एजेंसी, तेल अवीव।
Published by: योगेश साहू
Updated Fri, 17 Dec 2021 05:55 AM IST
सार
चाइल्ड डेवलपमेंट जर्नल में एक शोध प्रकाशित किया गया है। इसमें कहा गया है कि यह अध्ययन मां और बच्चे के बीच रिश्तों का पता लगाने के लिए किया गया था।
माता-पिता के स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल करने का असर उनसे ज्यादा उनके बच्चों (शिशु) पर पड़ता है। इसका खुलासा चाइल्ड डेवलपमेंट जर्नल में प्रकाशित एक शोध में हुआ है। इसमें बताया गया है कि स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से न सिर्फ मां और बच्चे के बीच बातचीत प्रभावित होती है बल्कि बच्चे के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
यह शोध तेल अवीव यूनिवर्सिटी में मेडिसिन विभाग की स्कैलर फैकल्टी व स्टैनली स्टेयर स्कूल ऑफ हेल्थ प्रोफेशंस में कम्युनिकेशन डिसॉर्डर विभाग की डॉ. केटी बोरोडकिन की अगुवाई में किया गया। उन्होंने बताया कि मां और बच्चों के बीच रिश्तों (बॉन्ड) का पता लगाने के लिए दो-तीन साल के बच्चों की दर्जनों माताओं को अध्ययन में शामिल होने के लिए बुलाया गया। उन्हें तीन कार्य करने को कहा गया।
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पहला…एक फेसबुक पेज पर वीडियो देखकर उन्हें लाइक करने को कहा गया।
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दूसरा…रुचि के हिसाब से मैग्जीन और लेख पढ़ने को दिए गए।
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तीसरा…अंत में अपने-अपने बच्चों के साथ खेलने को कहा गया। तब जब उनके पास न तो स्मार्टफोन था और न ही कोई मैग्जीन।
रुचि के हिसाब से बंट जाता है समय
डॉ. केटी बताती हैं कि इस शोध में यह जानने का प्रयास किया गया कि उस वक्त एक मां और बच्चे के बीच वास्तव में क्या चल रहा होता है, जब मां एक ही समय में बच्चे की देखभाल करती है और स्मार्टफोन भी चलाती है। चूंकि, इस प्रयोग के बारे में उन्हें पता नहीं था, इसलिए कुछ माताओं ने अपनी रुचि के हिसाब से बच्चों के साथ समय बिताया तो कुछ ने स्मार्टफोन चलाया तो किसी ने इस दौरान मैग्जीन पढ़े। मां, बच्चों के बीच बातचीत की वीडियो टेपिंग की गई और बाद में फ्रेम-दर-फ्रेम रिकॉर्डिंग की गई।
इन स्तरों पर किया गया अध्ययन
तेल अवीव यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मां और बच्चे की बातचीत को तीन भागों में विभाजित किया।
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सबसे पहले…मां के उस संवाद (मैटरनल लिंग्विस्टिक इनपुट) की जांच की गई, जो वह अपने बच्चे से करती है। पिछले अध्ययनों के मुताबिक, यह बच्चों में भाषा के विकास का एक महत्वपूर्ण कारक है। मां अगर कम बातचीत करती है तो इसका असर बच्चे पर पड़ेगा और भाषा का उतना विकास नहीं होगा।
- इसके बाद उस मां पर अध्ययन किया गया, जो अपने बच्चे के साथ ज्यादा समय व्यतीत करती है। इसमें पता चला कि ऐसे बच्चों में भाषाई और सामाजिक विकास बेहतर होता है।
- आखिर में हमने बच्चे को कुछ भी बोलने पर मां की प्रतिक्रिया की जांच की। उदाहरण के लिए, अगर कोई बच्चा ‘देखो, ट्रक’ कहता है तो ‘हां, यह बहुत अच्छा है’ और ‘सही है’ जैसी मां की दोनों प्रतिक्रियाओं के बीच कोई तुलना नहीं है। इसके बाद अगर वह यह भी कहती है कि ‘यह वही लाल ट्रक है, जिसे आपने कल देखा था।’ इसका मतलब है कि मां बच्चे के साथ ज्यादा बातचीत करती है। इससे वह बच्चा भाषाई, सामाजिक, भावनात्मक रूप से ज्यादा विकासशील होगा।
ऐसे कम होती जाती है बच्चों के साथ बातचीत
डॉ. केटी कहती हैं कि मां और बच्चे की बातचीत की जांच में तीन तत्व सामने आए।
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पहला…बच्चे के साथ खेलने के अलावा मैग्जीन पढ़ने या फोन चलाने की वजह से मां अपने बच्चे से दो-चौथाई तक कम बातचीत करती है।
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दूसरा…स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिताने के कारण मां अपने बच्चे से चार गुना तक कम बात कर पाती है।
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तीसरा…अगर मां फेसबुक ब्राउज करने के साथ बच्चे की किसी बात पर प्रतिक्रिया देती है तो उसकी प्रतिक्रिया की गुणवत्ता खराब होती है।
विस्तार
माता-पिता के स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल करने का असर उनसे ज्यादा उनके बच्चों (शिशु) पर पड़ता है। इसका खुलासा चाइल्ड डेवलपमेंट जर्नल में प्रकाशित एक शोध में हुआ है। इसमें बताया गया है कि स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से न सिर्फ मां और बच्चे के बीच बातचीत प्रभावित होती है बल्कि बच्चे के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
यह शोध तेल अवीव यूनिवर्सिटी में मेडिसिन विभाग की स्कैलर फैकल्टी व स्टैनली स्टेयर स्कूल ऑफ हेल्थ प्रोफेशंस में कम्युनिकेशन डिसॉर्डर विभाग की डॉ. केटी बोरोडकिन की अगुवाई में किया गया। उन्होंने बताया कि मां और बच्चों के बीच रिश्तों (बॉन्ड) का पता लगाने के लिए दो-तीन साल के बच्चों की दर्जनों माताओं को अध्ययन में शामिल होने के लिए बुलाया गया। उन्हें तीन कार्य करने को कहा गया।
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पहला…एक फेसबुक पेज पर वीडियो देखकर उन्हें लाइक करने को कहा गया।
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दूसरा…रुचि के हिसाब से मैग्जीन और लेख पढ़ने को दिए गए।
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तीसरा…अंत में अपने-अपने बच्चों के साथ खेलने को कहा गया। तब जब उनके पास न तो स्मार्टफोन था और न ही कोई मैग्जीन।
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