वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Tue, 04 Jan 2022 03:48 PM IST
सार
कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि चीन इन दौरों के जरिए ही श्रीलंका में अपने पैर पसारने की कोशिश कर रहा है। एक पॉलिसी रिसर्च ग्रुप पोरेग ने इस संबंध में लेख भी प्रकाशित किया है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और श्रीलंका के पीएम महिंदा राजपक्षे।
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विस्तार
चीन ने श्रीलंका में अपने पैर तेजी से पसारने की कोशिश शुरू कर दी है। इसी मकसद से उसने अब इस द्वीप देश के उन इलाकों को प्रभावित करने की कोशिश शुरू की है, जिन पर वह अब तक ध्यान नहीं देता था। हाल ही में सामने आया है कि श्रीलंका में चीन के राजदूत की झेनहोंग ने क्रिसमस से ठीक पहले उत्तरी प्रांत में स्थित तमिल बहुल क्षेत्र का दौरा किया था। चीनी दूतावास ने दिसंबर 15 को शुरू हुए राजदूत के इस तीन दिवसीय दौरे को श्रीलंका को जानने के मकसद से अहम बताया था।
तब चीनी दूतावास की तरफ से जारी हुए बयान में कहा गया था, “यह उत्तर का एक स्टडी टूर था, जिसकी योजना काफी पहले बना ली गई थी, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के चलते यह दौरा लगातार टल रहा था।” चीन के इस बयान को लेकर कूटनीतिक जानकारों का अलग मत है। उनका कहना है कि चीन इन दौरों के जरिए ही श्रीलंका में अपने पैर पसारने की कोशिश कर रहा है। एक पॉलिसी रिसर्च ग्रुप पोरेग ने इस संबंध में लेख भी प्रकाशित किया है।
