टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रदीप पाण्डेय
Updated Sat, 06 Nov 2021 11:05 AM IST
सार
फेसबुक ने अपने नए नाम की घोषणा करते हुए कहा है कि वह चाहती है कि दुनिया उसे सिर्फ एक सोशल मीडिया कंपनी के तौर पर नहीं, बल्कि मेटावर्स (metaverse) के तौर पर जाने।
Meta Branding
– फोटो : amarujala
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विस्तार
फेसबुक ने पिछले सप्ताह ही अपने नए नाम की घोषणा की है और अब व्हाट्सएप, इंटाग्राम, मैसेंजर और फेसबुक एप पर कंपनी के नए नाम मेटा (Meta) की ब्रांडिंग दिखने लगी है। फेसबुक के सभी एप्स के ठीक नीचे जहां फेसबुक की ब्रांडिंग थी, वहां अब मेटा की ब्रांडिंग देखी जा सकती है। फेसबुक ने अपने नए नाम की घोषणा करते हुए कहा है कि वह चाहती है कि दुनिया उसे सिर्फ एक सोशल मीडिया कंपनी के तौर पर नहीं, बल्कि मेटावर्स (metaverse) के तौर पर जाने।
फेसबुक के अलावा अलावा माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम जैसी कंपनियां भी अपने मेटावर्स पर काम कर रही हैं। मेटा की ब्रांडिंग सबसे पहले व्हाट्सएप के एंड्रॉयड और आईओएस के बीटा वर्जन पर देखने को मिली है। उसके बाद फेसबुक मैसेंजर, इंस्टाग्राम और फेसबुक एप पर भी मेटा की ब्रांडिंग देखी जा सकती है।
हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि नई ब्रांडिंग के अलावा फेसबुक एप के फीचर में कोई बदलाव होगा या नहीं। साल 2019 में इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के साथ फेसबुक की ब्रांडिंग जुड़ी थी। फेसबुक द्वारा इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के अधिग्रहण के बाद पहली ब्रांडिंग हुई थी।
मेटावर्स क्या है?
मेटावर्स भले ही आज अचानक से चर्चा में आया है लेकिन यह काफी पुराना शब्द है। 1992 में नील स्टीफेंसन ने अपने डायस्टोपियन उपन्यास “स्नो क्रैश” में इसका जिक्र किया था। स्टीफेंसन के उपन्यास में मेटावर्स का मतलब एक ऐसी दुनिया से था जिसमें लोग गेम में डिजिटल दुनिया वाले गैजेट जैसे हेडफोन और वर्चुअल रियलिटी की मदद से आपस में कनेक्ट होते हैं।
मेटावर्स का इस्तेमाल पहले से गेमिंग के लिए भी हो रहा है। मेटावर्स में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल होता है। सीधे शब्दों में कहें तो मेटावर्स इंटरनेट की एक नई दुनिया है जहां लोग उपस्थित ना होते हुए भी मौजूद रहेंगे, हालांकि मेटावर्स के पूरा होने में अभी लंबा वक्त लगेगा।
