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ट्रंप की एरिजोना रैली पर नजर: जोर-शोर से दोहराएंगे बीते चुनाव में धांधली का ‘झूठ’

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 13 Jan 2022 05:31 PM IST

सार

विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की प्रस्तावित रैली पर सारे देश की नजर रहेगी। इसकी वजह यह है कि वे अभी भी रिपब्लिकन पार्टी में सबसे मजबूत नेता हैं। अब पार्टी के मंच से फिर 2020 के चुनाव के बारे में अपने ‘झूठे’ दावे को दोहराएंगे…

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
– फोटो : PTI (File Photo)

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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शनिवार को एरिजोना राज्य में रैली करने पर अड़े हुए हैं। मंगलवार को उन्होंने इस प्रस्तावित रैली के वक्ताओं की लिस्ट जारी कर दी। ये तमाम वक्ता वे हैं, जो 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे को स्वीकार नहीं करते। ट्रंप ने पिछले छह जनवरी को कैपिटल हिल (अमेरिकी संसद भवन) पर हमले की बरसी पर प्रेस कांफ्रेंस करने का एलान किया था। लेकिन अचानक उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस को रद्द कर दिया। उन्होंने तभी कहा था कि अब वे 15 जनवरी को एक रैली करके अपनी बात कहेंगे।

रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप का समर्थन अहम

विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की प्रस्तावित रैली पर सारे देश की नजर रहेगी। इसकी वजह यह है कि वे अभी भी रिपब्लिकन पार्टी में सबसे मजबूत नेता हैं। अब पार्टी के मंच से फिर 2020 के चुनाव के बारे में अपने ‘झूठे’ दावे को दोहराएंगे। ट्रंप ने पहले ये एलान कर दिया है कि उनके इस दावे से जो नेता सहमति जताएंगे, वे सिर्फ उनका ही अगले संसदीय चुनाव में समर्थन करेंगे। पर्यवेक्षकों के मुताबिक रिपब्लिकन उम्मीदवारों के लिए ट्रंप का समर्थन आज भी बेहद अहम है।

ट्रंप रिपब्लिकन शासन वाले राज्यों में चुनाव प्रशासन में अपने समर्थकों की भर्ती के लिए जोर लगा रहे हैं। भविष्य में चुनाव परिणाम घोषित करने में उन अधिकारियों की निर्णायक भूमिका होगी। जानकारों का कहना है कि ट्रंप अब एक निश्चित योजना के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वे उन रिपब्लिकन नेताओं का करियर खत्म करने के अभियान में जुटे हुए हैं, जिन्होंने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को वैध माना था।

पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि ट्रंप अब किसी भी वैसे व्यक्ति को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं, जो रिपब्लिकन पार्टी के अंदर उनके प्रति पूरी तरह वफादार ना हो। उनसे थोड़ी भी असहमति जताने वाले नेता पर वे अब टूट पड़ते हैं। ऐसी एक घटना दो रोज पहले हुई। रिपब्लिकन सीनेटर माइक राउंड्स ने बीते रविवार को टीवी चैनल एबीसी से बातचीत में कहा कि जांच के दौरान उन्हें कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला, जिससे लगता कि किसी भी राज्य में उल्टा चुनाव परिणाम आ सकता था। सोमवार को ट्रंप ने राउंड्स पर हमला बोल दिया। उन्होंने ईमेल के जरिए भेजे अपने बयान में कहा कि राउंड्स सिर्फ नाम के रिपब्लिकन हैं, जिनका वे भविष्य में कभी समर्थन नहीं करेंगे।

धमकियां देते हैं ट्रंप समर्थक

वेबसाइट एक्सियोस.कॉम की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रंप के हमलों की कई रिपब्लिकन नेताओं को महंगी कीमत चुकानी पड़ी है। उनमें एक हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की सदस्य लिज चेनी भी हैं। ट्रंप के उग्र समर्थक ऐसे नेताओं और उनके परिजनों को धमकियां भेजना शुरू कर देते हैं। कम से कम दो ऐसे रिपब्लिकन नेता हैं, जिन्होंने ट्रंप समर्थकों के विरोध के कारण आगे चुनाव न लड़ने का एलान कर दिया है।

विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की रणनीति रिपब्लिकन पार्टी में उनसे असहमत निर्वाचित नेताओं को इतना परेशान कर देने की रही है, जिससे वे राजनीति से हट जाएं। उस हाल में उनकी जगह ट्रंप अपने किसी वफादार नेता को उम्मीदवार बनवा सकेंगे। पर्यवेक्षकों के मुताबिक अब तक ट्रंप की ये रणनीति कारगर रही है।

विस्तार

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शनिवार को एरिजोना राज्य में रैली करने पर अड़े हुए हैं। मंगलवार को उन्होंने इस प्रस्तावित रैली के वक्ताओं की लिस्ट जारी कर दी। ये तमाम वक्ता वे हैं, जो 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे को स्वीकार नहीं करते। ट्रंप ने पिछले छह जनवरी को कैपिटल हिल (अमेरिकी संसद भवन) पर हमले की बरसी पर प्रेस कांफ्रेंस करने का एलान किया था। लेकिन अचानक उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस को रद्द कर दिया। उन्होंने तभी कहा था कि अब वे 15 जनवरी को एक रैली करके अपनी बात कहेंगे।

रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप का समर्थन अहम

विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की प्रस्तावित रैली पर सारे देश की नजर रहेगी। इसकी वजह यह है कि वे अभी भी रिपब्लिकन पार्टी में सबसे मजबूत नेता हैं। अब पार्टी के मंच से फिर 2020 के चुनाव के बारे में अपने ‘झूठे’ दावे को दोहराएंगे। ट्रंप ने पहले ये एलान कर दिया है कि उनके इस दावे से जो नेता सहमति जताएंगे, वे सिर्फ उनका ही अगले संसदीय चुनाव में समर्थन करेंगे। पर्यवेक्षकों के मुताबिक रिपब्लिकन उम्मीदवारों के लिए ट्रंप का समर्थन आज भी बेहद अहम है।

ट्रंप रिपब्लिकन शासन वाले राज्यों में चुनाव प्रशासन में अपने समर्थकों की भर्ती के लिए जोर लगा रहे हैं। भविष्य में चुनाव परिणाम घोषित करने में उन अधिकारियों की निर्णायक भूमिका होगी। जानकारों का कहना है कि ट्रंप अब एक निश्चित योजना के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वे उन रिपब्लिकन नेताओं का करियर खत्म करने के अभियान में जुटे हुए हैं, जिन्होंने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को वैध माना था।

पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि ट्रंप अब किसी भी वैसे व्यक्ति को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं, जो रिपब्लिकन पार्टी के अंदर उनके प्रति पूरी तरह वफादार ना हो। उनसे थोड़ी भी असहमति जताने वाले नेता पर वे अब टूट पड़ते हैं। ऐसी एक घटना दो रोज पहले हुई। रिपब्लिकन सीनेटर माइक राउंड्स ने बीते रविवार को टीवी चैनल एबीसी से बातचीत में कहा कि जांच के दौरान उन्हें कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला, जिससे लगता कि किसी भी राज्य में उल्टा चुनाव परिणाम आ सकता था। सोमवार को ट्रंप ने राउंड्स पर हमला बोल दिया। उन्होंने ईमेल के जरिए भेजे अपने बयान में कहा कि राउंड्स सिर्फ नाम के रिपब्लिकन हैं, जिनका वे भविष्य में कभी समर्थन नहीं करेंगे।

धमकियां देते हैं ट्रंप समर्थक

वेबसाइट एक्सियोस.कॉम की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रंप के हमलों की कई रिपब्लिकन नेताओं को महंगी कीमत चुकानी पड़ी है। उनमें एक हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की सदस्य लिज चेनी भी हैं। ट्रंप के उग्र समर्थक ऐसे नेताओं और उनके परिजनों को धमकियां भेजना शुरू कर देते हैं। कम से कम दो ऐसे रिपब्लिकन नेता हैं, जिन्होंने ट्रंप समर्थकों के विरोध के कारण आगे चुनाव न लड़ने का एलान कर दिया है।

विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की रणनीति रिपब्लिकन पार्टी में उनसे असहमत निर्वाचित नेताओं को इतना परेशान कर देने की रही है, जिससे वे राजनीति से हट जाएं। उस हाल में उनकी जगह ट्रंप अपने किसी वफादार नेता को उम्मीदवार बनवा सकेंगे। पर्यवेक्षकों के मुताबिक अब तक ट्रंप की ये रणनीति कारगर रही है।

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