सार
किशिदा ने 4 अक्टूबर, 2021 को जापान के प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली थी। पीएम के तौर पर उनकी यह पहली भारत यात्रा है। इससे पहले जब वे जापान के विदेश मंत्री थे, तब भारत आए थे।
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा दो दिनों की भारत यात्रा पर हैं। वे शनिवार को भारत की राजधानी नई दिल्ली पहुंचे। वे यहां 14वें भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आए हैं। जापान के प्रधानमंत्री ने शाम में हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसके बाद इसके बाद दोनों नेताओं ने 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। पिछला भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन वर्ष 2018 में टोक्यो में हुआ था।
किशिदा की यात्रा का उद्देश्य बताते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों को विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने और पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान करने का अवसर मिलेगा।
इन वजहों से फुमियो किशिदा की यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
- मुक्त, खुले और हिंद-प्रशांत में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत-जापान की साझेदारी को आगे बढ़ाया जा सके।
- जापान अगले पांच वर्षों में भारत में 5 ट्रिलियन येन (42 बिलियन डॉलर) के निवेश की योजना की घोषणा करने के लिए तैयार हैं। जापानी मीडिया निक्केई एशिया के मुताबिक संभावना है कि 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान किशिदा सार्वजनिक-निजी वित्त पोषण योजना की घोषणा कर सकते हैं।
- रक्षा और सुरक्षा और क्षेत्रीय संदर्भ में प्रगति पर भी चर्चा होगी। कार्बन कटौती से संबंधित ऊर्जा सहयोग दस्तावेज पर भी हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है।
- हाईवे अपग्रेड के तहत कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहे हैं। जिसमें मेघायल, त्रिपुरा और मिजोरम का काम शामिल है। इसके प्रगति पर भी चर्चा होगी।
जापानी पीएम की यह यात्रा दोनों देशों के राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं सालगिरह को मौके पर हुई है। उम्मीद है कि किशिदा और मोदी जल्द से जल्द दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच टू-प्लस-टू बैठक बुलाने पर सहमत होंगे।
मास्को पर सख्ती करने के लिए मनाएंगे
पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन में अपने सैन्य अभियान के लिए रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के बीच किशिदा की भारत यात्रा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जापान टाइम्स के मुताबिक अपनी भारत यात्रा पर रवाना होने से पहले जापानी पीएम ने पत्रकारों से बातचीत में यह कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को लेकर वह मोदी को मास्को के प्रति सख्त रुख अपनाने के लिए मनाएंगे। हालांकि यह किशिदा के लिए एक चुनौती है क्योंकि भारत के रूस के साथ लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध हैं।
जापान ने हाल ही में रूस से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीना है। रूस के कई कारोबारियों पर भी जापान ने प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसके साथ ही जापान ने रूस के केंद्रीय बैंकों के साथ लेनदेन को भी सीमित कर दिया है।
जापान भारत का बड़ा विकास भागीदार कैसे?
- 2014 में पीएम मोदी जापान की यात्रा पर गए थे। तब से दोनों देशों ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। तब शिंजो आबे जापान के प्रधानमंत्री थे।
- उस समय जापान ने भारत के लिए येन 3.5 ट्रिलियन के निवेश की घोषणा की थी, जिसमें विभिन्न परियोजनाओं में सार्वजनिक और निजी भागीदारी शामिल थी।
- जापान भारत का बड़ा विकास भागीदार होने के साथ-साथ एफडीआई का भारत का 5वां सबसे बड़ा स्रोत भी है।.
- भारत और जापान एक्ट ईस्ट फोरम में भी शामिल हैं। इसकी स्थापना करने का फैसला साल 2017 के शिखर सम्मेलन में लिया गया था।
- अभी भारत में 1455 जापानी कंपनियां हैं। ग्यारह जापान औद्योगिक टाउनशिप (जेआईटी) की स्थापना की गई है, जिसमें राजस्थान में नीमराना और आंध्र प्रदेश में श्री सिटी शामिल हैं, जहां सबसे अधिक जापानी कंपनियां इस समय काम कर रही हैं।
- मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, मेट्रो प्रोजेक्ट्स और दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर प्रोजेक्ट जैसे कई महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं जापानी की सहायता से चल रही हैं।
रिश्तों में गर्माहट बनी रही
महामारी के बावजूद दोनों पक्षों ने आभासी बैठकों और फोन कॉल के माध्यम से संबंधों में गर्माहट बनाए रखी। प्रधान मंत्री मोदी ने 26 अप्रैल, 2021 को तत्कालीन जापानी प्रधान मंत्री सुगा से महामारी के प्रबंधन पर विचारों का आदान-प्रदान किया था कोविड -19 के बाद की दुनिया में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई थी।
विस्तार
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा दो दिनों की भारत यात्रा पर हैं। वे शनिवार को भारत की राजधानी नई दिल्ली पहुंचे। वे यहां 14वें भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आए हैं। जापान के प्रधानमंत्री ने शाम में हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसके बाद इसके बाद दोनों नेताओं ने 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। पिछला भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन वर्ष 2018 में टोक्यो में हुआ था।
किशिदा की यात्रा का उद्देश्य बताते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों को विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने और पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान करने का अवसर मिलेगा।
इन वजहों से फुमियो किशिदा की यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
- मुक्त, खुले और हिंद-प्रशांत में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत-जापान की साझेदारी को आगे बढ़ाया जा सके।
- जापान अगले पांच वर्षों में भारत में 5 ट्रिलियन येन (42 बिलियन डॉलर) के निवेश की योजना की घोषणा करने के लिए तैयार हैं। जापानी मीडिया निक्केई एशिया के मुताबिक संभावना है कि 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान किशिदा सार्वजनिक-निजी वित्त पोषण योजना की घोषणा कर सकते हैं।
- रक्षा और सुरक्षा और क्षेत्रीय संदर्भ में प्रगति पर भी चर्चा होगी। कार्बन कटौती से संबंधित ऊर्जा सहयोग दस्तावेज पर भी हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है।
- हाईवे अपग्रेड के तहत कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहे हैं। जिसमें मेघायल, त्रिपुरा और मिजोरम का काम शामिल है। इसके प्रगति पर भी चर्चा होगी।
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