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काम की बात: सोने की फिर बढ़ रही चमक, निवेश के लिए सही समय, अगले साल दे सकता है 15 फीसदी तक रिटर्न

काम की बात: सोने की फिर बढ़ रही चमक, निवेश के लिए सही समय, अगले साल दे सकता है 15 फीसदी तक रिटर्न

सार

महामारी पर काबू पाने के साथ महंगाई के बढ़ते जोखिम ने एक बार फिर निवेशकों को सोने की तरफ आकर्षित करना शुरू कर दिया है। आने वाले कुछ समय में सोने की कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तर को भी पार कर सकती हैं। यह समय सोने में पैसे लगाने के लिए सबसे मुफीद क्यों है, पूरा लेखा-जोखा समझाती प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट-

सोना (प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : iStock

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केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया का कहना है कि कोरोना पर नियंत्रण के साथ भारत सहित दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। इसके साथ ही महंगाई भी चुनौती बन रही है। अमेरिका में खुदरा महंगाई दर 30 साल में सबसे ज्यादा है, जबकि भारत में भी 5-6 फीसदी के दायरे में चल रही है।

जुलाई तक जा सकता है 56000 के पार
दूसरी ओर, आरबीआई की रेपो रेट अब भी चार फीसदी के साथ 20 साल के निचले स्तर पर है। अनुमान है कि मार्च के बाद इसमें बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे कर्ज आदि दोबारा महंगे होते जाएंगे। महंगाई दर ऐसे ही बढ़ती है, तो सोने को निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा। इससे 2022 की पहली छमाही (जुलाई तक) में सोना एक बार फिर अपने रिकॉर्ड स्तर को पार कर 55-56 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव जा सकता है। कुल मिलाकर 2022 में सोना 12-15  फीसदी का रिटर्न दे सकता है।

सोना लुढ़का तो 42 हजार रुपये तक जाएगा
वैसे तो शादियों का सीजन शुरू हो गया है और सोने की मांग यहां से बढ़ने की उम्मीद ज्यादा दिख रही है। बावजूद इसके अगर अर्थव्यवस्था में सुधार की गति जोर पकड़ती है और बाजार को नए अवसर मिलते हैं, तो सोने में गिरावट भी आ सकती है। चूंकि, निवेशकों को सोने से ज्यादा रिटर्न देने वाले इक्विटी का विकल्प मिलेगा जिससे यहां का पैसा शेयर बाजार में जा सकता है। ऐसे में यह मौजूदा 48 हजार के भाव से गिरकर 42,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत तक जा सकता है। यह गिरावट भी 2022 के मध्य तक आने की संभावना है।

खरीदारी में टूट सकता है पांच साल का रिकॉर्ड
निवेशकों के लिए पिछले कुछ साल काफी मुश्किलों भरे रहे। नोटबंदी, जीएसटी, सोने पर आयात शुल्क बढ़ने और कोरोना महामारी ने खरीदारी पर लगाम कस रखी थी। अनुमान है कि अगले साल सोने की मांग पिछले पांच वर्षों में सबसे ज्यादा रहेगी। वित्तवर्ष 2020-21 में सोने का आयात 2.54 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2012-13 के बाद सबसे ज्यादा था। अनुमान है कि 2021-22 में सोने का आयात इस रिकॉर्ड को भी पार कर जाएगा, क्योंकि शादियों का सीजन शुरू होने के बाद घरेलू बाजार में मांग भी बढ़ रही है।

क्रिप्टोकरेंसी भी लगा रही सेंध
पिछले एक साल में बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। सोने में निवेश होने वाली करीब 20% राशि क्रिप्टोकरेंसी में जाने का अनुमान है। इससे सीधे तौर पर सोने की मांग में कमी आएगी। हालांकि, अगर क्रिप्टोकरेंसी पर जोखिम बढ़ा या सरकार ने इसे लेकर सख्त नियम बनाए तो निवेशक एक बार फिर लंबे समय के लिए सोने को ही तरजीह देंगे। युवा निवेशक फिजिकल सोना खरीदने के बजाए गोल्ड ईटीएफ या अन्य इलेक्ट्रॉनिक रूप में पैसे लगाना पसंद करते हैं।  

कीमतें बढ़ने के पांच प्रमुख कारण

डॉलर में गिरावट : अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरो, पौंड के मुकाबले डॉलर की कीमत घटती जा रही है।
महंगाई : यूरोप, अमेरिका, भारत सहित सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने महंगाई बढ़ने की चिंता जताई है।
कोरोना संक्रमण : ब्रिटेन, यूरोप, रूस और चीन जैसे देशों में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर बढ़ने से सोने को लाभ मिलेगा।
भूराजनैतिक तनाव : अमेरिका, अफगानिस्तान, चीन व मध्यपूर्व के देशों में भूराजनैतिक तनाव बढ़ने से बाजार में अनिश्चितता भी बढ़ी है।
रुपये में गिरावट : भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 74.24 पर है, जो गिरकर 76 तक जा सकती है।

