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नीरव मोदी: भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की अनुमति देने के फैसले की हो रही समीक्षा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Tue, 10 Aug 2021 10:37 PM IST

सार

भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले में सोमवार को भारत को झटका लगा है। यूके की हाईकोर्ट ने मोदी को भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की मांग स्वीकार कर ली है। नीरव मोदी के वकील ने अदालत से कहा था कि मानसिक स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में नीरव के आत्महत्या करने की आशंका बढ़ जाएगी। भारत प्रत्यर्पण के बाद नीरव को इसी जेल में रखे जाने की संभावना है।

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यूके की क्राउन प्रॉसीक्यूशन सर्विसेज (सीपीएस) ने मंगलवार को कहा कि वह भारत सरकार के साथ भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को उसके भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की अनुमति देने के लंदन उच्च न्यायालय की समीक्षा कर रहा है। सोमवार को लंदन के एक उच्च न्यायालय ने नीरव की मानसिक स्थिति के आधार पर यह फैसला दिया था।

अदालत ने नीरव को मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी है। नीरव के वकीलों ने अनुरोध किया था कि उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए प्रत्यर्पण ठीक नहीं होगा। उन्होंने मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में कथित खराब स्थितियों का हवाला दिया था, जहां प्रत्यर्पण के बाद उसे रखे जाने की संभावना है।

न्यायाधीश मार्टिन चैंबरलेन ने अपने फैसले में कहा था कि नीरव के वकीलों की ओर से उसके मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की आशंका को लेकर जताई गईं चिंताएं सुनवाई में बहस के योग्य हैं। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में आत्महत्या के प्रयासों को सफलतापूर्वक रोकने की क्षमता का मुद्दा भी बहस के दायरे में आता है।

उन्होंने अपने फैसले में कहा था, ‘इस स्थिति में, मेरे लिए सवाल बस इतना है कि क्या इन आधारों पर अपीलकर्ता का मामला तार्किक रूप से बहस के योग्य है। मेरे विचार से ऐसा है। मैं आधार तीन और चार पर (नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ) अपील करने की अनुमति दूंगा।’ अब, अदालत के इस फैसले की सीपीएस की ओर से समीक्षा की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश मार्टिन चैंबरलेन ने अपने इस फैसले में जिन आधार तीन और चार का जिक्र किया, वो मानव अधिकारों के यूरोपीय सम्मेलन (ईसीएचआर) के अनुच्छेद तीन या जीवन, स्वतंत्रता व सुरक्षा का अधिकार, और यूके के आपराधिक न्याय अधिनियम 2003 की धारा 91 से संबंधित हैं, जो अपील के लिए फिटनेस (स्वास्थ्य) से संबंधित है। 

मनोचिकित्सक की रिपोर्ट का हुआ था जिक्र
नीरव के वकीलों ने विधि विज्ञान मनोचिकित्सक डॉ. एंड्रयू फॉरेस्टर की रिपोर्ट का जिक्र किया था। फॉरेस्टर ने 27 अगस्त 2020 की रिपोर्ट में कहा था कि फिलहाल तो नहीं लेकिन नीरव में आगे आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने का खतरा है। 

वकीलों ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। गृह मंत्री प्रीति पटेल के प्रत्यर्पण आदेश पर वकीलों ने दलील दी थी कि उन्हें भारत सरकार के आश्वासन पर यकीन नहीं करना चाहिए।

विस्तार

यूके की क्राउन प्रॉसीक्यूशन सर्विसेज (सीपीएस) ने मंगलवार को कहा कि वह भारत सरकार के साथ भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को उसके भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की अनुमति देने के लंदन उच्च न्यायालय की समीक्षा कर रहा है। सोमवार को लंदन के एक उच्च न्यायालय ने नीरव की मानसिक स्थिति के आधार पर यह फैसला दिया था।

अदालत ने नीरव को मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी है। नीरव के वकीलों ने अनुरोध किया था कि उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए प्रत्यर्पण ठीक नहीं होगा। उन्होंने मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में कथित खराब स्थितियों का हवाला दिया था, जहां प्रत्यर्पण के बाद उसे रखे जाने की संभावना है।

न्यायाधीश मार्टिन चैंबरलेन ने अपने फैसले में कहा था कि नीरव के वकीलों की ओर से उसके मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की आशंका को लेकर जताई गईं चिंताएं सुनवाई में बहस के योग्य हैं। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में आत्महत्या के प्रयासों को सफलतापूर्वक रोकने की क्षमता का मुद्दा भी बहस के दायरे में आता है।

उन्होंने अपने फैसले में कहा था, ‘इस स्थिति में, मेरे लिए सवाल बस इतना है कि क्या इन आधारों पर अपीलकर्ता का मामला तार्किक रूप से बहस के योग्य है। मेरे विचार से ऐसा है। मैं आधार तीन और चार पर (नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ) अपील करने की अनुमति दूंगा।’ अब, अदालत के इस फैसले की सीपीएस की ओर से समीक्षा की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश मार्टिन चैंबरलेन ने अपने इस फैसले में जिन आधार तीन और चार का जिक्र किया, वो मानव अधिकारों के यूरोपीय सम्मेलन (ईसीएचआर) के अनुच्छेद तीन या जीवन, स्वतंत्रता व सुरक्षा का अधिकार, और यूके के आपराधिक न्याय अधिनियम 2003 की धारा 91 से संबंधित हैं, जो अपील के लिए फिटनेस (स्वास्थ्य) से संबंधित है। 

मनोचिकित्सक की रिपोर्ट का हुआ था जिक्र

नीरव के वकीलों ने विधि विज्ञान मनोचिकित्सक डॉ. एंड्रयू फॉरेस्टर की रिपोर्ट का जिक्र किया था। फॉरेस्टर ने 27 अगस्त 2020 की रिपोर्ट में कहा था कि फिलहाल तो नहीं लेकिन नीरव में आगे आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने का खतरा है। 

वकीलों ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। गृह मंत्री प्रीति पटेल के प्रत्यर्पण आदेश पर वकीलों ने दलील दी थी कि उन्हें भारत सरकार के आश्वासन पर यकीन नहीं करना चाहिए।

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