सार
क्या केसीआर एक खास रणनीति के तहत खुद को दक्षिण से प्रधानमंत्री पद के इकलौते दावेदार के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं? कुछ इसी तरह की कोशिश ममता बनर्जी भी कर रही हैं। तो क्या यह माना जाए 2024 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में राजनीतिक पंडितों की अच्छी-खासी दिमागी कसरत करा देगी।
तेजस्वी यादव की चंद्रशेखर राव से मुलाकात
– फोटो : Twitter : @TelanganaCMO
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव की मंगलवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ हुई मुलाकात ने सियासत में नई हलचल मचा दी है। तेजस्वी यादव अपने पार्टी के नेताओं की एक टीम के साथ स्पेशल फ्लाइट से हैदराबाद पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि यह चार्टर प्लेन तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने राजद नेताओं के लिए पटना भेजी थी। के चंद्रशेखर राव और तेजस्वी की इस मुलाकात को गैर भाजपा और गैर कांग्रेस दलों को एक साथ लाने के प्रारंभिक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
एक हफ्ते पहले ही चंद्रशेखर राव सीपीआई (एम) और सीपीआई नेताओं से मिले थे और तकरीबन एक महीने पहले वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से भी मिल चुके हैं। तेलंगाना में टीआरएस और भाजपा के बीच चल रही राजनीतिक टकराव के दौरान इन सभी मुलाकातों और बैठकों के दौर को काफी अहम माना जा रहा है।
तीसरे मोर्चे की अटकलें
चंद्रशेखर राव की विपक्ष के नेताओं से लगातार मुलाकात से 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले संभावित तीसरे मोर्चे के गठन की अटकलों को एक बार फिर हवा मिल रही है। हालांकि टीआरएस के नेताओं का कहना है कि चंद्रशेखर राव की तेजस्वी यादव से मुलाकात के अभी कोई सियासी मायने नहीं निकालने चाहिए। फरवरी में पांच राज्यों में राज्यों में होने वाले चुनावों के परिणाम के बाद एक साफ तस्वीर सामने आएगी।
पांच राज्यों के चुनावी नतीजे का इंतजार
बताया जा रहा है कि टीआरएस नेतृत्व पांच राज्यों के चुनावी नतीजों का इंतजार कर रहा है, क्योंकि ये नतीजे विपक्षी पार्टियों को पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ाई के लिए धार तेज करने का रास्ता बना सकते हैं। गौर से देखें तो ममता बनर्जी तो अभी से इस लड़ाई में खुद को झोंक चुकी हैं और अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव के साथ-साथ शरद पवार भी इस मैदान में कूद गए हैं। टीआरएस सूत्रों ने बताया कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद तीसरे मोर्चे को लेकर सक्रियता बहुत बढ़ने वाली है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा मोर्चा बनाने के लिए माहौल अभी से बनाया जा रहा है।
राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका की तलाश
कहा जा रहा है कि तीसरे मोर्चे के गठन के नेतृत्व की कोशिश करने वाले चंद्रशेखर राव राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका की तलाश कर रहे हैं और वे कई राष्ट्रीय नेताओं के संपर्क में है।
2018 में तेलंगाना विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी राष्ट्रीय राजनीति में इसी तरह की भूमिका खोज रहे थे और क्षेत्रीय पार्टियों से मिलकर गैर भाजपा, गैर-कांग्रेस गठबंधन बनाने का प्रयास कर रहे थे।
केसीआर राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और भाजपा के बिना एक संघीय मोर्चा बनाने की वकालत करते रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि दोनों दल देश का विकास करने में नाकाम रहे हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री राज्य से धान और चावल के कोटे की खरीद में विफल रहने के लिए बार-बार भाजपा सरकार की आलोचना कर रहे हैं। वहीं वे कांग्रेस और भाजपा से एक समान दूरी बनाए रखे हुए हैं।
तीसरा मोर्चा बनाने के अपनी इसी कवायद के तहत उन्होंने बीजू जनता दल के प्रमुख और ओडीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। तब उन्होंने कहा था कि तीसरा मोर्चा वक्त की मांग है। कहा गया कि उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी मुलाकात करने का कार्यक्रम बनाया था और इन नेताओं से मुलाकात के लिए स्पेशल एयरक्राफ्ट भी किराए पर लिया था।
