अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Sun, 19 Dec 2021 02:33 AM IST
सार
लंबित याचिका में अर्जी दाखिल करते हुए अधिवक्ता रोहित दंडरियाल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह अधिकारियों को 50 रुपये की नई मुद्रा को वापस लेने का निर्देश दें। दृष्टिबाधितों को उसके आकार और स्पर्श कर पता चलने वाले निशानों की वजह से पहचानने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली हाईकोर्ट (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : एएनआई
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विस्तार
लंबित याचिका में अर्जी दाखिल करते हुए अधिवक्ता रोहित दंडरियाल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह अधिकारियों को 50 रुपये की नई मुद्रा को वापस लेने का निर्देश दें। दृष्टिबाधितों को उसके आकार और स्पर्श कर पता चलने वाले निशानों की वजह से पहचानने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने कागजी मुद्रा की डिजाइन और विभिन्न मूल्यों को पता करने में दृष्टिबाधितों को होने वाली समस्या और असमानता का अध्ययन किया है। अर्जी में कहा गया, ‘प्रतिवादी (सरकार और आरबीआई) ने दृष्टिबाधितों के लाभ लिए कई योजनाएं शुरू की हैं और 1, 2, 5, 10 और 20 रुपये के सिक्के जारी किए हैं।
वहीं, कागजी मुद्रा में 1, 2, 5, 10, 20, 100, 200, 500 और 2000 रुपये मूल्य के नोट दृष्टिबाधितों के अनुकूल हैं जबकि 50 रुपये के नोट में ऐसा नहीं है। 50 रुपये मूल्य के सिक्के भी उपलब्ध नहीं हैं। उच्च न्यायालय ने इससे पहले सरकार और आरबीआई से नई कागजी मुद्राओं और सिक्कों की जांच के लिए कहा था। अदालत ने पाया कि दृष्टिबाधित को उन्हें पहचानने में मुश्किल हो रही है।