वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Mon, 07 Feb 2022 03:42 PM IST
सार
पुष्प कमल दहल ने ने बीते दिसंबर में अपनी पार्टी के महाधिवेशन के दौरान कहा था कि एमसीसी से हुए समझौते की कुछ शर्तों में संशोधन के बिना उसका अनुमोदन नहीं किया जाएगा। सम्मेलन में आए कुछ प्रतिनिधियों ने करार को पूरी तरह रद्द करने की मांग की थी…
नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) के प्रमुख पुष्प कमल दहल के बारे में हुए ताजा खुलासे ने नेपाल में राजनेताओं के दोमुंहेपन को लेकर लोगों ने गुस्सा नए सिरे से भड़का दिया है। दहल अपने सार्वजनिक बयानों में अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) से आर्थिक मदद लेने का पुरजोर विरोध करते रहे हैँ। लेकिन अब नेपाली अखबार कांतिपुर दैनिक ने पिछले साल 29 सितंबर को लिखी गई एक चिट्ठी का खुलासा किया है। वह पत्र प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और दहल के दस्तखत से एमसीसी को भेजा गया था। पत्र में अमेरिकी संस्था से उसकी 50 करोड़ डॉलर की मदद स्वीकार करने के सवाल पर देश में आम सहमति बनाने के लिए चार-पांच महीने का समय देने का अनुरोध किया गया।
होड़ से जुड़ी हुई है मदद
इस मसले पर पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का दोमुंहापन पहले से चर्चित रहा है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए ओली ने ये मदद स्वीकार करने की वकालत की थी। लेकिन सत्ता से हटने के बाद उन्होंने इसका पुरजोर विरोध शुरू कर दिया। अभी ओली, दहल, और माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टियां इस मदद को लेने का विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि ये मदद अमेरिका और चीन के बीच चल रही होड़ से जुड़ी हुई है। नेपाल को इस होड़ में नहीं पड़ना चाहिए।
एमसीसी की उपाध्यक्ष फातेमा जेड सुमार ने एक इंटरव्यू में कहा है कि एमसीसी की सहायता के अनुमोदन की समयसीमा अगली 28 फरवरी को पूरी हो जाएगी। उन्होंने दो टूक कहा कि ये समयसीमा देउबा और दहल के अनुरोध पर दी गई थी। एमसीसी की मदद लेने के लिए इस संस्था और नेपाल सरकार के बीच करार 2017 में हुआ था। लेकिन करार को व्यावहारिक रूप देने के लिए नेपाली संसद में उसका अनुमोदन अनिवार्य है। ये अनुमोदन अभी तक लटका हुआ है।
पुष्प कमल दहल ने ने बीते दिसंबर में अपनी पार्टी के महाधिवेशन के दौरान कहा था कि एमसीसी से हुए समझौते की कुछ शर्तों में संशोधन के बिना उसका अनुमोदन नहीं किया जाएगा। सम्मेलन में आए कुछ प्रतिनिधियों ने करार को पूरी तरह रद्द करने की मांग की थी। उस समय मीडिया में ये चर्चा हुई थी कि देउबा और दहल ने एमसीसी को एक साझा पत्र लिखा था। लेकिन दहल ने तब उस खबर का खंडन कर दिया था।
पहले दहल ने लगाए थे ओली पर आरोप
बीते गुरुवार को दहल की करनाली प्रांत के नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक हुई थी। उसमें भी उन्होंने दोहराया कि एमसीसी करार का ‘उसके मौजूदा स्वरूप में’ अनुमोदन नहीं किया जाएगा। उधर प्रधानमंत्री देउबा इस करार का अनुमोदन कराने में एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। लेकिन इसका दहल की पार्टी की तरफ से जोरदार विरोध किया जा रहा है। देउबा के नेतृत्व वाले पांच दलों के सत्ताधारी गठबंधन में माओइस्ट सेंटर भी शामिल है। इसमें माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड सोशलिस्ट) भी शामिल है। वह भी एमसीसी समझौते का विरोध कर रही है।
ताजा खुलासे के बाद पर्यवेक्षकों ने कहा है कि दहल दोहरा खेल खेल रहे हैं। जब उनके विरोधी ओली प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने एमसीसी मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया। उन्होंने इस समझौते की वकालत करने के लिए ओली पर अमेरिका की दलाली करने का आरोप लगाया। अब उनकी पार्टी सत्ताधारी गठबंधन में है, तो ये बात पलट के उनके गले आ पड़ी है। राजनीतिक पर्यवेक्षक राजेंद्र महाजन ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘दहल फंस गए हैं और इस स्थिति के लिए वे खुद ही जिम्मेदार हैँ।’
