सार
बिभोर की पत्नी के मुताबिक गत 25 फरवरी को बिहार के औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत घने जंगलों में शाम पांच बजे यह घटना हुई थी। अगले दिन 12 बजे के बाद वे दिल्ली एम्स पहुंचे हैं। उससे पहले सड़के के रास्ते उन्हें बिहार के गया अस्पताल तक लाया गया। बाद में कहा गया कि रात होने के चलते अब हेलिकॉप्टर नहीं जाएगा। अगले दिन दोपहर को हेलिकॉप्टर मिल सका। लेकिन तब बहुत देर हो चुकी थी…
कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से बिभोर कुमार सिंह को बहादुरी के लिए ‘कीर्ति चक्र’ से सम्मानित करने की मांग की है। बिभोर सिंह नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए गठित सीआरपीएफ की विशेष प्रशिक्षित इकाई ‘कोबरा’ बटालियन 205 के ग्राउंड कमांडर ‘एसी’ हैं। उनकी पत्नी रितु बताती हैं कि आईईडी हमले में बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद उनके हाथ से राइफल नहीं छूटी थी। उन्हें अपनी चोट की गहराई का अंदाजा नहीं था और वे आगे बढ़ते रहे। अगर समय पर हेलिकॉप्टर पहुंच जाता, तो बिभोर समय रहते अस्पताल पहुंच सकते थे। हमले के करीब 20 घंटे बाद उन्हें दिल्ली एम्स लाया गया था। नतीजा, डॉक्टरों को उनकी दोनों टांगें काटनी पड़ीं। एक हाथ की दो अंगुलियां भी काट दी गईं। सहायक कमांडेंट को एम्स में प्राइवेट वार्ड तक नहीं दिया गया। सामान्य वार्ड में भर्ती बिभोर सिंह का हाल जानने के लिए गृह मंत्रालय से कोई अधिकारी या मंत्री नहीं पहुंचा।
रितु ने बताया, अगले दिन दोपहर को हेलिकॉप्टर मिल सका
बिभोर की पत्नी के मुताबिक गत 25 फरवरी को बिहार के औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत घने जंगलों में शाम पांच बजे यह घटना हुई थी। अगले दिन 12 बजे के बाद वे दिल्ली एम्स पहुंचे हैं। उससे पहले सड़के के रास्ते उन्हें बिहार के गया अस्पताल तक लाया गया। बाद में कहा गया कि रात होने के चलते अब हेलिकॉप्टर नहीं जाएगा। अगले दिन दोपहर को हेलिकॉप्टर मिल सका। लेकिन तब बहुत देर हो चुकी थी।
बतौर रितु, समय पर हेलिकॉप्टर आता तो उन्हें इतनी बड़ी शारीरिक हानि से बचाया जा सकता था। चार माह की बच्ची को कंधे से लगाए रितु ने कहा, घटना के बाद उन्हें बताया गया कि बिभोर को थोड़ी चोट लगी है। बाद में कहा गया किे उन्हें चॉपर से दिल्ली ले जाया जाएगा। मालूम पड़ा कि चॉपर बहुत ज्यादा लेट हो गया है। रविवार को कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने एम्स के ट्रामा सेंटर में असिस्टेंट कमांडेंट के परिवार से मुलाकात की। कोबरा जांबाज बिभोर कुमार सिंह के पिता बताते हैं कि अभी तक केंद्र सरकार का कोई भी मंत्री जांबाज का हौसला बढ़ाने व हालचाल पूछने नहीं आया। बिभोर कुमार सिंह की पत्नी रितु ने भारी मन से एयर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराने के लिए मौजूदा व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया।
एमआई हेलिकॉप्टर तैयार रखना चाहिए
कॉन्फेडरेशन के चेयरमैन पूर्व एडीजी सीआरपीएफ एचआर सिंह ने कहा, यह फोर्स भारत का सबसे बड़ा सुरक्षा बल है। सीआरपीएफ द्वारा नक्सलियों, दहशतगर्दों व आंतरिक सुरक्षा के मद्देनजर लगातार सुरक्षा अभियान चलाता जाता है। इसके बावजूद सीआरपीएफ के लिए अलग से बीएसएफ की तर्ज पर एयर विंग का गठन क्यों नहीं हो सका। नक्सल प्रभावित इलाकों में एमआई हेलिकॉप्टर स्टैंड बाई में रखने की आवश्यकता है। इससे आपात स्थिति में जवानों को इलाज के लिए समय पर बड़े अस्पतालों में शिफ्ट किया जा सकता है।
