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चीन को झटका: बीआरआई निवेश में आई बड़ी गिरावट, 2019 के बाद से दर्ज की गई 54 फीसदी की कमी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Mon, 13 Dec 2021 08:20 PM IST

सार

एक थिंक टैंक की रिपोर्ट में चीन की बीआरआई परियोजना में आने वाले निवेश में बड़ी गिरावट की जानकारी दी गई है। इसके जरिए अपने वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश में लगे चीन को बड़ा झटका लगा है।

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चीन की महत्वाकांक्षी बीआरआई (बॉर्डर रोड इनीशिएटिव) में निवेश में साल 2019 के बाद से 54 फीसदी की गिरावट आई है। यह जानकारी एक थिंक टैंक की रिपोर्ट में दी गई। इसमें कहा गया है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर कर्ज और ऋण चूक को लेकर आलोचना के बीच बीजिंग अफ्रीका में परियोजनाओं के लिए नकद राशि भी नहीं दे रहा है।

बीआरआई एक कई अरब डॉलर की परियोजना है जिसका उद्घाटन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से साल 2013 में किया था जब वह सत्ता में आए थे। चीन की इस महात्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को सड़क व समुद्री मार्गों के एक नेटवर्क के जरिए आपस में जोड़ना है।

चीन के थिंक टैंक ‘ग्रीन बीआरआई’ के अनुसार 2013 में इस परियोजना की शुरुआत के बाद पिछले साल इसमें निवेश सबसे कम स्तर पर रहा। यह थिंक टैंक बुनियादी ढांचों को लेकर वैश्विक पहलों का विश्लेषण करता है। परियोजना के 138 हिस्सेदार देशों में निवेश में 2019 के बाद 54 फीसदी यानी 47 अरब डॉलर की कमी आई है।

अमेरिका और यूरोपीय संघ ने उठाए हैं ऐसे ही कदम
जून में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (बी3डब्ल्यू) की शुरुआत करने के बाद चीन अपनी बीआरआई परियोजना का कलेवर बदलने की कोशिश कर रहा है। यूरोपीय संघ ने भी हाल ही में बीआरआई के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए 340 अरब डॉलर की लागत वाले ‘ग्लोबल गेटवे इनीशिएटिव’ शुरू किया है।

अफ्रीका को नकदी नहीं मुहैया करा पा रहा है चीन
थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीका में जहां 2013 के बाद से ही चीन भारी निवेश कर रहा है और अपने प्रभाव को बढ़ा रहा है, वहां भी अब वह नकदी उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। इसमें कहा गया है कि इसके पीछे कर्ज प्रभावित अफ्रीका में कोरोना वायरस महामारी के चलते सामने आने वाली समस्याएं अहम कारण रही हैं।

साल 2000 से 2020 तक, चीन ने अफ्रीकी देशों ने चीन की मदद से 13000 किलोमीटर सड़कों और रेलवे ट्रैक का निर्माण किया है। इस सूची में बड़े स्तर के 80 बिजली केंद्र भी शामिल हैं। इसके साथ ही चीन ने इन देशों में 130 से अधिक चिकित्सा केंद्रों, 45 खेल परिसरों व 170 से अधिक स्कूलों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई है।

विस्तार

चीन की महत्वाकांक्षी बीआरआई (बॉर्डर रोड इनीशिएटिव) में निवेश में साल 2019 के बाद से 54 फीसदी की गिरावट आई है। यह जानकारी एक थिंक टैंक की रिपोर्ट में दी गई। इसमें कहा गया है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर कर्ज और ऋण चूक को लेकर आलोचना के बीच बीजिंग अफ्रीका में परियोजनाओं के लिए नकद राशि भी नहीं दे रहा है।

बीआरआई एक कई अरब डॉलर की परियोजना है जिसका उद्घाटन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से साल 2013 में किया था जब वह सत्ता में आए थे। चीन की इस महात्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को सड़क व समुद्री मार्गों के एक नेटवर्क के जरिए आपस में जोड़ना है।

चीन के थिंक टैंक ‘ग्रीन बीआरआई’ के अनुसार 2013 में इस परियोजना की शुरुआत के बाद पिछले साल इसमें निवेश सबसे कम स्तर पर रहा। यह थिंक टैंक बुनियादी ढांचों को लेकर वैश्विक पहलों का विश्लेषण करता है। परियोजना के 138 हिस्सेदार देशों में निवेश में 2019 के बाद 54 फीसदी यानी 47 अरब डॉलर की कमी आई है।

अमेरिका और यूरोपीय संघ ने उठाए हैं ऐसे ही कदम

जून में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (बी3डब्ल्यू) की शुरुआत करने के बाद चीन अपनी बीआरआई परियोजना का कलेवर बदलने की कोशिश कर रहा है। यूरोपीय संघ ने भी हाल ही में बीआरआई के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए 340 अरब डॉलर की लागत वाले ‘ग्लोबल गेटवे इनीशिएटिव’ शुरू किया है।

अफ्रीका को नकदी नहीं मुहैया करा पा रहा है चीन

थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीका में जहां 2013 के बाद से ही चीन भारी निवेश कर रहा है और अपने प्रभाव को बढ़ा रहा है, वहां भी अब वह नकदी उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। इसमें कहा गया है कि इसके पीछे कर्ज प्रभावित अफ्रीका में कोरोना वायरस महामारी के चलते सामने आने वाली समस्याएं अहम कारण रही हैं।

साल 2000 से 2020 तक, चीन ने अफ्रीकी देशों ने चीन की मदद से 13000 किलोमीटर सड़कों और रेलवे ट्रैक का निर्माण किया है। इस सूची में बड़े स्तर के 80 बिजली केंद्र भी शामिल हैं। इसके साथ ही चीन ने इन देशों में 130 से अधिक चिकित्सा केंद्रों, 45 खेल परिसरों व 170 से अधिक स्कूलों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई है।

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