विस्तार
नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) के प्रमुख पुष्प कमल दहल के बारे में हुए ताजा खुलासे ने नेपाल में राजनेताओं के दोमुंहेपन को लेकर लोगों ने गुस्सा नए सिरे से भड़का दिया है। दहल अपने सार्वजनिक बयानों में अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) से आर्थिक मदद लेने का पुरजोर विरोध करते रहे हैँ। लेकिन अब नेपाली अखबार कांतिपुर दैनिक ने पिछले साल 29 सितंबर को लिखी गई एक चिट्ठी का खुलासा किया है। वह पत्र प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और दहल के दस्तखत से एमसीसी को भेजा गया था। पत्र में अमेरिकी संस्था से उसकी 50 करोड़ डॉलर की मदद स्वीकार करने के सवाल पर देश में आम सहमति बनाने के लिए चार-पांच महीने का समय देने का अनुरोध किया गया।
होड़ से जुड़ी हुई है मदद
इस मसले पर पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का दोमुंहापन पहले से चर्चित रहा है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए ओली ने ये मदद स्वीकार करने की वकालत की थी। लेकिन सत्ता से हटने के बाद उन्होंने इसका पुरजोर विरोध शुरू कर दिया। अभी ओली, दहल, और माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टियां इस मदद को लेने का विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि ये मदद अमेरिका और चीन के बीच चल रही होड़ से जुड़ी हुई है। नेपाल को इस होड़ में नहीं पड़ना चाहिए।
एमसीसी की उपाध्यक्ष फातेमा जेड सुमार ने एक इंटरव्यू में कहा है कि एमसीसी की सहायता के अनुमोदन की समयसीमा अगली 28 फरवरी को पूरी हो जाएगी। उन्होंने दो टूक कहा कि ये समयसीमा देउबा और दहल के अनुरोध पर दी गई थी। एमसीसी की मदद लेने के लिए इस संस्था और नेपाल सरकार के बीच करार 2017 में हुआ था। लेकिन करार को व्यावहारिक रूप देने के लिए नेपाली संसद में उसका अनुमोदन अनिवार्य है। ये अनुमोदन अभी तक लटका हुआ है।
पुष्प कमल दहल ने ने बीते दिसंबर में अपनी पार्टी के महाधिवेशन के दौरान कहा था कि एमसीसी से हुए समझौते की कुछ शर्तों में संशोधन के बिना उसका अनुमोदन नहीं किया जाएगा। सम्मेलन में आए कुछ प्रतिनिधियों ने करार को पूरी तरह रद्द करने की मांग की थी। उस समय मीडिया में ये चर्चा हुई थी कि देउबा और दहल ने एमसीसी को एक साझा पत्र लिखा था। लेकिन दहल ने तब उस खबर का खंडन कर दिया था।
पहले दहल ने लगाए थे ओली पर आरोप
बीते गुरुवार को दहल की करनाली प्रांत के नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक हुई थी। उसमें भी उन्होंने दोहराया कि एमसीसी करार का ‘उसके मौजूदा स्वरूप में’ अनुमोदन नहीं किया जाएगा। उधर प्रधानमंत्री देउबा इस करार का अनुमोदन कराने में एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। लेकिन इसका दहल की पार्टी की तरफ से जोरदार विरोध किया जा रहा है। देउबा के नेतृत्व वाले पांच दलों के सत्ताधारी गठबंधन में माओइस्ट सेंटर भी शामिल है। इसमें माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड सोशलिस्ट) भी शामिल है। वह भी एमसीसी समझौते का विरोध कर रही है।
ताजा खुलासे के बाद पर्यवेक्षकों ने कहा है कि दहल दोहरा खेल खेल रहे हैं। जब उनके विरोधी ओली प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने एमसीसी मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया। उन्होंने इस समझौते की वकालत करने के लिए ओली पर अमेरिका की दलाली करने का आरोप लगाया। अब उनकी पार्टी सत्ताधारी गठबंधन में है, तो ये बात पलट के उनके गले आ पड़ी है। राजनीतिक पर्यवेक्षक राजेंद्र महाजन ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘दहल फंस गए हैं और इस स्थिति के लिए वे खुद ही जिम्मेदार हैँ।’
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