सार
दक्षिण अफ्रीका में 9 नवंबर को ओमिक्रॉन वैरिएंट की पहचान हुई थी। शुरुआती 15 दिन में 400 फीसदी की तेजी से मामले बढ़े थे। राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा भी संक्रमित हो गए थे, लेकिन इसके बाद भी द.अफ्रीका ने नए वैरिएंट को काबू करके दुनिया को उम्मीद की किरण दिखाई है…
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : पीटीआई
दक्षिण अफ्रीका…एक ऐसा देश जहां पर ओमिक्रॉन की सबसे पहले पुष्टि हुई थी। इसके बाद यह संक्रमण दुनियाभर में तेजी से फैला। अब आलम यह है कि ज्यादातर देश संक्रमण से जूझ रहे हैं और नई-नई पाबंदिया लागू कर रहे हैं। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका ने महज 50 दिन में ही ओमिक्रॉन पर काबू पा लिया है। गुरुवार को दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने कहा कि उसने ओमिक्रॉन की लहर को पार कर लिया है। इस दौरान मौतों के आंकड़ों में भी कोई बड़ा उछाल देखने को नहीं मिला। इसके साथ ही दक्षिण अफ्रीका ने नाइट कर्फ्यू को भी तत्काल प्रभाव से हटा लिया है और अन्य तरह की पाबंदियों को भी हटाना शुरू कर दिया है। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका ने दुनियाभर के देशों को उम्मीद की किरण दिखाई है।
एक दिन में आए थे 23 हजार से ज्यादा संक्रमित
नवंबर के शुरुआती सप्ताह में बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद इसका संक्रमण बहुत ही तेजी से फैला। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका दिसंबर के मध्य तक एक दिन में औसतन 23 हजार से ज्यादा मामलों ने यहां संक्रमण को चरम पर पहुंचा दिया। यहां पर कोरोना के 95 प्रतिशत नमूनों में ओमिक्रॉन की पुष्टि हो रही थी।
अचानक बढ़े और फिर गिरने लगे मामले
दक्षिण अफ्रीकी चिकित्सा अनुसंधान परिषद के फरीद अब्दुल्ला ने कहा कि ओमिक्रॉन संक्रमण चौंकाने वाला है। क्योंकि, इसका संक्रमण शुरुआती चार सप्ताह में चरम पर रहा और आखिरी दो सप्ताह में इसमें अचानक से गिरावट देखी गई। इसके साथ ही ओमिक्रॉन वैरिंएट से मौतों के आंकड़ों में भी कोई ज्यादा उछाल नहीं देखा गया।
दो सप्ताह से नीचे आई संक्रमण दर
दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ने के बाद संक्रमण 30 प्रतिशत तक नीचे गिर गया। इस समय एक दिन में औसतन 11, 500 मामले सामने आ रहे हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि एक दो प्रांत छोड़कर सभी प्रांतों में संक्रमण दर घट गई है वहीं अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गई है।
कड़े नियमों ने रोका संक्रमण
ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच दक्षिण अफ्रीका ने कड़ा अनुशासन दिखाया। यहां पर देर रात से सुबह चार बजे तक नाइट कर्फ्यू लगाया गया, वहीं सार्वजनिक सभाओं को भी प्रतिबंध के दायरे में लाया गया। शराब की दुकानों को भी रात 11 बजे के बाद खोलने पर मनाही लगा दी गई थी। इसके साथ ही दक्षिण अफ्रीका ने टीकाकरण पर जोर दिया, जिससे लोगों की प्रतिरक्षा मजबूत हो सके और संक्रमण पर रोक लगाई जा सके।
जनवरी में दिखेगा असर
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के अली मोकदाद ने कहा कि जनवरी में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का असली असर दिखाई देगा। हो सकता है कि जनवरी में मामले तेजी से बढ़ें और फिर तेजी से गिरें, इसके साथ ही यह भी आंशका जताई जा रही है कि संक्रमण का प्रसार बहुत ही ज्यादा हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि पिछले साल कोरोना की तुलना अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम रहेगी।
विस्तार
दक्षिण अफ्रीका…एक ऐसा देश जहां पर ओमिक्रॉन की सबसे पहले पुष्टि हुई थी। इसके बाद यह संक्रमण दुनियाभर में तेजी से फैला। अब आलम यह है कि ज्यादातर देश संक्रमण से जूझ रहे हैं और नई-नई पाबंदिया लागू कर रहे हैं। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका ने महज 50 दिन में ही ओमिक्रॉन पर काबू पा लिया है। गुरुवार को दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने कहा कि उसने ओमिक्रॉन की लहर को पार कर लिया है। इस दौरान मौतों के आंकड़ों में भी कोई बड़ा उछाल देखने को नहीं मिला। इसके साथ ही दक्षिण अफ्रीका ने नाइट कर्फ्यू को भी तत्काल प्रभाव से हटा लिया है और अन्य तरह की पाबंदियों को भी हटाना शुरू कर दिया है। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका ने दुनियाभर के देशों को उम्मीद की किरण दिखाई है।
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