अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Thu, 03 Feb 2022 06:26 AM IST
सार
ये पांच टायर कंपनियां (एमआरएफ लिमिटेड, अपोलो टायर्स, सीएट लिमिटेड, जेके टायर्स, बिरला टायर्स और एटीएमए संस्था) 90 फीसदी बाजार पर कब्जा जमा रखा है। देश में 90 प्रतिशत टायर यही पांच कंपनियां बेचती हैं।
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विस्तार
आयोग के अनुसार, टायर कंपनियों के इस कार्टेल ने टायरों की कीमतें महंगी रखने के लिए उत्पादन सीमित और नियंत्रित रखा। बाजार में आपूर्ति को भी नियंत्रित किया। इन कंपनियों और इनकी बनाई ऑटोमेटिव टायर मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन (एटीएमए) ने प्रतिस्पर्धा ख़त्म करने के लिए आपसी समझौते किए। यह प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 3 का उल्लंघन है। आयोग के अनुसार, कंपनियों ने टायरों की कीमतों, उत्पादन बिक्री का संवेदनशील डाटा एटीएमए के प्लेटफॉर्म पर एक-दूसरे से साझा किया। इसके आधार पर टायरों की कीमतों पर मिल जुलकर निर्णय लिए।
साढ़े तीन साल बाद आया आदेश
आयोग ने 2018 में कंपनियों को दोषी माना कंपनियों ने चेन्नई हाईकोर्ट की शरण ली 6 जनवरी को अपील खारिज कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में भी 28 जनवरी को अपील खारिज हो गई।
एटीएमए की भूमिका
एटीएमए कंपनियों से उनके सेग्मेंट के अनुसार डाटा जुटाती, जिसमें टायर उत्पादन, घरेलू बिक्री, निर्यात जैसे आंकड़े होते। आयोग ने उसे सदस्य कंपनियों या किसी अन्य जगह से डाटा जमा करना बंद करने का निर्देश दिया।