वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, तोक्यो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 10 Aug 2021 05:47 PM IST
सार
जापान की संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा का कार्यकाल अगले 21 अक्तूबर को खत्म होगा। उसके पहले 30 सितंबर को सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष के रूप में सुगा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा…
टोक्यो ओलंपिक खत्म होने के बाद अब जापान के सामने कोरोना वायरस संक्रमण में तेजी से हो रहे फैलाव को रोकने की चुनौती है। उधर, खेलों से ध्यान हटने के बाद अब प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा की आलोचना तेज हो गई है। विश्लेषकों का कहना है कि सुगा ने महामारी को काबू में रखते हुए ओलंपिक खेलों का आयोजन करने का दांव खेला था। वैसा होता, तो वे उसे अपनी बड़ी कामयाबी बताते। लेकिन अब महामारी में फैलाव को उनकी राजनीतिक विफलता बताया जा रहा है। जापान में सवा दो महीनों के अंदर आम चुनाव होने वाले हैं। बताया जा रहा है कि मौजूदा माहौल में सुगा के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।
जापान की संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा का कार्यकाल अगले 21 अक्तूबर को खत्म होगा। उसके पहले 30 सितंबर को सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष के रूप में सुगा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। इसीलिए सुगा 30 सितंबर के पहले चुनाव कराने पर विचार करते रहे हैं। लेकिन अब पर्यवेक्षकों का कहना है कि सुगा जितना संभव हो, चुनाव टालना चाहते हैं। अब उनकी रणनीति यह है कि कोरोना टीकाकरण की रफ्तार तेज कर उसे अपनी कामयाबी बताते हुए वे चुनाव मैदान में उतरें।
फिलहाल जापान में टीकाकरण की गति दूसरे विकसित देशों की तुलना में बहुत धीमी है। इसी महीने सुगा ने कहा कि देश की 80 फीसदी बुजुर्ग आबादी को टीका लगाया जा चुका है। लेकिन बाकी उम्र वर्ग के लोगों में ये दर बहुत कम है। अब सुगा ने कहा है कि इस महीने के अंत तक पूरी आबादी के 40 फीसदी हिस्से का टीकाकरण कर दिया जाएगा। जबकि विश्लेषकों का कहना है कि अगर सरकार ने पहले टीकाकरण को प्राथमिकता दी होती, तो आज देश को जैसी हालत झेलनी पड़ रही है, उससे वह बच सकता था।
जापान में 23 जुलाई को ओलंपिक खेलों की शुरुआत के बाद से कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। ऐसे में लोग प्रधानमंत्री सुगा के इस दावे पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं कि संक्रमण फैलने का कारण ओलंपिक नहीं है। पूर्व राजनयिक और अब जापान के नेशनल ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज में प्रोफेसर युताका लिमुरा ने टोक्यो के अखबार जापान टाइम्स से कहा कि मौजूदा स्थिति ने सुगा सरकार को कठिन परिस्थिति में डाल दिया है। जो स्थिति है, सुरक्षित ढंग से ओलंपिक खेल आयोजित करने के जापान के दावे के विपरीत है। इससे जापान की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई है।
कोमाजावा यूनिवर्सिटी में राजनीतिक संचार विषय के प्रोफेसर इवाओ ओसाका ने कहा है- ‘ओलंपिक खेलों का सुगा पर नकारात्मक प्रभाव हुआ है। अगर सुगा तुरंत चुनाव कराएं, तो सत्ताधारी पार्टी की हार तय है।’ ये स्थिति इसके बावजूद है कि इस बार ओलंपिक खेलों में जापान ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की। 27 स्वर्ण पदकों के साथ वह पदक तालिका में तीसरे नंबर पर रहा। इतने ज्यादा गोल्ड मेडल जापान ने इसके पहले कभी नहीं जीते थे। मगर खेलों में ये कामयाबी प्रधानमंत्री सुगा के काम नहीं आ रही है। कोरोना महामारी के मोर्चे पर नाकामी ने उनकी मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
