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नेपाल: फेल हो गया स्थानीय स्वशासन का प्रयोग, ज्यादातर स्थानीय सरकारों का रिकॉर्ड खराब

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Wed, 22 Dec 2021 07:40 PM IST

सार

नेपाल की स्थानीय सरकारों को 2017 के एक कानून के तहत काफी अधिकार प्रदान किए गए थे। इसलिए उनके प्रदर्शन और अनुभव पर देश-विदेश की नजर रही है। 2017 में कुछ जानकारों ने कहा था कि जितने अधिकार स्थानीय निकायों को यहां दिए गए हैं, उनका ठीक से उपयोग करते हुए उन्होंने काम किया, तो वे दूसरे देशों के लिए भी एक मॉडल मुहैया करा सकते हैं। 2017 के कानून के तहत इन निकायों को भवन निर्माण संबंधी अपनी संहिता और प्रतिमान विकसित करने का अधिकार भी दिया गया था। लेकिन 44 फीसदी निकायों ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है।

नेपाल का झंडा
– फोटो : सोशल मीडिया

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नेपाल में ज्यादातर स्थानीय सरकारों का रिकॉर्ड खराब है। एक ताजा सरकारी सर्वे से जाहिर हुआ है कि मानव संसाधन और विशेषज्ञता की कमी की वजह से स्थानीय सरकारें अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई हैं। इस सर्वे में 81 स्थानीय सरकारों को शामिल किया गया। उनमें 26 नगरपालिकाएं और 55 ग्रामपालिकाएं शामिल हैं। अब नेपाल सरकार ने इस सर्वे रिपोर्ट को जारी किया है। 

उससे सामने आया है कि स्थानीय सरकारों के पास तकनीक सक्षम कर्मचारियों की भारी कमी है। इसलिए जो काम उनसे अपेक्षित था, वे नहीं कर पाईं। नेपाल में स्थानीय सरकारों के जिम्मे एक प्रमुख काम राष्ट्रीय भवन निर्माण संहिता और प्रतिमानों के अनुरूप निर्माण (कंस्ट्रक्शन) परमिट देना है। लेकिन सर्वे के दौरान पाया गया कि एक तिहाई से ज्यादा स्थानीय सरकारें ये काम करने में विफल रहीं।

नेपाल की स्थानीय सरकारों को 2017 के एक कानून के तहत काफी अधिकार प्रदान किए गए थे। इसलिए उनके प्रदर्शन और अनुभव पर देश-विदेश की नजर रही है। 2017 में कुछ जानकारों ने कहा था कि जितने अधिकार स्थानीय निकायों को यहां दिए गए हैं, उनका ठीक से उपयोग करते हुए उन्होंने काम किया, तो वे दूसरे देशों के लिए भी एक मॉडल मुहैया करा सकते हैं। 2017 के कानून के तहत इन निकायों को भवन निर्माण संबंधी अपनी संहिता और प्रतिमान विकसित करने का अधिकार भी दिया गया था। लेकिन 44 फीसदी निकायों ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है।

विश्लेषकों का कहना है कि स्थानीय सरकारों की नाकामी का काफी दोष संघीय सरकार के माथे जाता है। असल में संघीय सरकारें स्थानीय निकायों को पर्याप्त मानव संसाधन मुहैया कराने में विफल रहीं। प्रांतीय सरकारों ने भी स्थानीय निकायों को सशक्त करने में दिलचस्पी नहीं ली। कानून में प्रावधान यह है कि स्थानीय सरकारों के लिए कर्मचारी प्रांतीय पब्लिक सर्विस कमीशन के जरिए भर्ती किए जाएंगे। प्रांतीय सरकारों ने इस दिशा में उचित कदम नहीं उठाए।

ताजा सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय सरकारों को टेक्निकल स्टाफ की सख्त जरूरत है। इनमें इंजीनियर, सब-इंजीनियर, स्ट्रक्चरल इंजीनियर और आर्किटेक्ट शामिल हैं। इन कर्मचारियों के उपलब्ध होने के बाद ही स्थानीय सरकारें इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की जिम्मेदारी निभा सकती हैं। चूंकि ये कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए ज्यादातर स्थानीय सरकारें बिना किसी ठोस योजना के काम कर रही हैं। वे अपने बजट को भी समय पर खर्च नहीं कर पा रही हैं।

स्थानीय सरकारों के जिम्मे एक प्रमुख काम कचरा प्रबंधन का है। सर्वे से सामने आया कि इस दिशा में भी स्थानीय सरकारों का प्रदर्शन कमजोर रहा है। नेपाल के संविधान के मुताबिक स्थानीय सरकारें कई तरह के टैक्स लगा सकती हैं। वे प्रोपर्टी टैक्स, मकान और जमीन के रजिस्ट्रेशन पर टैक्स, वाहन, विज्ञापन, कारोबारी लेन-देन और मनोरंजन पर कर लगाने में सक्षम हैं। लेकिन सर्वे रिपोर्ट में बताया गया कि जरूरी सॉफ्टवेयर उपलब्ध ना होने के कारण स्थानीय सरकारें अपनी टैक्स व्यवस्था को दुरुस्त करने में विफल रही हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि इस सर्वे से ये सामने आया है कि स्थानीय सरकारों की क्या जरूरतें हैं। लेकिन जब तक संघीय और प्रांतीय स्तरों पर राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं होगी, उन जरूरतों को पूरा करना संभव नहीं होगा।

