कोरोना महामारी की चुनौतियों के बावजूद टोक्यो में हुए 32वें ओलंपिक खेलों का सफल आयोजन संपन्न हुआ। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थामस बॉक ने टोक्यो ओलंपिक 2020 के समापन की औपचारिक घोषणा की।
वैश्विक महामारी के बीच खेल महाकुंभ बना एकजुटता की मिसाल
इन खेलों में 339 स्पर्धाओें में 11 हजार से ज्यादा एथलीटों ने भाग लिया जिसने पूरी दुनिया को एकजुटता का संदेश दिया।
बजंरग पूनिया बने ध्वजवाहक
समापन समारोह में दस भारतीय एथलीटों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया। कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान बजरंग पूनिया ने समापन समारोह में भारतीय दल की अगुवाई की। उद्घाटन समारोह में खिलाड़ियों ने जहां पारंपरिक पोशाक पहनी वहीं वे समापन समारोह में ट्रैक सूट पहने दिखाई दिए। वह तिरंगा लिए सबसे आगे चल रहे थे।
भारत का श्रेष्ठ प्रदर्शन
भारत 7 पदक के साथ 48वें स्थान पर रहा, जो उसका ओलंपिक इतिहास में सबसे शानदार प्रदर्शन है। भारत की ओर से जेवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण, भारोत्तोलक मीराबाई चानू और कुश्ती में रवि कुमार दहिया ने रजत पदक दिलाया। वहीं बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू, पहलवान बजरंग पूनिया, मुक्केबाज लवलिना बोरगोहेन और पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता।
आतिशबाजी से शुरुआत
समारोह की शुरुआत आतिशबाजी से हुई। इसके बाद मंच पर मेजबान जापान का ध्वज लाया गया। इसके बाद सभी देशों के झंडे स्टेडियम में एक गोले में दिखाई दिए। आयोजकों ने ‘असंख्य व्यक्तियों के लिए आभार व्यक्त किया’ जिन्होंने ओलंपिक खेलों को समापन समारोह तक पहुंचाने में मदद की। इसके बाद जापान के प्रिंस अकिशिनो और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक उपस्थित हुए।
वीडियो में दिखा 17 दिन का सार
समापन समारोह एक वीडियो के साथ शुरू हुआ जिसमें 17 दिन की स्पर्धाओं का सार था। शुरुआती वीडियो में फोकस रिकॉर्ड और स्कोर पर नहीं बल्कि उन सभी खिलाड़ियों के साहसिक प्रयासों पर था जिन्होंने रोज कोविड-19 जांच करवाते हुए कड़े बायो-बबल में हिस्सा लिया। समारोह का मुख्य संदेश था कि खेल एक उज्जवल भविष्य के दरवाजे खोलेंगे।
समापन समारोह में टोक्यो के गवर्नर युरिको कोइके और आईओए के अध्यक्ष थॉमस बाक ने ओलंपिक ध्वज को पेरिस की मेयर एने हिडालगो को सौंपा। पेरिस में ही अगला 2024 पेरिस ओलंपिक होना है। इस दौरान एफिल टावर पर ओलंपिक ध्वज भी फहराया गया।
समापन समारोह में फ्रांस के राष्ट्रगान की प्रस्तुति के बाद स्टेडियम में फ्रांस का राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। इसके बाद पेरिस ओलंपिक 2024 की उलटी गिनती शुरू हो गई। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी वीडियो के जरिए सभी को अगले ओलंपिक के लिए शुभकामनाएं दीं।
अमेरिका पदक तालिका में शीर्ष पर
अमेरिका ने 39 स्वर्ण, 41 रजत और 33 कांस्य पदकों के साथ 113 पदक जीते और शीर्ष पर रहा। चीन 38 स्वर्ण के साथ दूसरे और मेजबान जापान तीसरे स्थान पर रहा। जापान अपने इतिहास के सबसे ज्यादा 27 स्वर्ण पदक जीतने के अलावा कुल सर्वाधिक 58 पदक जीतने में सफल रहा।
टोक्यो में रही नए भारत की गूंज
