वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 05 Apr 2022 05:13 PM IST
सार
मीडिया की रिपोर्टों में बताया गया है कि महामारी न संभाल पाने के कारण शंघाई प्रशासन में बड़े उलटफेर की तैयारी चल रही है। उप प्रधानमंत्री सुन चुनलान को कोविड विरोधी अभियान के संचालन के लिए रविवार को शंघाई भेजा गया। इसे शंघाई प्रशासन की क्षमता को लेकर बढ़े संशय का संकेत माना जा रहा है…
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विस्तार
बीते रविवार को चीन सरकार ने शंघाई में सेना को तैनात करने का एलान किया। शहर के ढाई करोड़ बाशिंदो की कोरोना जांच के काम में नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सैनिकों को तैनात किया गया है। सरकारी योजना के मुताबिक शहर के हर निवासी का न्यूक्लिक एसिड टेस्ट किया जाएगा। ये काम सोमवार को शुरू हुआ। सोमवार को इस महानगर में नौ हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए।
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन में संक्रमण को रोज सामने आ रहे मामले अंतरराष्ट्रीय कसौटी पर अभी भी बहुत कम है। लेकिन चिंता की बात यह है कि संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इससे ये धारणा टूट रही है कि चीन की सख्त जीरो कोविड की नीति से इस संक्रमण को काबू में रखा जा सकता है। शंघाई में लॉकडाउन के तहत आइसोलेशन और क्वैरंटीन के सख्त नियम लागू किए गए हैं। शहर में घरों में बंद परिवारों को जरूरी चीजों की सप्लाई सरकारी अधिकारी कर रहे हैं। देशभर से 30 हजार से ज्यादा डॉक्टरों को शंघाई भेजा गया है।
मीडिया की रिपोर्टों में बताया गया है कि महामारी न संभाल पाने के कारण शंघाई प्रशासन में बड़े उलटफेर की तैयारी चल रही है। उप प्रधानमंत्री सुन चुनलान को कोविड विरोधी अभियान के संचालन के लिए रविवार को शंघाई भेजा गया। इसे शंघाई प्रशासन की क्षमता को लेकर बढ़े संशय का संकेत माना जा रहा है। कोरोना महामारी की शुरुआत के समय सुन ने सारे देश में इस पर काबू पाने की अभियान का नेतृत्व किया है। शंघाई पहुंचने पर सुन ने कहा कि सभी नगरवासियों को जीरो कोविड नीति के अनुरूप चलना होगा।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी कहा है कि कोविड के खिलाफ कड़ी मेहनत के जरिए जो कामयाबी पाई गई थी, देश उसे गंवा नहीं सकता। चीन के स्वास्थ्य अधिकारी लगातार ये चेतावनी दे रहे थे कि अगर वायरस का संक्रमण तेजी से फैला, तो देश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है। लेकिन आरोप है कि शंघाई के अधिकारियों ने कोताही बरती। यहां बुजुर्ग आबादी के एक बड़े हिस्से का अब तक टीकाकरण नहीं हुआ है।
अब महामारी से परेशान नगरवासियों में नाराजगी साफ देखी जा रही है। वे अपनी राय सोशल मीडिया पर जता रहे हैं। एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया- ‘वुहान में महामारी फैलने के बाद दो साल गुजर चुके हैं। तब से अब तक सब कुछ बदल चुका है, लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ नहीं बदला है। अब वुहान के लोग शंघाई के प्रति सहानुभूति जता रहे हैं। इसे देख कर मुझे रोना आता है।’
शंघाई चीन के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्रों में एक है। वहां आम जिंदगी के ठहरने का मतलब चीन की पूरी अर्थव्यवस्था का प्रभावित होना है। इसलिए वहां फैल रहे संक्रमण से सारे देश की चिंता बढ़ रही है।