घायल जवानों व अधिकारियों को मेडिकल कैटेगरी का बहाना बना कर प्रमोशन के लाभ से वंचित न किया जाए। उम्मीद है कि केंद्रीय गृह मंत्री या गृह राज्य मंत्री, कोबरा जांबाज के परिवार से मुलाकात कर उनकी हौसला अफजाई करेंगे। कॉन्फेडरेशन के अध्यक्ष जयेंद्र सिंह राणा ने कहा, एयर फोर्स हेलिकॉप्टर के कप्तान को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। उन्होंने विजिबिलिटी का बहाना बना कर चॉपर उड़ाने से मना कर दिया। नक्सल विरोधी अभियान में रहे पूर्व आईजी और सुप्रीम कोर्ट के वकील सुरेश कुमार शर्मा ने पीड़ित परिवार को भरोसा दिलाया है कि इस संकट की घड़ी में 20 लाख पैरामिलिट्री परिवार जांबाज कोबरा कमांडर के साथ खड़े हैं।
समय पर एयर एंबुलेंस न मिलना, शर्मनाक है
महासचिव रणबीर सिंह ने कहा कि जिस तरह से बीएसएफ में अपनी एयरविंग है, तो वैसे ही भारत के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ को अभी तक यह विंग क्यों नहीं मिल सका। सीआरपीएफ की सैकड़ों बटालियन पिछले 15 सालों से नक्सल बहुल राज्यों में नक्सलियों से मुकाबला कर रही हैं। आए दिन जवान शहीद हो रहे हैं। समय रहते मेडिकल सहायता व एयर एंबुलेंस न मिल पाना सरकार के लिए शर्मनाक जैसा है।
पूर्व आईजी सुरेश कुमार शर्मा ने कहा, राजनेता बड़े-बड़े राष्ट्रवादी होने का दावा करते हैं। उन अर्धसैनिकों के बारे में कौन जवाबदेह है, जो तिरंगे में लिपट कर आते हैं। सरकारें चुनावी मौसम में मशगूल हैं, हर तरफ जश्न का माहौल है, दिन-रात जीतने के लिए राजनेता हर दांव आजमा रहे हैं, लेकिन जवानों की सुविधाओं के बारे में गृह मंत्रालय कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है। अगर समय रहते कोबरा के सहायक कमांडेंट को एयर एंबुलेंस से एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया जाता, तो बिभोर कुमार सिंह के दोनों पैर काटने की नौबत नहीं आती।
विस्तार
कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से बिभोर कुमार सिंह को बहादुरी के लिए ‘कीर्ति चक्र’ से सम्मानित करने की मांग की है। बिभोर सिंह नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए गठित सीआरपीएफ की विशेष प्रशिक्षित इकाई ‘कोबरा’ बटालियन 205 के ग्राउंड कमांडर ‘एसी’ हैं। उनकी पत्नी रितु बताती हैं कि आईईडी हमले में बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद उनके हाथ से राइफल नहीं छूटी थी। उन्हें अपनी चोट की गहराई का अंदाजा नहीं था और वे आगे बढ़ते रहे। अगर समय पर हेलिकॉप्टर पहुंच जाता, तो बिभोर समय रहते अस्पताल पहुंच सकते थे। हमले के करीब 20 घंटे बाद उन्हें दिल्ली एम्स लाया गया था। नतीजा, डॉक्टरों को उनकी दोनों टांगें काटनी पड़ीं। एक हाथ की दो अंगुलियां भी काट दी गईं। सहायक कमांडेंट को एम्स में प्राइवेट वार्ड तक नहीं दिया गया। सामान्य वार्ड में भर्ती बिभोर सिंह का हाल जानने के लिए गृह मंत्रालय से कोई अधिकारी या मंत्री नहीं पहुंचा।
रितु ने बताया, अगले दिन दोपहर को हेलिकॉप्टर मिल सका
बिभोर की पत्नी के मुताबिक गत 25 फरवरी को बिहार के औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत घने जंगलों में शाम पांच बजे यह घटना हुई थी। अगले दिन 12 बजे के बाद वे दिल्ली एम्स पहुंचे हैं। उससे पहले सड़के के रास्ते उन्हें बिहार के गया अस्पताल तक लाया गया। बाद में कहा गया कि रात होने के चलते अब हेलिकॉप्टर नहीं जाएगा। अगले दिन दोपहर को हेलिकॉप्टर मिल सका। लेकिन तब बहुत देर हो चुकी थी।
