न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रशांत कुमार
Updated Mon, 02 Aug 2021 12:33 PM IST
सार
शीर्ष कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र बताया कि उसने कई बार राज्यों को एडवाइजरी जारी कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पालन की सलाह दी है। फिर भी पुलिस 66Aके तहत FIR दर्ज कर रही है।
ख़बर सुनें
विस्तार
Supreme Court issues notice to all States/UTs and Registrar General of all State High Courts on a petition seeking action against those persons who are allegedly involved in registering the FIRs despite the SC striking down Sec 66-A of the Information Technology (IT) Act in 2015 pic.twitter.com/qkwXBWsgVW
— ANI (@ANI) August 2, 2021
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि इस मामले को लेकर सभी उच्च न्यायालयों को नोटिस जारी किया जाएगा। चूंकि पुलिस राज्य का विषय है, इसलिए यह बेहतर होगा कि सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित क्षेत्रों को पक्षकार बनाया जाए और “हम एक समग्र आदेश जारी कर सकते हैं, जिससे यह मामला हमेशा के लिए सुलझ जाए”
गृह मंत्रालय ने राज्यों को जारी किया नोटिस
बता दें कि पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के सभी पुलिस स्टेशनों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की निरस्त धारा 66 ए के तहत मामले दर्ज नहीं करे। बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून की निरस्त की जा चुकी धारा 66ए के तहत भड़काऊ पोस्ट करने पर किसी व्यक्ति को तीन साल तक कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान था।
