बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मॉस्को
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 23 Mar 2022 11:00 PM IST
सार
रूसी राष्ट्रपति ने कहा है कि रूस मांग के अनुसार प्राकृतिक गैस और तेल की सप्लाई जारी रखेगा। वह भी कॉन्ट्रैक्ट के तहत पहले से तय दामों पर। लेकिन भुगतान के लिए अब रूबल ही इस्तेमाल होगा।
व्लादिमीर पुतिन।
– फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एलान किया है कि रूस अब मित्र देशों के अलावा बाकी सभी देशों से सिर्फ रूबल में ही भुगतान लेगा। दरअसल, यूक्रेन पर हमले को लेकर पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसके चलते रूस को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। यहां तक कि उसकी मुद्रा- रूबल में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है और एक समय एक डॉलर की कीमत 100 रूबल के पार पहुंच गई थी।
रूसी राष्ट्रपति ने कहा है कि रूस मांग के अनुसार प्राकृतिक गैस और तेल की सप्लाई जारी रखेगा। वह भी कॉन्ट्रैक्ट के तहत पहले से तय दामों पर। लेकिन इसके लिए वह सभी देश, जो रूस की मित्रता सूची में नहीं हैं, उन्हें रूबल में भुगतान करना होगा।
क्या होंगी दिक्कतें?
गौरतलब है कि अभी रूस से तेल खरीदने के लिए यूरोपीय देश उसे यूरो में भुगतान करते हैं। इससे रूस का विदेशी मुद्रा भंडार तो बढ़ता है, लेकिन चलन में रूबल कहीं पीछे छूट जाता है। अब पुतिन के एलान के बाद यूरोपीय देशों को रूबल की कीमतों के आधार पर पेमेंट करना होगा, जिसकी वैल्यू में उछाल और गिरावट का दौर जारी है। यानी भुगतान के लिए करेंसी बदलने से यूरोपीय देशों को अब सप्लाई लेने में भी खासी समस्या आएगी।
इसका एक असर यह होगा कि सप्लाई में देरी से यूरोपीय देशों में तेल की मांग और आपूर्ति में भारी फर्क आ जाएगा। इस स्थिति के चलते इन देशों में तेल-गैस के दामों में जबरदस्त उछाल आ सकता है। अपनी करेंसी में पेमेंट लेने का एक फायदा यह भी है कि इससे रूबल का प्रसार बढ़ेगा और उसके कन्वर्जन रेट में सुधार होने की संभावना बेहतर होगी।
किन देशों के लिए पैदा होगी मुसीबत?
रूस ने हाल ही जिन देशों को गैर-मित्र की सूची में शामिल किया था उनमें अमेरिका, यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के अलावा ब्रिटेन, जापान, कनाडा, नॉर्वे, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, स्विट्जरलैंड और यूक्रेन शामिल थे। इन देशों के साथ किसी रूस कंपनी के सौदे में भी रूसी सरकार की अनुमति को अनिवार्य कर दिया गया था।