वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, सिओल
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 06 Nov 2021 05:23 PM IST
सार
एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच चल रही होड़ की वजह से इस बार दक्षिण कोरिया के चुनाव पर खास नजर है। दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैनिक अड्डे हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यह अमेरिकी खेमे का देश रहा है। लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति मून जाये-इन चीन से टकराव बढ़ाने से बचते रहे हैं…
द. कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन
– फोटो : PTI (File Photo)
दक्षिण कोरिया में हालांकि राष्ट्रपति चुनाव अगले साल मार्च में होगा, लेकिन उसमें होने वाले मुकाबले की तस्वीर अब स्पष्ट हो गई है। दक्षिण कोरिया की मुख्य विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी ने देश के पूर्व महा-अभियोजक यून सिओक-योल को अपना उम्मीदवार चुन लिया है।
चीन से बचते रहे हैं वर्तमान राष्ट्रपति
एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच चल रही होड़ की वजह से इस बार दक्षिण कोरिया के चुनाव पर खास नजर है। दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैनिक अड्डे हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यह अमेरिकी खेमे का देश रहा है। लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति मून जाये-इन चीन से टकराव बढ़ाने से बचते रहे हैं। इस वजह से अमेरिका उनके शासन से खुश नहीं रहा है। मून डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं। अगले चुनाव में इस पार्टी की तरफ से ली जाये-मियुंग उम्मीदवार होंगे।
कंजरवेटिव पार्टी को अमेरिका के अधिक करीब समझा जाता है। इस पार्टी का उम्मीदवार चुने जाने के बाद यून ने कहा- ‘पार्टी ने मुझ जैसे राजनीति में कोई पहचान न रखने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना है। तो यह निश्चित है कि मैं चुनाव जीतूंगा।’ यून ने खुद को कॉमन-सेंस (समझदारी) और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार ली को नॉन सेंस (नासमझी) का प्रतिनिधि बताया।
मून 2017 में राष्ट्रपति चुने गए थे। इस पद पर आने के बाद से उन्होंने उत्तर कोरिया के प्रति नरम नीति अपनाई। उन्होंने उत्तर कोरिया के साथ मेलमिलाप कई बार पहल की है। कोरोना महामारी के दौरान दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने की वजह से उनकी लोकप्रियता कायम रही है। हालांकि इस बीच देश में जायदाद की कीमत बढ़ी है, जिससे नया घर खरीदने वालों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है।
कांटे की टक्कर होने की संभावना
चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों के मुताबिक अगले साल चुनाव में कांटे की टक्कर होने की संभावना है। शुक्रवार को यून के उम्मीदवार चुने जाने के बाद एक फौरी सर्वेक्षण में उन्हें 24 फीसदी लोगों का समर्थन मिला। जबकि ली को 26 फीसदी लोगों ने अपनी पसंद बताया। लेकिन 50 फीसदी लोगों ने कहा कि वे किसे वोट देंगे, इस बारे में उन्होंने अभी मन नहीं बनाया है।
लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि देश में ज्यादातर लोग सत्ता बदलने के पक्षधर हैं। म्योंगजी यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर शिन युल ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- ‘पहले के रूझानों के मुताबिक जो लोग सत्ता परिवर्तन नहीं चाहते, उनसे 20 फीसदी अधिक लोग ऐसे हैं, जो सत्ता में बदलाव देखना चाहते हैं। इसलिए डेमोक्रेटिक पार्टी को राष्ट्रपति चुनाव में कड़ी चुनौती मिलेगी।’
वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक ताकतवर राजनेताओं और व्यापारियों के खिलाफ जांच करने की वजह से यून को देश में काफी लोकप्रियता मिली है। जिन लोगों की उन्होंने जांच की, उनमें पूर्व राष्ट्रपति पार्क गियून-हे, सैमसंग कंपनी के उपाध्यक्ष ली जाये-यंग और ह्यूंदै मोटर ग्रुप के मानद अध्यक्ष चुंग मोंग-कू भी शामिल हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रपति मून की लगातार आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि अपने सयोगियों के खिलाफ जांच को रोकने के लिए मून अभियोजकों के अधिकार घटा रहे हैँ। इन बातों से वे लगातार सुर्खियों में रहे। इसका फायदा भी उनको मिल सकता है।