बतौर रितु, समय पर हेलिकॉप्टर आता तो उन्हें इतनी बड़ी शारीरिक हानि से बचाया जा सकता था। चार माह की बच्ची को कंधे से लगाए रितु ने कहा, घटना के बाद उन्हें बताया गया कि बिभोर को थोड़ी चोट लगी है। बाद में कहा गया किे उन्हें चॉपर से दिल्ली ले जाया जाएगा। मालूम पड़ा कि चॉपर बहुत ज्यादा लेट हो गया है। रविवार को कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने एम्स के ट्रामा सेंटर में असिस्टेंट कमांडेंट के परिवार से मुलाकात की। कोबरा जांबाज बिभोर कुमार सिंह के पिता बताते हैं कि अभी तक केंद्र सरकार का कोई भी मंत्री जांबाज का हौसला बढ़ाने व हालचाल पूछने नहीं आया। बिभोर कुमार सिंह की पत्नी रितु ने भारी मन से एयर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराने के लिए मौजूदा व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया।
एमआई हेलिकॉप्टर तैयार रखना चाहिए
कॉन्फेडरेशन के चेयरमैन पूर्व एडीजी सीआरपीएफ एचआर सिंह ने कहा, यह फोर्स भारत का सबसे बड़ा सुरक्षा बल है। सीआरपीएफ द्वारा नक्सलियों, दहशतगर्दों व आंतरिक सुरक्षा के मद्देनजर लगातार सुरक्षा अभियान चलाता जाता है। इसके बावजूद सीआरपीएफ के लिए अलग से बीएसएफ की तर्ज पर एयर विंग का गठन क्यों नहीं हो सका। नक्सल प्रभावित इलाकों में एमआई हेलिकॉप्टर स्टैंड बाई में रखने की आवश्यकता है। इससे आपात स्थिति में जवानों को इलाज के लिए समय पर बड़े अस्पतालों में शिफ्ट किया जा सकता है।
घायल जवानों व अधिकारियों को मेडिकल कैटेगरी का बहाना बना कर प्रमोशन के लाभ से वंचित न किया जाए। उम्मीद है कि केंद्रीय गृह मंत्री या गृह राज्य मंत्री, कोबरा जांबाज के परिवार से मुलाकात कर उनकी हौसला अफजाई करेंगे। कॉन्फेडरेशन के अध्यक्ष जयेंद्र सिंह राणा ने कहा, एयर फोर्स हेलिकॉप्टर के कप्तान को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। उन्होंने विजिबिलिटी का बहाना बना कर चॉपर उड़ाने से मना कर दिया। नक्सल विरोधी अभियान में रहे पूर्व आईजी और सुप्रीम कोर्ट के वकील सुरेश कुमार शर्मा ने पीड़ित परिवार को भरोसा दिलाया है कि इस संकट की घड़ी में 20 लाख पैरामिलिट्री परिवार जांबाज कोबरा कमांडर के साथ खड़े हैं।
समय पर एयर एंबुलेंस न मिलना, शर्मनाक है
महासचिव रणबीर सिंह ने कहा कि जिस तरह से बीएसएफ में अपनी एयरविंग है, तो वैसे ही भारत के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ को अभी तक यह विंग क्यों नहीं मिल सका। सीआरपीएफ की सैकड़ों बटालियन पिछले 15 सालों से नक्सल बहुल राज्यों में नक्सलियों से मुकाबला कर रही हैं। आए दिन जवान शहीद हो रहे हैं। समय रहते मेडिकल सहायता व एयर एंबुलेंस न मिल पाना सरकार के लिए शर्मनाक जैसा है।
पूर्व आईजी सुरेश कुमार शर्मा ने कहा, राजनेता बड़े-बड़े राष्ट्रवादी होने का दावा करते हैं। उन अर्धसैनिकों के बारे में कौन जवाबदेह है, जो तिरंगे में लिपट कर आते हैं। सरकारें चुनावी मौसम में मशगूल हैं, हर तरफ जश्न का माहौल है, दिन-रात जीतने के लिए राजनेता हर दांव आजमा रहे हैं, लेकिन जवानों की सुविधाओं के बारे में गृह मंत्रालय कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है। अगर समय रहते कोबरा के सहायक कमांडेंट को एयर एंबुलेंस से एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया जाता, तो बिभोर कुमार सिंह के दोनों पैर काटने की नौबत नहीं आती।
Source link
Share this:
-
Click to share on Facebook (Opens in new window)
-
Like this:
Like Loading...
Central reserve police force, confederation of ex-paramilitary forces welfare association, crpf, crpf assistant commandant, crpf bibhor singh nagar, India News in Hindi, Latest India News Updates, naxal crpf attack, naxal operation crpf, paramilitary forces