न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलुरु
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Sat, 05 Mar 2022 09:20 PM IST
सार
भारत के पहले स्वदेशी फ्लाइंग ट्रेनर विमान हंसा-एनजी ने 19 फरवरी से 5 मार्च तक पुडुचेरी में समुद्र स्तरीय परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। एनएएल ने इसकी जानकारी शनिवार को विज्ञप्ति जारी करके दी।
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विस्तार
एनएएल ने बताया कि इन परीक्षणों का उद्देश्य समुद्र के स्तर पर विमान की प्रणालियों का मूल्यांकन करना था। एनएएल ने आगे बताया कि समुद्र स्तर के परीक्षणों के सभी उद्देश्यों को पूरा किया गया है। जिसके बाद विमान को पुडुचेरी में 18 घंटे की उड़ान पूरी करने के बाद 5 मार्च को बेंगलुरु वापस भेज दिया गया।
पहले स्वदेशी फ्लाइंग ट्रेनर विमान हंसा-एनजी को विंग कमांडर के वी प्रकाश और एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम्स टेस्टिंग एस्टाब्लिशमेंट(एएसटीई) के विंग कमांडर दिलीप रेड्डी ने उड़ाया था। इस उड़ान की निगरानी एनएएल डिजाइनरों और विंग उड़ान परीक्षण निदेशक के रूप में सीडीआर रीजू चक्रवर्ती ने टेलीमेट्री से की थी।
एनएएल के मुताबिक, हंसा-एनजी रोटैक्स डिजिटल कंट्रोल इंजन द्वारा संचालित सबसे उन्नत फ्लाइंग ट्रेनर्स विमानों में से एक है। हंसा-एनजी की अनोखी विशेषताओं में आरामदायक केबिन के साथ ग्लास कॉकपिट, डिजिटल तौर पर नियंत्रित अत्यधिक कुशल इंजन, विद्युत संचालित फ्लैप, लॉग एंड्यूरेंस, लो एक्विजेंशन और कम परिचालन लागत शामिल हैं।
एनएएल ने बताया कि इस विमान को भारतीय फ्लाइंग क्लब की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है। इस विमान में ईंधन भी कम लगता है और लागत कम आती है। इस हिसाब से यह विमान कमर्शियल पायलट लाइसेंसिंग(सीपीएल) की लिए बेहतर विमान है।
एनएएल के डायरेक्टर जितेंद्र जे जाधव ने कहा कि हंसा-एनजी की कुल 37 उड़ानें और 50 घंटे की उड़ान पूरी हो चुकी है। उन्होंने बताया कि डीजीसीए द्वारा टाइप सर्टिफिकेशन मिलने से पहले इसकी कुछ उड़ाने और संचालित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि अप्रैल तक इस विमान को टाइप सर्टिफिकेशन मिलने की संभावना है। इसके बाद सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ इसका निर्माण शुरू किया जाएगा। जो प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के तहत एयरोस्पेस इकोसिस्टम को और मजबूत करेगा।