ्त में हैं। अमेरिका में हुए एक अध्ययन के मुताबिक कोविड से पीड़ित रह चुके लोगों में संक्रमण के एक वर्ष बाद भी चिंता, अवसाद और नींद में कमी सहित कई मानसिक विकारों का जोखिम बना रहता है।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञानी अल-एली कहते हैं कि कोविड की वजह से मानसिक चुनौतियों का सामना कर रहे लोगों की वास्तविक संख्या बहुत अधिक हो सकती है, करोड़ों लोग चुपचाप मानसिक विकारों का सामना कर रहे हैं।
संक्रमित लोगों में ज्यादा आता है आत्महत्या का विचार
संक्रमित लोगों में अफीम आधारित दवाओं के आदी बनने की आशंका 34 फीसदी ज्यादा पाई गई, शराब या किसी अवैध मादक द्रव्य की लत लगने का जोखिम 20 फीसदी अधिक था। आम लोगों की तुलना में आत्महत्या के विचार आने का जोखिम 46 फीसदी तक अधिक था।
अमेरिका में हुआ अध्ययन : अवसादग्रस्त होने का खतरा 40 फीसदी बढ़ा
गैर-संक्रमित लोगों की तुलना में, संक्रमित लोगों में मानसिक विकार पैदा होने का जोखिम 60 फीसदी ज्याददा मिला। संक्रमित लोगों में एंटीडिप्रेसेंट दवाओ की खपत में करीब 55 फीसदी की वृद्धि हुई है, चिंता के लिए इस्तेमाल होने वाली बेंजोडायजेपाइन की खपत 65 फीसदी बढ़ी है। कोविड से उबरने वाले 41 फीसदी नींद संबंधी विकारों से जूझ रहे हैं। 80 फीसदी न्यूरोकॉग्निटिव तौर पर प्रभावित होने की आशंका है।
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