सधे कदम बढ़ा रही टीआरएस
हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका को लेकर केसीआर ने कुछ नहीं कहा है लेकिन जब उन्होंने पिछले साल 14 दिसबंर 2021 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से मुलाकात की तो उन्होंने इस बात के संकेत दिए। हालांकि इससे पहले चंद्रशेखर राव 2020 में भाजपा विरोधी मंच का एलान कर चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा था जिस कांग्रेस से उम्मीद की जा रही थी कि वह भाजेपी के खिलाफ टक्कर लेने में कामयाब होगी, वह बुरी तरह फेल रही। इस कारण अब अन्य दलों पर भी इसका असर पड़ा है, ऐसे में टीआरएस इसकी शुरुआत करेगी।
टीआरएस सूत्रों ने बताया कि अपनी इस भूमिका को निभाने से पहले केसीआर बहुत सधे हुए कदम बढ़ा रहे हैं और टीआरएस नेतृत्व इस साल भाजपा शासित गोवा के चुनाव में टीएमसी के प्रदर्शन पर भी नजर रख रही है। जानकारों का कहना है कि टीआरएस प्रमुख, टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी की तरह कांग्रेस के कमजोर पड़ने के कारण राष्ट्रीय राजनीति में अन्य दलों की भूमिका तलाश रहे हैं। तीसरे मोर्चे का सहारा लेकर वे मोदी सरकार को घेरने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।
पहले भी हो चुकी है कोशिश
हालांकि इससे पहले 2019 में कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भी भाजपा विरोधी नेताओं का एक साथ जमावड़ा देखा गया था और कहा गया था कि भाजपा के खिलाफ तीसरे मोर्चे की बात शुरू हुई है, लेकिन यह कोशिश सफल नहीं रही।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केसीआर पांच राज्यों और खासतौर पर गोवा के चुनाव परिणाम का इंतजार इसलिए करना चाहते हैं ताकि वे इस बात का अंदाजा लगा सकें कि ममता बनर्जी जो खुद को विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर खुद की दावेदारी पेश कर रही हैं, वह इस चुनाव में कितनी मजबूत हुई हैं।
तीसरे मोर्चे की राह में कई चुनौतियां
विश्लेषक यह मानते हैं कि तीसरा मोर्चा बनाना केसीआर के लिए आसान नहीं होगा और इस राह में कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ा सवाल इसी बात को लेकर है कि इस मोर्चे का नेतृत्व कौन करेगा? एक तरफ ममता बनर्जी इसी कवायद में लगी हैं और दूसरी तरफ केसीआर। तो क्या मायावती, अखिलेश यादव, शरद पवार, नवीन पटनायक, स्टालिन और अरविंद केजरीवाल सरीखे नेता केसीआर का नेतॄत्व स्वीकार करेंगे?
विस्तार
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव की मंगलवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ हुई मुलाकात ने सियासत में नई हलचल मचा दी है। तेजस्वी यादव अपने पार्टी के नेताओं की एक टीम के साथ स्पेशल फ्लाइट से हैदराबाद पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि यह चार्टर प्लेन तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने राजद नेताओं के लिए पटना भेजी थी। के चंद्रशेखर राव और तेजस्वी की इस मुलाकात को गैर भाजपा और गैर कांग्रेस दलों को एक साथ लाने के प्रारंभिक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
एक हफ्ते पहले ही चंद्रशेखर राव सीपीआई (एम) और सीपीआई नेताओं से मिले थे और तकरीबन एक महीने पहले वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से भी मिल चुके हैं। तेलंगाना में टीआरएस और भाजपा के बीच चल रही राजनीतिक टकराव के दौरान इन सभी मुलाकातों और बैठकों के दौर को काफी अहम माना जा रहा है।
तीसरे मोर्चे की अटकलें
चंद्रशेखर राव की विपक्ष के नेताओं से लगातार मुलाकात से 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले संभावित तीसरे मोर्चे के गठन की अटकलों को एक बार फिर हवा मिल रही है। हालांकि टीआरएस के नेताओं का कहना है कि चंद्रशेखर राव की तेजस्वी यादव से मुलाकात के अभी कोई सियासी मायने नहीं निकालने चाहिए। फरवरी में पांच राज्यों में राज्यों में होने वाले चुनावों के परिणाम के बाद एक साफ तस्वीर सामने आएगी।
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