रंगारंग कार्यक्रम के साथ टोक्यो में 32वें ओलंपिक खेलों का समापन हो गया। भारत के लिए ये खेल ऐतिहासिक रहे। भारत ने सात (एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य) पदक जीते जो किसी एक संस्करण में भारत का श्रेष्ठ प्रदर्शन है। पहले ही दिन भारोत्तोलक मीराबाई चानू के रजत से पदक तालिका में आने के बाद भारत शीर्ष पचास (48वां स्थान) में रहा।
भारत ने सात पदक जीते जिनमें भालाफेंक एथलीट नीरज चोपड़ा, मुक्केबाज लवलीना, पहलवान रवि दहिया, बजरंग का यह पहला ओलंपिक रहा। हॉकी टीम में कप्तान मनप्रीत और श्रीजेश को छोड़ दें तो ज्यादातर खिलाड़ी पहली बार खेल महाकुंभ में उतरे।
कोरोना की चुनौती के बीच महाप्रदर्शन
यूं तो पूरी दुनिया में कोेविड-19 के कारण ओलंपिक की तैयारियां प्रभावित रहीं लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से दिखा दिया कि महामारी की चुनौती के बीच भी उनमें खेलों के सबसे बड़े मंच पर बेहतर करने का जज्बा है। कोरोना के कारण ही यह खेल एक साल के लिए स्थगित हुए थे।
पहली बार किया यह कमाल
- भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने 121 साल के ओलंपिक इतिहास में ट्रैक एंड फील्ड में पहला स्वर्ण पदक दिलाया।
- बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में दो पदक जीतने वालीं पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं।
- पहली बार ऐसा हुआ कि हम पहले ही दिन पदक तालिका में आ गए जब भारोत्तोलन में पहली बार मीराबाई ने भारत को रजत पदक दिलाया। मीराबाई से पहले कर्णम मल्लेश्वरी (सिडनी 2000) में कांस्य दिलाया था।
लवलीना ‘दूसरी मैरीकॉम’
– मुक्केबाज लवलीना पदक जीतकर दिग्गज एम सी मैरीकॉम (लंदन 2012) के बाद ओलंपिक में पदक जीतने वालीं दूसरी भारतीय महिला मुक्केबाज बनीं।
हॉकी का लौटा गौरव
पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर गौरवशाली अतीत की वापसी की उम्मीद जगा दी है। आठ बार चैंपियन रह चुके भारत को 41 साल बाद पदक मिला है। यह कांस्य पदक जरूर लेकिन भारत के लिए इसकी अहमियत स्वर्ण पदक से कम नहीं है।
भारतीय मुक्केबाज सतीश कुमार (91+ भारवर्ग) क्वार्टर फाइनल में विश्व चैंपियन बखोदिर से हार गए लेकिन इस मुकाबले में वह 13 टांके लगे होने के बाद उतरे। वह चाहते तो मुकाबले से हट सकते लेकिन उन्होंने असीम दर्द सहा और हार कर भी नाम बुलंद कर दिया।
विरोधियों ने भी की सराहना
- महिला हॉकी टीम पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचने में सफल रही। कांस्य पदक के कड़े मुकाबले में ब्रिटेन से हार गई लेकिन अपने जुझारूपन और प्रदर्शन से देश की बेटियों की बड़ी सराहना हुई। भारतीय गोलकीपर सविता पूनिया की तो जमकर सराहना हो रही है जो तीन बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत में गोलपोस्ट के सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई। ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फैरेल ने सविता को वॉल ऑफ इंडिया करार दिया था।
- भारतीय गोल्फर अदिति अशोक मामूली अंतर से चौथे स्थान पर रहकर पदक से चूक गईं। दुनिया की नामी गिरामी गोल्फरों के बीच अदिति लगातार पदक की होड़ में रहीं। उन्होंने ओलंपिक गोल्फ में भारत की ओर से श्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
नंबर गेम
13 : साल बाद ओलंपिक में किसी स्पर्धा में भारत को मिला स्वर्ण पदक। भालाफेंक खिलाड़ी नीरज से 2008 बीजिंग में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने दिलाया था।
09 : साल बाद मिला मुक्केबाजी में पदक और इतने ही समय बाद कुश्ती में जीते दो पदक