सार
विश्व युद्ध की आशंका के बीच अन्य देश तेजी से अपने नागरिकों से यूक्रेन छोड़ने की अपील कर रहे हैं। कई देशों ने तो यूक्रेन से अपने राजनयिक मिशन को बंद करने का फैसला किया है। उधर, खुद रूस, यूक्रेन में अपने राजनयिक कर्मचारियों की कटौती कर रहा है। अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो अमेरिका अपने सहयोगी देशों के साथ इसका जवाब देगा। अगर, ऐसा होता है तो यूरोप में सैन्य स्थिति बिगड़ जाएगी।
यूक्रेन की सीमा पर एक लाख से ज्यादा रूसी सैनिक तैनात हैं। उधर, अमेरिका ने पोलैंड में अपने तीन हजार सैनिकों को भेजने का फैसला किया है। यहां पर अमेरिका का पहले से मजबूत सैन्य बेस तैयार है। इसके साथ ही अमेरिका ने सीधे तौर पर कहा है कि अगर यूक्रेन पर आक्रमण हुआ तो अमेरिकी सैनिक अपने सहयोगी देशों की फौज के साथ इसका जवाब देंगे। ऐसे में पूर्वी यूरोप में मौजूदा हालात विश्वयुद्ध जैसे बनते जा रहे हैं। स्थिति ऐसी ही रही तो विश्व के सामने एक बड़ा शरणार्थी संकट खड़ा हो जाएगा।
इस बड़े विश्व युद्ध की आशंका के बीच अन्य देश तेजी से अपने नागरिकों से यूक्रेन छोड़ने की अपील कर रहे हैं। कई देशों ने तो यूक्रेन से अपने राजनयिक मिशन को बंद करने का फैसला किया है। उधर, खुद रूस, यूक्रेन में अपने राजनयिक कर्मचारियों की कटौती कर रहा है। इससे साफ है कि यूक्रेन-रूस सीमा पर स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है।
बाइडन ने पुलिस से की टेलीफोनिक बात
जानकारी के मुताबिक, शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच घंटो टेलीफोनिक बातचीत हुई। इस दौरान बाइडन ने सीधे तौर पर चेतावनी दी कि यूक्रेन पर हमले के गंभीर परिणाम होंगे। व्हाइट हाउस की ओर से बताया गया है कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो अमेरिका अपने सहयोगी देशों के साथ इसका जवाब देगा। अगर, ऐसा होता है तो यूरोप में सैन्य स्थिति बिगड़ जाएगी। हालांकि, रूस किसी भी प्रकार के सैन्य आक्रमण से इंकार करता रहा है। पुतिन का कहना है कि वह किसी भी प्रकार के हमले की योजना नहीं बना रहे हैं। इस बीच बाइडन ने अमेरिकी नागरिकों से अपील की है कि वे तुरंत यूक्रेन छोड़ दें क्योंकि सैन्य युद्ध के समय किसी भी प्रकार की मदद नहीं की जा सकेगी।
रूस का क्या है रुख
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि अमेरिका और नाटो की ओर से रूस की मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। दरअसल, रूस की मांग है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल किए जाने से प्रतिबंधित किया जाए और पूर्वी यूरोप से नाटो की फौज को हटाया जाए। रूस ने यह भी कहा कि यूक्रेन पर हमला करने उसकी कोई योजना नहीं है। हालांकि, यक्रूेन को घेरते हुए उसने बेलारूस में सैन्य अभ्यास के लिए अपने कई सैनिकों को भेजा है।
यूक्रेन में दहशत में लोग
सीमा पर एक लाख से ज्यादा रूसी सैनिकों की तैनाती, खत्म होते राजनयिक मिशन और अमेरिका की ओर से हमले की खुफिया रिपोर्ट के बीच यूक्रेन के लोग दहशत में हैं। शनिवार को यहां हजारों लोगों ने मार्च निकालकर एकता का प्रदर्शन किया। उधर, यूक्रेन की राष्ट्रपति का कहना है कि सीमा पर सैन्य गतिविधियां नागरिकों में दहशत फैला रही हैं।
ऑस्ट्रेलिया खाली कर रहा दूतावास
युद्ध जैसे हालातों के बीच ऑस्ट्रेलिया ने यूक्रेन से अपने दूतावास को खाली करने का फैसला किया है। उधर, प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने चीन से अपील की है कि वह ऐसे हालातों में शांत न रहे। ऑस्ट्रेलिया ने अपने दूतावास के कर्मचारियों को पोलैंड की सीमा से 70 किमी दूर अस्थाई कार्यालय में रहने का निर्देश दिया है। वहीं अपने नागरिकों से तुरंत यूक्रेन छोड़ने की अपील की है।
हंगरी के सामने होगा शरणार्थी संकट
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने अपील की है कि इस मसले का शांति से बैठकर हल निकाला जाए। उन्होंने कहा कि अगर आक्रमण होता है तो हजारों यूक्रीन शरणार्थी, उनके देश में प्रवेश कर जाएंगे। इससे हालात और बिगड़ने की आशंका है।
ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और फ्रांस
ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और फ्रांस भी यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ती तनातनी को लेकर सतर्क हैं। तीनों देशों ने अपने-अपने नागरिकों से अपील की है कि वे तुरंत यूक्रेन छोड़ दें। यहां तक कि फ्रांस ने अपने दूतावास के कर्मचारियों से कहा है कि अगर, वे चाहें तो वापस आ सकते हैं।
विस्तार
यूक्रेन की सीमा पर एक लाख से ज्यादा रूसी सैनिक तैनात हैं। उधर, अमेरिका ने पोलैंड में अपने तीन हजार सैनिकों को भेजने का फैसला किया है। यहां पर अमेरिका का पहले से मजबूत सैन्य बेस तैयार है। इसके साथ ही अमेरिका ने सीधे तौर पर कहा है कि अगर यूक्रेन पर आक्रमण हुआ तो अमेरिकी सैनिक अपने सहयोगी देशों की फौज के साथ इसका जवाब देंगे। ऐसे में पूर्वी यूरोप में मौजूदा हालात विश्वयुद्ध जैसे बनते जा रहे हैं। स्थिति ऐसी ही रही तो विश्व के सामने एक बड़ा शरणार्थी संकट खड़ा हो जाएगा।
इस बड़े विश्व युद्ध की आशंका के बीच अन्य देश तेजी से अपने नागरिकों से यूक्रेन छोड़ने की अपील कर रहे हैं। कई देशों ने तो यूक्रेन से अपने राजनयिक मिशन को बंद करने का फैसला किया है। उधर, खुद रूस, यूक्रेन में अपने राजनयिक कर्मचारियों की कटौती कर रहा है। इससे साफ है कि यूक्रेन-रूस सीमा पर स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है।
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