न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sat, 29 Jan 2022 12:50 PM IST
सार
महाराष्ट्र की बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल डांट की वजह से कोई भी बेटा अपने पिता की हत्या नहीं कर सकता है।
महाराष्ट्र की बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल डांट की वजह से कोई भी बेटा अपने पिता की हत्या नहीं कर सकता है। अदालत ने कहा कि एक छोटी सी डांट बेटे को अपने पिता की हत्या करने के लिए उकसा नहीं सकता है। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच साल 2013 में एक बेटे द्वारा पिता की हत्या के मामले की सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान बेंच ने यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा दिए गए आजीवन कारावास को बरकरार रखा। हालांकि आरोपी ने सजा कम करने की गुहार भी लगाई।
क्या है मामला
कोल्हापुर और शिरडी के मंदिर में पुजारी रह चुके हत्यारे बेटे के पिता उसे अन्य जगह पर काम करने के लिए जाने के लिए कहते थे लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं होता था। इसी बात को लेकर कभी-कभी पिता नाराज हो जाते थे। 13 दिसंबर 2013 की बात है जब पिता ने क्रोधित होकर बेटे से कहा कि तुम कहीं जब तक ढंग की नौकरी नहीं पकड़ लेते हो तब तक घर मत जाना। पिता की डांट सुनने के बाद आरोपी शख्स नाराज हो गया और एक बूढ़े को थप्पड़ मार दिया। इस बात से पिता और नाराज हो गए उन्होंने उसके व्यवहार को ठीक करने के लिए कहा। इतना कहते ही आरोपी शख्स ने चाकू निकाल लिया और पिता पर ताबड़तोड़ वार कर दिया। पिता की मौके पर मौत हो गई।
कोर्ट में हुई बहस, बेटे ने कहा-डांट की वजह से वह अचानक क्रोधित हो गया
बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हत्यारे बेटे ने कहा कि वह पिता के डांटने से अचानक क्रोधित हो गया और यह कदम उठा लिया। बेटे ने अदालत से गुहार लगाते हुए कहा कि उसकी सजा को कम किया जाए क्योंकि यह हत्या गैर इरादतन श्रेणी में है। इसपर अदालत ने कहा कि हमने मान लिया कि पिता ने आपको डांटा लेकिन केवल डांट की वजह से कोई भी इंसान अपने पिता की हत्या नहीं कर सकता यहां तक कि अन्य लोग भी केवल डांट की वजह से किसी दूसरे शख्स की हत्या नहीं कर सकता है।
विस्तार
महाराष्ट्र की बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल डांट की वजह से कोई भी बेटा अपने पिता की हत्या नहीं कर सकता है। अदालत ने कहा कि एक छोटी सी डांट बेटे को अपने पिता की हत्या करने के लिए उकसा नहीं सकता है। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच साल 2013 में एक बेटे द्वारा पिता की हत्या के मामले की सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान बेंच ने यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा दिए गए आजीवन कारावास को बरकरार रखा। हालांकि आरोपी ने सजा कम करने की गुहार भी लगाई।
क्या है मामला
कोल्हापुर और शिरडी के मंदिर में पुजारी रह चुके हत्यारे बेटे के पिता उसे अन्य जगह पर काम करने के लिए जाने के लिए कहते थे लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं होता था। इसी बात को लेकर कभी-कभी पिता नाराज हो जाते थे। 13 दिसंबर 2013 की बात है जब पिता ने क्रोधित होकर बेटे से कहा कि तुम कहीं जब तक ढंग की नौकरी नहीं पकड़ लेते हो तब तक घर मत जाना। पिता की डांट सुनने के बाद आरोपी शख्स नाराज हो गया और एक बूढ़े को थप्पड़ मार दिया। इस बात से पिता और नाराज हो गए उन्होंने उसके व्यवहार को ठीक करने के लिए कहा। इतना कहते ही आरोपी शख्स ने चाकू निकाल लिया और पिता पर ताबड़तोड़ वार कर दिया। पिता की मौके पर मौत हो गई।
कोर्ट में हुई बहस, बेटे ने कहा-डांट की वजह से वह अचानक क्रोधित हो गया
बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हत्यारे बेटे ने कहा कि वह पिता के डांटने से अचानक क्रोधित हो गया और यह कदम उठा लिया। बेटे ने अदालत से गुहार लगाते हुए कहा कि उसकी सजा को कम किया जाए क्योंकि यह हत्या गैर इरादतन श्रेणी में है। इसपर अदालत ने कहा कि हमने मान लिया कि पिता ने आपको डांटा लेकिन केवल डांट की वजह से कोई भी इंसान अपने पिता की हत्या नहीं कर सकता यहां तक कि अन्य लोग भी केवल डांट की वजह से किसी दूसरे शख्स की हत्या नहीं कर सकता है।
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