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कोरोना वायरस: एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों ने छोड़ी जीरो कोविड की नीति, अब संक्रमण से भयभीत नहीं

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, सिंगापुर
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Mon, 01 Nov 2021 06:37 PM IST

सार

ब्रिटेन की ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग के प्रोफेसर झेंगमिंग चेन ने कहा- ‘डेल्टा वैरिएंट को खत्म करना लगभग असंभव है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का अनुभव यह है कि उन्होंने कड़ी मेहनत की। लेकिन एक समय के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अब लॉकडाउन जारी नहीं रखा जा सकता। ये संक्रमण बार-बार आता रहेगा।’

ख़बर सुनें

पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अब ज्यादातर देशों ने ‘जीरो कोविड’ की नीति छोड़ दी है। इस मामले में अकेला बड़ा अपवाद चीन रह गया है। चीनी मीडिया की रिपोर्टं के मुताबिक चीन में अभी इस नीति को छोड़े जाने के कोई संकेत नहीं हैं। जीरो कोविड नीति के तहत कोरोना संक्रमण के एक भी नए मामले की खबर आने पर सख्त लॉकडाउन जैसे उपाय लागू किए जाते हैं।

चीन में जारी रहेगी नीति

चीन में 75 फीसदी से ज्यादा आबादी का पूरा टीकाकरण हो चुका है। इसके बावजूद वह सीमाएं बंद रखने, संक्रमण की आशंका वाले या विदेशों से आने वाले लोगों को लंबे समय तक क्वॉरंटीन में रखने, स्थानीय लॉकडाउन लागू करने आदि जैसे उपायों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहा है। बीते मंगलवार को उत्तर-पश्चिमी शहर लानझाउ में छह कोविड केस सामने आने के बाद लॉकडाउन कर दिया गया। इस खबर की आबादी 40 लाख से ज्यादा है।

पहले ऐसी नीति दक्षिण-पूर्व एशिया के कई और देशों ने भी अपनाई थी। लेकिन अब ज्यादातर देशों ने कोविड के इक्का-दुक्का मामलों को ज्यादा महत्त्व न देने की नीति अपना ली है। सोमवार से दक्षिण कोरिया ने भी कोविड के साथ जीने की नीति अपना ली। वहां ऐसा इसके बावजूद किया गया है कि हर हफ्ते संक्रमण के हजारों नए मामलों का सामने आना जारी है। सोमवार से कर्फ्यू हटा लिए गए, कारोबार को पूरा खोलने की इजाजत दे दी गई, और ये कहा गया कि अब निजी मेलजोल के लिए दस लोगों के इकट्ठा होने की अनुमति होगी।

जापान की राजधानी टोक्यो में पिछले महीने ही बार और रेस्तरां खोलने की इजाजत दे दी गई थी। जापान में अभी भी रोज संक्रमण के सैकड़ों नए मामले सामने आ रहे हैं। जापान और दक्षिण कोरिया में सीमा अभी नहीं खोली गई है। बाहर से आने वाले लोगों को क्वॉरंटीन में रखने के नियम अभी भी लागू हैं। उधर थाइलैंड ने 45 देशों से उन लोगों को अपने यहां आने की इजाजत दे दी है, जिन्हें वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हों। सोमवार से ऑस्ट्रेलिया ने भी उन लोगों के लिए अपनी सीमा खोलने की शुरुआत कर दी है, जिनका पूरा टीकाकरण हो चुका है।

डेल्टा वैरिएंट को खत्म करना असंभव!

जानकारों का कहना है कि दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों में अब दी जा रही ढिलाई टीकाकरण में हुई प्रगति का नतीजा है। अब ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर दुनिया के उन देशों में शामिल हो गए हैं, जहां टीकाकरण की प्रति व्यक्ति दर सबसे ऊंची है। कोरोना महामारी की शुरुआत चीन से हुई थी। उसके बाद उसके पड़ोसी देशों में इसका संक्रमण सबसे पहले फैला। इस साल कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के कारण इस क्षेत्र में नई समस्याएं खड़ी हुईं। लेकिन अब चिंताओं से निकलते हुए इन देशों ने आज जिंदगी बहाल करने की कोशिश शुरू कर दी है।

