न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 10 Jan 2022 09:43 PM IST
सार
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल मेहता से कहा है कि वे स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशालय से कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार की गाइडलाइंस में बदलाव को लेकर बात करें।
सुप्रीम कोर्ट।
– फोटो : Social Media
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से उस याचिका पर सहयोग मांगा है, जिसमें पारसी समुदाय ने कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के पारंपरिक रूप से अंतिम संस्कार की मांग की है। कोर्ट ने मेहता से कहा कि वे इस मुद्दे पर पारसी समुदाय के लिए हल खोजें।
सूरत पारसी पंचायत बोर्ड की ओर से दायर अपील में गुजरात उच्च न्यायालय के 23 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया गया था। पारसी समुदाय में शव के अंतिम संस्कार की ‘दोखमे नशीन’ परंपरा है, जिसमें शव को गिद्धों व अन्य पक्षियों के लिए खुले में छोड़ दिया जाता है। गुजरात उच्च न्यायालय ने कोरोनावायरस महामारी के बीच पारसी समुदाय के कोरोना से जान गंवाने वाले सदस्यों के पारंपरिक अंतिम संस्कार की मांग को खारिज कर दिया था।
इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले केंद्र और गुजरात सरकार से भी जवाब तलब कर चुका है। हालांकि, अब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल मेहता से कहा है कि वे स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशालय से कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार की गाइडलाइंस में बदलाव को लेकर बात करें।
सूरत पारसी पंचायत बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता फाली नरीमन ने कहा है कि पारसियों में पार्थिव शरीर उठाने वालों का एक समुदाय होता है और अगर किसी का निधन हो जाता है तो परिवार के सदस्य पार्थिव शरीर को नहीं छूते हैं और केवल विशिष्ट समुदाय के लोग ही ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा गाइडलाइंस पारसी समुदाय को अपने हिसाब से अंतिम संस्कार की इजाजत नहीं देतीं। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में कहा था कि यह मुद्दा वायरस के एक नए स्वरूप के कारण प्रासंगिक था।
इसे लेकर एसजी मेहता ने कहा कि वे मामले पर गौर करेंगे और संबंधित अधिकारियों से बात कर के मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे। बेंच ने अब इस मामले की सुनवाई को 17 जनवरी तक के लिए टाल दिया है।