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पाकिस्तान: पीएमएल-एन सांसद ने कहा- भारत को लेकर नई नीति बनाएंगे शरीफ, शहबाज का कश्मीर राग 

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Sun, 10 Apr 2022 09:50 PM IST

सार

इमरान खान जब 2018 में सत्ता में आए थे तो उन्होंने भारत से रिश्ते सुधारने की बात कही थी लेकिन जल्दी ही पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए। कश्मीर के विशेष दर्ज की वापसी ने इसे और खराब कर दिया। तब से समय बीतता रहा लेकिन रिश्ते पर जमी बर्फ नहीं पिघली। अब देश में सत्ता परिवर्तन के बाद स्थिति में कुछ बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।

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पाकिस्तान में सरकार बदलने और इमरान खान की जगह कट्टर यथार्थवादी नेता शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने से दोनों देशों के बीच टूटे रिश्ते जोड़ने की छोटी सी राह खुलने की उम्मीद जताई जा रही है। शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के सांसद समीउल्लाह खान ने कहा कि शहबाज भारत को लेकर नई नीति बनाएंगे। उन्होंने कहा, शहबाज शरीफ के शासन में भारत को लेकर नई नीति देखने को मिलेगी। इमरान खान सरकार ने भारत को लेकर या तो कोई नीति ही नहीं थी या बहुत कमजोर थी, जिसके कारण भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया और खान बेबसी से देखते रहे।

देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ को ऐसा नेता माना जाता है जो जमीनी हकीकत पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं। उनकी यथार्थवादिता अकसर दोस्त और दुश्मन को एक जैसी चुभती है। कुछ दिन पहले जियो न्यूज टीवी के एंकर ने उनसे सवाल किया उनके नेतृत्व में अमेरिका से देश के रिश्ते कैसे होंगे, शहबाज ने जवाब दिया-बैगर्स कैन नॉट बी चुजर्स, यानी भिखारी को चुनने का अधिकार नहीं होता। इस टिप्पणी की तुलना उनके विरोधियों ने तत्काल इमरान खान की ‘विदेश नीति में सम्मान की भावना’ से करनी शुरू कर दी। 

शीर्ष राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर हसन असकरी ने कहा कि सबसे पहले तो पाकिस्तान और भारत को बातचीत फिर शुरू करनी चाहिए जो कि 2014 से ही बंद है। इसके बिना आगे बढ़ना संभव ही नहीं है। चूंकि बातचीत भारत ने बंद की है इसलिए इसे शुरू करने की जिम्मेदारी भी उसी की है। पाकिस्तान में कोई भी सरकार अर्थपूर्ण बातचीत को नकार नहीं सकती।

इमरान खान जब 2018 में सत्ता में आए थे तो उन्होंने भारत से रिश्ते सुधारने की बात कही थी लेकिन जल्दी ही पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए। कश्मीर के विशेष दर्ज की वापसी ने इसे और खराब कर दिया। तब से समय बीतता रहा लेकिन रिश्ते पर जमी बर्फ नहीं पिघली। अब देश में सत्ता परिवर्तन के बाद स्थिति में कुछ बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।

शहबाज शरीफ का कश्मीर राग 
नए प्रधानमंत्री के रूप में नेशनल असेंबली की मंजूरी से पहले ही शहबाज शरीफ ने कश्मीर का मुद्दा उठा दिया। पाकिस्तान की मीडिया से बात करते हुए शहबाज शरीफ ने कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता राष्ट्रीय सद्भाव है। हम भारत के साथ भी शांति चाहते हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे के समाधान के बिना दोनों देशों में शांति संभव नहीं है। 

इस्तीफा दे सकते हैं पाकिस्तान पंजाब के गवर्नर चीमा
इमरान खान की सरकार जाने के साथ ही अब पाकिस्तान पंजाब प्रांत के गवर्नर उमर सरफराज चीमा को इस्तीफा देना पड़ सकता है। चीमा ने एक सप्ताह पहले ही इस प्रांत के गवर्नर पद की शपथ ली थी। पाकिस्तानी मीडिया समूह एआरवाई ने कहा कि नए प्रधानमंत्री के शपथ लेने के साथ पंजाब के गवर्नर इस्तीफा दे देंगे। हालांकि खुद चीमा के प्रवक्ता ने इस्तीफे से इनकार किया है। प्रवक्ता ने कहा गवर्नर अभी पीटीआई कोर कमेटी की बैठक में भाग लेने इस्लामाबाद में हैं और पार्टी नेताओं से विचार के बाद इस बारे में फैसला करेंगे। 