ब्रिटेन की ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग के प्रोफेसर झेंगमिंग चेन ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा- ‘डेल्टा वैरिएंट को खत्म करना लगभग असंभव है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का अनुभव यह है कि उन्होंने कड़ी मेहनत की। लेकिन एक समय के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अब लॉकडाउन जारी नहीं रखा जा सकता। ये संक्रमण बार-बार आता रहेगा।’ विश्लेषकों के मुताबिक दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र के ज्यादातर देश अब इसी समझ से चल रहे हैँ। सिर्फ चीन इसका अपवाद है।

विस्तार

पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अब ज्यादातर देशों ने ‘जीरो कोविड’ की नीति छोड़ दी है। इस मामले में अकेला बड़ा अपवाद चीन रह गया है। चीनी मीडिया की रिपोर्टं के मुताबिक चीन में अभी इस नीति को छोड़े जाने के कोई संकेत नहीं हैं। जीरो कोविड नीति के तहत कोरोना संक्रमण के एक भी नए मामले की खबर आने पर सख्त लॉकडाउन जैसे उपाय लागू किए जाते हैं।

चीन में जारी रहेगी नीति

चीन में 75 फीसदी से ज्यादा आबादी का पूरा टीकाकरण हो चुका है। इसके बावजूद वह सीमाएं बंद रखने, संक्रमण की आशंका वाले या विदेशों से आने वाले लोगों को लंबे समय तक क्वॉरंटीन में रखने, स्थानीय लॉकडाउन लागू करने आदि जैसे उपायों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहा है। बीते मंगलवार को उत्तर-पश्चिमी शहर लानझाउ में छह कोविड केस सामने आने के बाद लॉकडाउन कर दिया गया। इस खबर की आबादी 40 लाख से ज्यादा है।

पहले ऐसी नीति दक्षिण-पूर्व एशिया के कई और देशों ने भी अपनाई थी। लेकिन अब ज्यादातर देशों ने कोविड के इक्का-दुक्का मामलों को ज्यादा महत्त्व न देने की नीति अपना ली है। सोमवार से दक्षिण कोरिया ने भी कोविड के साथ जीने की नीति अपना ली। वहां ऐसा इसके बावजूद किया गया है कि हर हफ्ते संक्रमण के हजारों नए मामलों का सामने आना जारी है। सोमवार से कर्फ्यू हटा लिए गए, कारोबार को पूरा खोलने की इजाजत दे दी गई, और ये कहा गया कि अब निजी मेलजोल के लिए दस लोगों के इकट्ठा होने की अनुमति होगी।

जापान की राजधानी टोक्यो में पिछले महीने ही बार और रेस्तरां खोलने की इजाजत दे दी गई थी। जापान में अभी भी रोज संक्रमण के सैकड़ों नए मामले सामने आ रहे हैं। जापान और दक्षिण कोरिया में सीमा अभी नहीं खोली गई है। बाहर से आने वाले लोगों को क्वॉरंटीन में रखने के नियम अभी भी लागू हैं। उधर थाइलैंड ने 45 देशों से उन लोगों को अपने यहां आने की इजाजत दे दी है, जिन्हें वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हों। सोमवार से ऑस्ट्रेलिया ने भी उन लोगों के लिए अपनी सीमा खोलने की शुरुआत कर दी है, जिनका पूरा टीकाकरण हो चुका है।

डेल्टा वैरिएंट को खत्म करना असंभव!

जानकारों का कहना है कि दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों में अब दी जा रही ढिलाई टीकाकरण में हुई प्रगति का नतीजा है। अब ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर दुनिया के उन देशों में शामिल हो गए हैं, जहां टीकाकरण की प्रति व्यक्ति दर सबसे ऊंची है। कोरोना महामारी की शुरुआत चीन से हुई थी। उसके बाद उसके पड़ोसी देशों में इसका संक्रमण सबसे पहले फैला। इस साल कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के कारण इस क्षेत्र में नई समस्याएं खड़ी हुईं। लेकिन अब चिंताओं से निकलते हुए इन देशों ने आज जिंदगी बहाल करने की कोशिश शुरू कर दी है।

ब्रिटेन की ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग के प्रोफेसर झेंगमिंग चेन ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा- ‘डेल्टा वैरिएंट को खत्म करना लगभग असंभव है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का अनुभव यह है कि उन्होंने कड़ी मेहनत की। लेकिन एक समय के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अब लॉकडाउन जारी नहीं रखा जा सकता। ये संक्रमण बार-बार आता रहेगा।’ विश्लेषकों के मुताबिक दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र के ज्यादातर देश अब इसी समझ से चल रहे हैँ। सिर्फ चीन इसका अपवाद है।

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