वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Wed, 23 Mar 2022 12:05 PM IST
सार
सरकार ने कोर्ट से गुजारिश की है कि वह अपना फैसला अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले दे दे। सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के दो दर्जन सांसदों ने पाला बदल लिया है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित किया, तो संभव है कि इमरान खान की सरकार बच जाए…
सियासी समीकरणों में पिछड़ जाने के बाद अब पाकिस्तान की इमरान खान सरकार की लगभग सारी उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट के रुख पर टिक गई हैं। सोमवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दल बदल से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 63 (ए) की व्याख्या के लिए अर्जी दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए एक खास बेंच बनाने का का फैसला किया है।
अब ये संभावना जताई गई है कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच 24 मार्च से इस याचिका पर सुनवाई करेगी। उसके एक दिन बाद यानी 25 मार्च से नेशनल असेंबली की बैठक बुलाई गई है। विपक्ष जल्द से जल्द अपने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने पर जोर दे रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक सबसे पहले उनकी नजर यह देखने पर टिकी है कि क्या सुप्रीम कोर्ट विधायी प्रक्रिया में दखल देते हुए सरकार को कोई राहत देता है। ऐसा तभी संभव होगा, जब सुप्रीम कोर्ट धारा 63 (ए) पर फैसला आने तक अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान रोक दे।
सरकार ने कोर्ट से गुजारिश की है कि वह अपना फैसला अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले दे दे। सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के दो दर्जन सांसदों ने पाला बदल लिया है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित किया, तो संभव है कि इमरान खान की सरकार बच जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया शुरुआती झटका
लेकिन सोमवार को पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अटा बंदियाल ने जो कहा, उसे इमरान खान सरकार के लिए एक झटका समझा गया। जस्टिस बंदियाल ने संकेत दिया कि प्रेंसिडेशियल रेफरेंस के रूप में दायर सरकारी याचिका पर फैसला आने तक मतदान प्रक्रिया को नहीं रोका जाएगा। उन्होंने कहा- अदालत को अभी तक ऐसा नहीं लगता कि नेशनल असेंबली की कार्यवाही में उसे हस्तक्षेप करना चाहिए।
लेकिन एक दूसरे जज मुनीब अख्तर ने टिप्पणी कि किसी राजनीतिक दल में शामिल होने के बाद सांसद के पास व्यक्तिगत मताधिकार नहीं रह जाता है। वह पार्टी के सामूहिक मताधिकार से बंध जाता है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस समझ के अनुरूप अगर सुप्रीम कोर्ट ने व्याख्या की, तो वह पीटीआई के पक्ष में जाएगी। लेकिन इसका फायदा उसे तभी मिल सकता है, अगर इमरान खान की सरकार गिरने के पहले ऐसी व्याख्या आए।
शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री पद के दावेदार
इस मामले से पाकिस्तान के राजनीतिक दलों की उम्मीद किस हद तक जुड़ी हुई है, इसका संकेत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिला। मामले की सुनवाई के समय पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता शाहबाज शरीफ और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो भी कोर्ट रूम में मौजूद थे।
इस बीच पीएमएल (नवाज) ने एलान किया है कि इमरान खान सरकार गिरने के बाद उसके नेता शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे। पार्टी की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने कहा- हालांकि प्रधानमंत्री कौन बने, यह फैसला विपक्षी दल अपनी बैठक में करेंगे, लेकिन उनकी पार्टी शाहबाज शरीफ का नाम प्रस्तावित करेगी। मरियम नवाज ने दावा किया कि इमरान खान का खेल खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा- ‘प्रधानमंत्री को यह मालूम है कि अब कोई उन्हें बचाने नहीं आएगा।’
विस्तार
सियासी समीकरणों में पिछड़ जाने के बाद अब पाकिस्तान की इमरान खान सरकार की लगभग सारी उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट के रुख पर टिक गई हैं। सोमवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दल बदल से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 63 (ए) की व्याख्या के लिए अर्जी दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए एक खास बेंच बनाने का का फैसला किया है।
अब ये संभावना जताई गई है कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच 24 मार्च से इस याचिका पर सुनवाई करेगी। उसके एक दिन बाद यानी 25 मार्च से नेशनल असेंबली की बैठक बुलाई गई है। विपक्ष जल्द से जल्द अपने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने पर जोर दे रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक सबसे पहले उनकी नजर यह देखने पर टिकी है कि क्या सुप्रीम कोर्ट विधायी प्रक्रिया में दखल देते हुए सरकार को कोई राहत देता है। ऐसा तभी संभव होगा, जब सुप्रीम कोर्ट धारा 63 (ए) पर फैसला आने तक अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान रोक दे।
सरकार ने कोर्ट से गुजारिश की है कि वह अपना फैसला अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले दे दे। सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के दो दर्जन सांसदों ने पाला बदल लिया है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित किया, तो संभव है कि इमरान खान की सरकार बच जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया शुरुआती झटका
लेकिन सोमवार को पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अटा बंदियाल ने जो कहा, उसे इमरान खान सरकार के लिए एक झटका समझा गया। जस्टिस बंदियाल ने संकेत दिया कि प्रेंसिडेशियल रेफरेंस के रूप में दायर सरकारी याचिका पर फैसला आने तक मतदान प्रक्रिया को नहीं रोका जाएगा। उन्होंने कहा- अदालत को अभी तक ऐसा नहीं लगता कि नेशनल असेंबली की कार्यवाही में उसे हस्तक्षेप करना चाहिए।
लेकिन एक दूसरे जज मुनीब अख्तर ने टिप्पणी कि किसी राजनीतिक दल में शामिल होने के बाद सांसद के पास व्यक्तिगत मताधिकार नहीं रह जाता है। वह पार्टी के सामूहिक मताधिकार से बंध जाता है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस समझ के अनुरूप अगर सुप्रीम कोर्ट ने व्याख्या की, तो वह पीटीआई के पक्ष में जाएगी। लेकिन इसका फायदा उसे तभी मिल सकता है, अगर इमरान खान की सरकार गिरने के पहले ऐसी व्याख्या आए।
शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री पद के दावेदार
इस मामले से पाकिस्तान के राजनीतिक दलों की उम्मीद किस हद तक जुड़ी हुई है, इसका संकेत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिला। मामले की सुनवाई के समय पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता शाहबाज शरीफ और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो भी कोर्ट रूम में मौजूद थे।
इस बीच पीएमएल (नवाज) ने एलान किया है कि इमरान खान सरकार गिरने के बाद उसके नेता शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे। पार्टी की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने कहा- हालांकि प्रधानमंत्री कौन बने, यह फैसला विपक्षी दल अपनी बैठक में करेंगे, लेकिन उनकी पार्टी शाहबाज शरीफ का नाम प्रस्तावित करेगी। मरियम नवाज ने दावा किया कि इमरान खान का खेल खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा- ‘प्रधानमंत्री को यह मालूम है कि अब कोई उन्हें बचाने नहीं आएगा।’
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