विस्तार
दक्षिण कोरिया में हालांकि राष्ट्रपति चुनाव अगले साल मार्च में होगा, लेकिन उसमें होने वाले मुकाबले की तस्वीर अब स्पष्ट हो गई है। दक्षिण कोरिया की मुख्य विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी ने देश के पूर्व महा-अभियोजक यून सिओक-योल को अपना उम्मीदवार चुन लिया है।
चीन से बचते रहे हैं वर्तमान राष्ट्रपति
एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच चल रही होड़ की वजह से इस बार दक्षिण कोरिया के चुनाव पर खास नजर है। दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैनिक अड्डे हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यह अमेरिकी खेमे का देश रहा है। लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति मून जाये-इन चीन से टकराव बढ़ाने से बचते रहे हैं। इस वजह से अमेरिका उनके शासन से खुश नहीं रहा है। मून डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं। अगले चुनाव में इस पार्टी की तरफ से ली जाये-मियुंग उम्मीदवार होंगे।
कंजरवेटिव पार्टी को अमेरिका के अधिक करीब समझा जाता है। इस पार्टी का उम्मीदवार चुने जाने के बाद यून ने कहा- ‘पार्टी ने मुझ जैसे राजनीति में कोई पहचान न रखने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना है। तो यह निश्चित है कि मैं चुनाव जीतूंगा।’ यून ने खुद को कॉमन-सेंस (समझदारी) और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार ली को नॉन सेंस (नासमझी) का प्रतिनिधि बताया।
मून 2017 में राष्ट्रपति चुने गए थे। इस पद पर आने के बाद से उन्होंने उत्तर कोरिया के प्रति नरम नीति अपनाई। उन्होंने उत्तर कोरिया के साथ मेलमिलाप कई बार पहल की है। कोरोना महामारी के दौरान दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने की वजह से उनकी लोकप्रियता कायम रही है। हालांकि इस बीच देश में जायदाद की कीमत बढ़ी है, जिससे नया घर खरीदने वालों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है।
कांटे की टक्कर होने की संभावना
चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों के मुताबिक अगले साल चुनाव में कांटे की टक्कर होने की संभावना है। शुक्रवार को यून के उम्मीदवार चुने जाने के बाद एक फौरी सर्वेक्षण में उन्हें 24 फीसदी लोगों का समर्थन मिला। जबकि ली को 26 फीसदी लोगों ने अपनी पसंद बताया। लेकिन 50 फीसदी लोगों ने कहा कि वे किसे वोट देंगे, इस बारे में उन्होंने अभी मन नहीं बनाया है।
लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि देश में ज्यादातर लोग सत्ता बदलने के पक्षधर हैं। म्योंगजी यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर शिन युल ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- ‘पहले के रूझानों के मुताबिक जो लोग सत्ता परिवर्तन नहीं चाहते, उनसे 20 फीसदी अधिक लोग ऐसे हैं, जो सत्ता में बदलाव देखना चाहते हैं। इसलिए डेमोक्रेटिक पार्टी को राष्ट्रपति चुनाव में कड़ी चुनौती मिलेगी।’
वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक ताकतवर राजनेताओं और व्यापारियों के खिलाफ जांच करने की वजह से यून को देश में काफी लोकप्रियता मिली है। जिन लोगों की उन्होंने जांच की, उनमें पूर्व राष्ट्रपति पार्क गियून-हे, सैमसंग कंपनी के उपाध्यक्ष ली जाये-यंग और ह्यूंदै मोटर ग्रुप के मानद अध्यक्ष चुंग मोंग-कू भी शामिल हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रपति मून की लगातार आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि अपने सयोगियों के खिलाफ जांच को रोकने के लिए मून अभियोजकों के अधिकार घटा रहे हैँ। इन बातों से वे लगातार सुर्खियों में रहे। इसका फायदा भी उनको मिल सकता है।
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