विस्तार

पाकिस्तान में सरकार बदलने और इमरान खान की जगह कट्टर यथार्थवादी नेता शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने से दोनों देशों के बीच टूटे रिश्ते जोड़ने की छोटी सी राह खुलने की उम्मीद जताई जा रही है। शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के सांसद समीउल्लाह खान ने कहा कि शहबाज भारत को लेकर नई नीति बनाएंगे। उन्होंने कहा, शहबाज शरीफ के शासन में भारत को लेकर नई नीति देखने को मिलेगी। इमरान खान सरकार ने भारत को लेकर या तो कोई नीति ही नहीं थी या बहुत कमजोर थी, जिसके कारण भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया और खान बेबसी से देखते रहे।

देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ को ऐसा नेता माना जाता है जो जमीनी हकीकत पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं। उनकी यथार्थवादिता अकसर दोस्त और दुश्मन को एक जैसी चुभती है। कुछ दिन पहले जियो न्यूज टीवी के एंकर ने उनसे सवाल किया उनके नेतृत्व में अमेरिका से देश के रिश्ते कैसे होंगे, शहबाज ने जवाब दिया-बैगर्स कैन नॉट बी चुजर्स, यानी भिखारी को चुनने का अधिकार नहीं होता। इस टिप्पणी की तुलना उनके विरोधियों ने तत्काल इमरान खान की ‘विदेश नीति में सम्मान की भावना’ से करनी शुरू कर दी। 

शीर्ष राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर हसन असकरी ने कहा कि सबसे पहले तो पाकिस्तान और भारत को बातचीत फिर शुरू करनी चाहिए जो कि 2014 से ही बंद है। इसके बिना आगे बढ़ना संभव ही नहीं है। चूंकि बातचीत भारत ने बंद की है इसलिए इसे शुरू करने की जिम्मेदारी भी उसी की है। पाकिस्तान में कोई भी सरकार अर्थपूर्ण बातचीत को नकार नहीं सकती।

इमरान खान जब 2018 में सत्ता में आए थे तो उन्होंने भारत से रिश्ते सुधारने की बात कही थी लेकिन जल्दी ही पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए। कश्मीर के विशेष दर्ज की वापसी ने इसे और खराब कर दिया। तब से समय बीतता रहा लेकिन रिश्ते पर जमी बर्फ नहीं पिघली। अब देश में सत्ता परिवर्तन के बाद स्थिति में कुछ बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।

शहबाज शरीफ का कश्मीर राग 

नए प्रधानमंत्री के रूप में नेशनल असेंबली की मंजूरी से पहले ही शहबाज शरीफ ने कश्मीर का मुद्दा उठा दिया। पाकिस्तान की मीडिया से बात करते हुए शहबाज शरीफ ने कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता राष्ट्रीय सद्भाव है। हम भारत के साथ भी शांति चाहते हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे के समाधान के बिना दोनों देशों में शांति संभव नहीं है। 

इस्तीफा दे सकते हैं पाकिस्तान पंजाब के गवर्नर चीमा

इमरान खान की सरकार जाने के साथ ही अब पाकिस्तान पंजाब प्रांत के गवर्नर उमर सरफराज चीमा को इस्तीफा देना पड़ सकता है। चीमा ने एक सप्ताह पहले ही इस प्रांत के गवर्नर पद की शपथ ली थी। पाकिस्तानी मीडिया समूह एआरवाई ने कहा कि नए प्रधानमंत्री के शपथ लेने के साथ पंजाब के गवर्नर इस्तीफा दे देंगे। हालांकि खुद चीमा के प्रवक्ता ने इस्तीफे से इनकार किया है। प्रवक्ता ने कहा गवर्नर अभी पीटीआई कोर कमेटी की बैठक में भाग लेने इस्लामाबाद में हैं और पार्टी नेताओं से विचार के बाद इस बारे में फैसला करेंगे। 

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