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गोवा का रण: संगठन क्षमता के बलबूते भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही आप, दिलचस्प हुआ मुकाबला 

सुरेंद्र मिश्र, पणजी
Published by: Amit Mandal
Updated Sat, 12 Feb 2022 06:52 AM IST

सार

2017 में मात खाने के बाद से ही आप ने संगठन पर ध्यान दिया था जिसका अब उसे फायदा मिल रहा है। 
 

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गोवा के रण में कहीं त्रिकोणीय तो कहीं चौकोणीय मुकाबला है। लेकिन सत्ताधारी भाजपा को आम आदमी पार्टी (आप) से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। प्रदेश में आप की राजनीतिक क्षमता भले ही नहीं है, लेकिन वह संगठन क्षमता के बलबूते भाजपा को टक्कर दे रही है। सूबे में एकमात्र भाजपा ने सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। 

10 साल से वनवास झेल रही कांग्रेस 
वहीं, 10 साल के बाद राजनीतिक वनवास खत्म होने का इंतजार कर रही कांग्रेस सिर्फ 37 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जबकि आप 40 में से 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर और एक निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन देकर भाजपा से मुकाबला कर रही है। दस साल तक लगातार सत्ता में रहते हुए भाजपा ने गोवा में कार्यकर्ताओं की मजबूत फौज तैयार की है। वहीं, मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा बेहद कमजोर है। जबकि आप ने साल 2017 के चुनाव में बुरी तरह मात खाने के बाद गोवा में संगठन पर ध्यान दिया और कार्यकर्ता तैयार किए हैं। आप के नेता रुबेन मस्करेन्हास कहते हैं कि हमारे संगठन में युवा और महिलाओं की मजबूत टीम है जिनके बल पर हम गोवा में भाजपा को टक्कर दे पा रहे है।

भाजपा के 21 उम्मीदवार बाहरी 
मडगांव के निवासी नरेंद्र कुमार के अनुसार भाजपा ने भले ही सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं लेकिन 40 में से 21 उम्मीदवार बाहरी हैं। इसके कारण भाजपा के मूल कार्यकर्ता और संघ के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। वहीं, आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार से मुक्ति देने के साथ ही दलबदल की राजनीति को भी चुनाव का मुद्दा बनाया हैं। गोवा में चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं से रूबरू होते हुए केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस को वोट देने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि ये लोग चुनाव जीतने के बाद भाजपा में चले जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि साल 2017 के चुनाव में भाजपा को 13 और कांग्रेस को 17 सीटें मिली थी। इसके बावजूद भाजपा ने सरकार बनाई और साल 2022 तक कांग्रेस के पास एकमात्र पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ही शेष रह गए थे। बाकी सभी विधायकों ने दलबदल कर लिया था। कांग्रेस के अधिकतर विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं और अब चुनाव मेैदान में हैं। कांग्रेस से भाजपा मे आए उम्मीदवारों को जिताने के लिए गोवा भाजपा प्रभारी देवेन्द्र फडणवीस का अधिकतर समय संघ के कार्यकर्ताओं को मनाने में जाया हो रहा है।

गोवा के चुनाव में महाराष्ट्र की यंग ब्रिगेड
गोवा विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र भाजपा की पूरी ताकत झोंक दी है और यंग ब्रिगेड को काम पर लगाया है। महाराष्ट्र भाजपा के करीब 17 युवा विधायक और 3 युवा सासंद बीते एक महीने से गोवा में व्यस्त हैं। उन्हें विधानसभा स्तर पर जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, कांग्रेस को कार्यकर्ताओं की कमीं पूरा करने के लिए पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के कोकण, कोल्हापुर और सोलापुर से करीब 100 कार्यकर्ता बुलाने पड़े हैं। जबकि आप की दिल्ली की टीम चुनाव प्रचार में लगी है। इसलिए प्रचार-प्रसार के मामले में भी आप सत्ताधारी भाजपा से मुकाबला करती नजर आ रही है।

तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर 
गोवा में शनिवार को प्रचार का शोर थम गया। यहां 14 फरवरी को मतदान होना है। राज्य के 11 लाख से अधिक मतदाता 301 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। इसमें से तीन पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, लक्ष्मीकांत पार्सेकर, रवि नाईक और मौजूदा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत चुनाव मैदान में हैं जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। ये सभी अलग-अलग पार्टियों से चुनाव मैदान में हैं। मतदान से पूर्व दो दिन काफी अहम रहेगा। 