विस्तार
टोक्यो ओलंपिक खत्म होने के बाद अब जापान के सामने कोरोना वायरस संक्रमण में तेजी से हो रहे फैलाव को रोकने की चुनौती है। उधर, खेलों से ध्यान हटने के बाद अब प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा की आलोचना तेज हो गई है। विश्लेषकों का कहना है कि सुगा ने महामारी को काबू में रखते हुए ओलंपिक खेलों का आयोजन करने का दांव खेला था। वैसा होता, तो वे उसे अपनी बड़ी कामयाबी बताते। लेकिन अब महामारी में फैलाव को उनकी राजनीतिक विफलता बताया जा रहा है। जापान में सवा दो महीनों के अंदर आम चुनाव होने वाले हैं। बताया जा रहा है कि मौजूदा माहौल में सुगा के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।
जापान की संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा का कार्यकाल अगले 21 अक्तूबर को खत्म होगा। उसके पहले 30 सितंबर को सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष के रूप में सुगा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। इसीलिए सुगा 30 सितंबर के पहले चुनाव कराने पर विचार करते रहे हैं। लेकिन अब पर्यवेक्षकों का कहना है कि सुगा जितना संभव हो, चुनाव टालना चाहते हैं। अब उनकी रणनीति यह है कि कोरोना टीकाकरण की रफ्तार तेज कर उसे अपनी कामयाबी बताते हुए वे चुनाव मैदान में उतरें।
फिलहाल जापान में टीकाकरण की गति दूसरे विकसित देशों की तुलना में बहुत धीमी है। इसी महीने सुगा ने कहा कि देश की 80 फीसदी बुजुर्ग आबादी को टीका लगाया जा चुका है। लेकिन बाकी उम्र वर्ग के लोगों में ये दर बहुत कम है। अब सुगा ने कहा है कि इस महीने के अंत तक पूरी आबादी के 40 फीसदी हिस्से का टीकाकरण कर दिया जाएगा। जबकि विश्लेषकों का कहना है कि अगर सरकार ने पहले टीकाकरण को प्राथमिकता दी होती, तो आज देश को जैसी हालत झेलनी पड़ रही है, उससे वह बच सकता था।
जापान में 23 जुलाई को ओलंपिक खेलों की शुरुआत के बाद से कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। ऐसे में लोग प्रधानमंत्री सुगा के इस दावे पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं कि संक्रमण फैलने का कारण ओलंपिक नहीं है। पूर्व राजनयिक और अब जापान के नेशनल ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज में प्रोफेसर युताका लिमुरा ने टोक्यो के अखबार जापान टाइम्स से कहा कि मौजूदा स्थिति ने सुगा सरकार को कठिन परिस्थिति में डाल दिया है। जो स्थिति है, सुरक्षित ढंग से ओलंपिक खेल आयोजित करने के जापान के दावे के विपरीत है। इससे जापान की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई है।
कोमाजावा यूनिवर्सिटी में राजनीतिक संचार विषय के प्रोफेसर इवाओ ओसाका ने कहा है- ‘ओलंपिक खेलों का सुगा पर नकारात्मक प्रभाव हुआ है। अगर सुगा तुरंत चुनाव कराएं, तो सत्ताधारी पार्टी की हार तय है।’ ये स्थिति इसके बावजूद है कि इस बार ओलंपिक खेलों में जापान ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की। 27 स्वर्ण पदकों के साथ वह पदक तालिका में तीसरे नंबर पर रहा। इतने ज्यादा गोल्ड मेडल जापान ने इसके पहले कभी नहीं जीते थे। मगर खेलों में ये कामयाबी प्रधानमंत्री सुगा के काम नहीं आ रही है। कोरोना महामारी के मोर्चे पर नाकामी ने उनकी मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
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