महामारी बीतने तक बरतें सावधानी
कोविड-19 का जोखिम अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। शेयर बाजार ने भले ही पिछले कुछ समय से तगड़ा रिटर्न दिया, लेकिन सुरक्षित और सतत रिटर्न के लिए सोने में लंबे समय तक निवेश बनाए रखने में ही समझदारी है। यह जरूरत के समय आपको तत्काल पूंजी भी उपलब्ध करा सकता है। -फिरोज अजीज, डिप्टी सीईओ, आनंद रथी वेल्थ मैनेजमेंट

विस्तार

केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया का कहना है कि कोरोना पर नियंत्रण के साथ भारत सहित दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। इसके साथ ही महंगाई भी चुनौती बन रही है। अमेरिका में खुदरा महंगाई दर 30 साल में सबसे ज्यादा है, जबकि भारत में भी 5-6 फीसदी के दायरे में चल रही है।

जुलाई तक जा सकता है 56000 के पार

दूसरी ओर, आरबीआई की रेपो रेट अब भी चार फीसदी के साथ 20 साल के निचले स्तर पर है। अनुमान है कि मार्च के बाद इसमें बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे कर्ज आदि दोबारा महंगे होते जाएंगे। महंगाई दर ऐसे ही बढ़ती है, तो सोने को निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा। इससे 2022 की पहली छमाही (जुलाई तक) में सोना एक बार फिर अपने रिकॉर्ड स्तर को पार कर 55-56 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव जा सकता है। कुल मिलाकर 2022 में सोना 12-15  फीसदी का रिटर्न दे सकता है।

सोना लुढ़का तो 42 हजार रुपये तक जाएगा

वैसे तो शादियों का सीजन शुरू हो गया है और सोने की मांग यहां से बढ़ने की उम्मीद ज्यादा दिख रही है। बावजूद इसके अगर अर्थव्यवस्था में सुधार की गति जोर पकड़ती है और बाजार को नए अवसर मिलते हैं, तो सोने में गिरावट भी आ सकती है। चूंकि, निवेशकों को सोने से ज्यादा रिटर्न देने वाले इक्विटी का विकल्प मिलेगा जिससे यहां का पैसा शेयर बाजार में जा सकता है। ऐसे में यह मौजूदा 48 हजार के भाव से गिरकर 42,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत तक जा सकता है। यह गिरावट भी 2022 के मध्य तक आने की संभावना है।

खरीदारी में टूट सकता है पांच साल का रिकॉर्ड

निवेशकों के लिए पिछले कुछ साल काफी मुश्किलों भरे रहे। नोटबंदी, जीएसटी, सोने पर आयात शुल्क बढ़ने और कोरोना महामारी ने खरीदारी पर लगाम कस रखी थी। अनुमान है कि अगले साल सोने की मांग पिछले पांच वर्षों में सबसे ज्यादा रहेगी। वित्तवर्ष 2020-21 में सोने का आयात 2.54 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2012-13 के बाद सबसे ज्यादा था। अनुमान है कि 2021-22 में सोने का आयात इस रिकॉर्ड को भी पार कर जाएगा, क्योंकि शादियों का सीजन शुरू होने के बाद घरेलू बाजार में मांग भी बढ़ रही है।

क्रिप्टोकरेंसी भी लगा रही सेंध

पिछले एक साल में बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। सोने में निवेश होने वाली करीब 20% राशि क्रिप्टोकरेंसी में जाने का अनुमान है। इससे सीधे तौर पर सोने की मांग में कमी आएगी। हालांकि, अगर क्रिप्टोकरेंसी पर जोखिम बढ़ा या सरकार ने इसे लेकर सख्त नियम बनाए तो निवेशक एक बार फिर लंबे समय के लिए सोने को ही तरजीह देंगे। युवा निवेशक फिजिकल सोना खरीदने के बजाए गोल्ड ईटीएफ या अन्य इलेक्ट्रॉनिक रूप में पैसे लगाना पसंद करते हैं।  

कीमतें बढ़ने के पांच प्रमुख कारण

डॉलर में गिरावट : अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरो, पौंड के मुकाबले डॉलर की कीमत घटती जा रही है।

महंगाई : यूरोप, अमेरिका, भारत सहित सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने महंगाई बढ़ने की चिंता जताई है।

कोरोना संक्रमण : ब्रिटेन, यूरोप, रूस और चीन जैसे देशों में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर बढ़ने से सोने को लाभ मिलेगा।

भूराजनैतिक तनाव : अमेरिका, अफगानिस्तान, चीन व मध्यपूर्व के देशों में भूराजनैतिक तनाव बढ़ने से बाजार में अनिश्चितता भी बढ़ी है।

रुपये में गिरावट : भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 74.24 पर है, जो गिरकर 76 तक जा सकती है।

महामारी बीतने तक बरतें सावधानी

कोविड-19 का जोखिम अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। शेयर बाजार ने भले ही पिछले कुछ समय से तगड़ा रिटर्न दिया, लेकिन सुरक्षित और सतत रिटर्न के लिए सोने में लंबे समय तक निवेश बनाए रखने में ही समझदारी है। यह जरूरत के समय आपको तत्काल पूंजी भी उपलब्ध करा सकता है। -फिरोज अजीज, डिप्टी सीईओ, आनंद रथी वेल्थ मैनेजमेंट

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