प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, यह समझौता भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों के लिए वास्तव में एक अहम पल है। इस समझौते के आधार पर, हम एक साथ आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को बढ़ाने में सक्षम होंगे और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता में भी योगदान देंगे। इस करार से दोनों देशों के बीच विद्यार्थियों, पेशेवरों और पर्यटनों के आदान प्रदान की सुविधा भी बढ़ेगी।
कपड़ा, चमड़ा, आभूषण और खेल उत्पाद समेत 95 फीसदी से अधिक भारतीय वस्तुओं पर अब ऑस्ट्रेलियाई बाजार में कोई शुल्क नहीं लगेगा। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार, पर्यटन और निवेश मंत्री डैन टेहन ने एक ऑनलाइन समारोह में भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते पर दस्तखत किए। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन भी मौजूद थे।
ऑस्ट्रेलिया इस समझौते के तहत पहले दिन से निर्यात के लगभग 96.4 प्रतिशत मूल्य पर भारत को शून्य शुल्क की पेशकश कर रहा है। इसमें ऐसे कई उत्पाद शामिल हैं, जिन पर वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में चार से पांच प्रतिशत का सीमा शुल्क लगता है।
भारत ऑस्ट्रेलिया संबंधों में अहम पहल : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, यह समझौता भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों के लिए वास्तव में एक अहम पल है। इस समझौते के आधार पर, हम एक साथ आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को बढ़ाने में सक्षम होंगे और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता में भी योगदान देंगे। इस करार से दोनों देशों के बीच विद्यार्थियों, पेशेवरों और पर्यटनों के आदान प्रदान की सुविधा भी बढ़ेगी।
दोनों देशें के बीच संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे : मॉरिसन
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरिसन ने कहा, यह समझौता भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के करीबी संबंधों को और भी गहरा बना देगा। इससे ऑस्ट्रेलियाई किसानों, निर्माताओं, उत्पादकों और कई अन्य लोगों के लिए दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था में एक बड़ा द्वार खुलेगा।
पांच वर्षों में द्विपक्षीय कारोबार 50 अरब डॉलर तक पहुंचेगा : गोयल
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, भारत और ऑस्ट्रेलिया दो भाई जैसे हैं। यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को 27 अरब डॉलर से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 45 से 50 अरब डॉलर तक पहुंचने में मददगार होगा। इससे करीब दस लाख नए रोजगार भी पैदा होंगे। उन्होंने कहा, भारत-ऑस्ट्रेलिया स्वाभाविक साझेदार हैं, जो लोकतंत्र, कानून के शासन और पारदर्शिता के साझा मूल्यों से जुड़े हैं। दो भाइयों की तरह, दोनों राष्ट्रों ने महामारी के दौरान एक-दूसरे का समर्थन किया।
करार में ये वस्तुएं शामिल
इस समझौते में टेक्साइटल और परिधान, चुनिंदा कृषि और मत्स्य उत्पाद, चमड़ा, जूते, फर्नीचर, खेल उत्पाद, आभूषण, मशीनरी, इलेक्ट्रिक सामान और रेलवे वैगन जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों को विशेष लाभ होगा।
ऑस्ट्रेलिया भारत का 17वां सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार
भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया 17वां सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है और ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत नौंवा सबसे बड़ा साझेदार है। दोनों देशों के बीच 2021 में माल एवं सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार 27.5 अरब डॉलर था। 2021 में भारत से वस्तुओं का निर्यात 6.9 अरब डॉलर का था और आयात 15.1 अरब डॉलर था।
भारत द्वारा ऑस्ट्रेलिया को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में प्रमुख रूप से पेट्रोलियम उत्पाद, टेक्सटाइल और परिधान, इंजीनियरिंग सामान, चमड़ा, रसायन, रत्न और आभूषण शामिल हैं। आयात में मुख्य रूप से कच्ची सामग्री, कोयला, खनिज और मध्यवर्ती सामान शामिल है।
विस्तार
कपड़ा, चमड़ा, आभूषण और खेल उत्पाद समेत 95 फीसदी से अधिक भारतीय वस्तुओं पर अब ऑस्ट्रेलियाई बाजार में कोई शुल्क नहीं लगेगा। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार, पर्यटन और निवेश मंत्री डैन टेहन ने एक ऑनलाइन समारोह में भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते पर दस्तखत किए। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन भी मौजूद थे।
ऑस्ट्रेलिया इस समझौते के तहत पहले दिन से निर्यात के लगभग 96.4 प्रतिशत मूल्य पर भारत को शून्य शुल्क की पेशकश कर रहा है। इसमें ऐसे कई उत्पाद शामिल हैं, जिन पर वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में चार से पांच प्रतिशत का सीमा शुल्क लगता है।
भारत ऑस्ट्रेलिया संबंधों में अहम पहल : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, यह समझौता भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों के लिए वास्तव में एक अहम पल है। इस समझौते के आधार पर, हम एक साथ आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को बढ़ाने में सक्षम होंगे और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता में भी योगदान देंगे। इस करार से दोनों देशों के बीच विद्यार्थियों, पेशेवरों और पर्यटनों के आदान प्रदान की सुविधा भी बढ़ेगी।