विस्तार

गोवा के रण में कहीं त्रिकोणीय तो कहीं चौकोणीय मुकाबला है। लेकिन सत्ताधारी भाजपा को आम आदमी पार्टी (आप) से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। प्रदेश में आप की राजनीतिक क्षमता भले ही नहीं है, लेकिन वह संगठन क्षमता के बलबूते भाजपा को टक्कर दे रही है। सूबे में एकमात्र भाजपा ने सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। 

10 साल से वनवास झेल रही कांग्रेस 

वहीं, 10 साल के बाद राजनीतिक वनवास खत्म होने का इंतजार कर रही कांग्रेस सिर्फ 37 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जबकि आप 40 में से 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर और एक निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन देकर भाजपा से मुकाबला कर रही है। दस साल तक लगातार सत्ता में रहते हुए भाजपा ने गोवा में कार्यकर्ताओं की मजबूत फौज तैयार की है। वहीं, मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा बेहद कमजोर है। जबकि आप ने साल 2017 के चुनाव में बुरी तरह मात खाने के बाद गोवा में संगठन पर ध्यान दिया और कार्यकर्ता तैयार किए हैं। आप के नेता रुबेन मस्करेन्हास कहते हैं कि हमारे संगठन में युवा और महिलाओं की मजबूत टीम है जिनके बल पर हम गोवा में भाजपा को टक्कर दे पा रहे है।

भाजपा के 21 उम्मीदवार बाहरी 

मडगांव के निवासी नरेंद्र कुमार के अनुसार भाजपा ने भले ही सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं लेकिन 40 में से 21 उम्मीदवार बाहरी हैं। इसके कारण भाजपा के मूल कार्यकर्ता और संघ के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। वहीं, आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार से मुक्ति देने के साथ ही दलबदल की राजनीति को भी चुनाव का मुद्दा बनाया हैं। गोवा में चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं से रूबरू होते हुए केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस को वोट देने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि ये लोग चुनाव जीतने के बाद भाजपा में चले जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि साल 2017 के चुनाव में भाजपा को 13 और कांग्रेस को 17 सीटें मिली थी। इसके बावजूद भाजपा ने सरकार बनाई और साल 2022 तक कांग्रेस के पास एकमात्र पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ही शेष रह गए थे। बाकी सभी विधायकों ने दलबदल कर लिया था। कांग्रेस के अधिकतर विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं और अब चुनाव मेैदान में हैं। कांग्रेस से भाजपा मे आए उम्मीदवारों को जिताने के लिए गोवा भाजपा प्रभारी देवेन्द्र फडणवीस का अधिकतर समय संघ के कार्यकर्ताओं को मनाने में जाया हो रहा है।

गोवा के चुनाव में महाराष्ट्र की यंग ब्रिगेड

गोवा विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र भाजपा की पूरी ताकत झोंक दी है और यंग ब्रिगेड को काम पर लगाया है। महाराष्ट्र भाजपा के करीब 17 युवा विधायक और 3 युवा सासंद बीते एक महीने से गोवा में व्यस्त हैं। उन्हें विधानसभा स्तर पर जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, कांग्रेस को कार्यकर्ताओं की कमीं पूरा करने के लिए पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के कोकण, कोल्हापुर और सोलापुर से करीब 100 कार्यकर्ता बुलाने पड़े हैं। जबकि आप की दिल्ली की टीम चुनाव प्रचार में लगी है। इसलिए प्रचार-प्रसार के मामले में भी आप सत्ताधारी भाजपा से मुकाबला करती नजर आ रही है।

तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर 

गोवा में शनिवार को प्रचार का शोर थम गया। यहां 14 फरवरी को मतदान होना है। राज्य के 11 लाख से अधिक मतदाता 301 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। इसमें से तीन पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, लक्ष्मीकांत पार्सेकर, रवि नाईक और मौजूदा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत चुनाव मैदान में हैं जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। ये सभी अलग-अलग पार्टियों से चुनाव मैदान में हैं। मतदान से पूर्व दो दिन काफी अहम रहेगा। 

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