विस्तार

नेपाल में ज्यादातर स्थानीय सरकारों का रिकॉर्ड खराब है। एक ताजा सरकारी सर्वे से जाहिर हुआ है कि मानव संसाधन और विशेषज्ञता की कमी की वजह से स्थानीय सरकारें अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई हैं। इस सर्वे में 81 स्थानीय सरकारों को शामिल किया गया। उनमें 26 नगरपालिकाएं और 55 ग्रामपालिकाएं शामिल हैं। अब नेपाल सरकार ने इस सर्वे रिपोर्ट को जारी किया है। 

उससे सामने आया है कि स्थानीय सरकारों के पास तकनीक सक्षम कर्मचारियों की भारी कमी है। इसलिए जो काम उनसे अपेक्षित था, वे नहीं कर पाईं। नेपाल में स्थानीय सरकारों के जिम्मे एक प्रमुख काम राष्ट्रीय भवन निर्माण संहिता और प्रतिमानों के अनुरूप निर्माण (कंस्ट्रक्शन) परमिट देना है। लेकिन सर्वे के दौरान पाया गया कि एक तिहाई से ज्यादा स्थानीय सरकारें ये काम करने में विफल रहीं।

नेपाल की स्थानीय सरकारों को 2017 के एक कानून के तहत काफी अधिकार प्रदान किए गए थे। इसलिए उनके प्रदर्शन और अनुभव पर देश-विदेश की नजर रही है। 2017 में कुछ जानकारों ने कहा था कि जितने अधिकार स्थानीय निकायों को यहां दिए गए हैं, उनका ठीक से उपयोग करते हुए उन्होंने काम किया, तो वे दूसरे देशों के लिए भी एक मॉडल मुहैया करा सकते हैं। 2017 के कानून के तहत इन निकायों को भवन निर्माण संबंधी अपनी संहिता और प्रतिमान विकसित करने का अधिकार भी दिया गया था। लेकिन 44 फीसदी निकायों ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है।

विश्लेषकों का कहना है कि स्थानीय सरकारों की नाकामी का काफी दोष संघीय सरकार के माथे जाता है। असल में संघीय सरकारें स्थानीय निकायों को पर्याप्त मानव संसाधन मुहैया कराने में विफल रहीं। प्रांतीय सरकारों ने भी स्थानीय निकायों को सशक्त करने में दिलचस्पी नहीं ली। कानून में प्रावधान यह है कि स्थानीय सरकारों के लिए कर्मचारी प्रांतीय पब्लिक सर्विस कमीशन के जरिए भर्ती किए जाएंगे। प्रांतीय सरकारों ने इस दिशा में उचित कदम नहीं उठाए।

ताजा सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय सरकारों को टेक्निकल स्टाफ की सख्त जरूरत है। इनमें इंजीनियर, सब-इंजीनियर, स्ट्रक्चरल इंजीनियर और आर्किटेक्ट शामिल हैं। इन कर्मचारियों के उपलब्ध होने के बाद ही स्थानीय सरकारें इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की जिम्मेदारी निभा सकती हैं। चूंकि ये कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए ज्यादातर स्थानीय सरकारें बिना किसी ठोस योजना के काम कर रही हैं। वे अपने बजट को भी समय पर खर्च नहीं कर पा रही हैं।

स्थानीय सरकारों के जिम्मे एक प्रमुख काम कचरा प्रबंधन का है। सर्वे से सामने आया कि इस दिशा में भी स्थानीय सरकारों का प्रदर्शन कमजोर रहा है। नेपाल के संविधान के मुताबिक स्थानीय सरकारें कई तरह के टैक्स लगा सकती हैं। वे प्रोपर्टी टैक्स, मकान और जमीन के रजिस्ट्रेशन पर टैक्स, वाहन, विज्ञापन, कारोबारी लेन-देन और मनोरंजन पर कर लगाने में सक्षम हैं। लेकिन सर्वे रिपोर्ट में बताया गया कि जरूरी सॉफ्टवेयर उपलब्ध ना होने के कारण स्थानीय सरकारें अपनी टैक्स व्यवस्था को दुरुस्त करने में विफल रही हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि इस सर्वे से ये सामने आया है कि स्थानीय सरकारों की क्या जरूरतें हैं। लेकिन जब तक संघीय और प्रांतीय स्तरों पर राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं होगी, उन जरूरतों को पूरा करना संभव नहीं होगा।

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