वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Fri, 04 Feb 2022 09:00 AM IST
सार
भारत ने चीन द्वारा गलवान घाटी के संघर्ष में शामिल सैनिक को मशाल थमाने पर आपत्ति जताई है। इसके विरोध स्वरूप भारत ने बीजिंग स्थित अपने राजदूत को ओलंपिक कार्यक्रम में शामिल नहीं होने को कहा है। अमेरिका पहले से ही इन ओलंपिक का राजनयिक बहिष्कार कर रहा है।
कई पड़ोसी देशों के साथ चीन के तनावपूर्ण रिश्तों व उन्हें डराने-धमकाने को लेकर अमेरिका ने कहा है कि वह हमेशा अपने मित्र देशों के साथ खड़ा है। भारत व चीन के बीच सीमा विवाद पर अमेरिका हमेशा सीधी बातचीत व शांतिपूर्ण हल के पक्ष में रहा है।
यह बातें अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कही। वॉशिंगटन में गुरुवार को आयोजित नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनसे चीन द्वारा शीतकालीन ओलंपिक की मशाल गलवान घाटी में हुए भारत-चीन संघर्ष में घायल चीनी रेजीमेंट कमांडर फैबाओ को थमाए जाने को लेकर सवाल पूछा गया था।
नेड प्राइस ने कहा कि अपने पड़ोसी देशों को डराने के बीजिंग पैटर्न को लेकर हम पहले भी अपनी चिंता जता चुके हैं। हम अपने मित्र देशों व सहयोगियों के साथ खड़े हैं। हम भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपनी साझा विरासत, सुरक्षा व मूल्यों को बढ़ावा देने के प्रति वचनबद्ध हैं।
भारत ने चीन द्वारा गलवान घाटी के संघर्ष में शामिल सैनिक को मशाल थमाने पर आपत्ति जताई है। इसके विरोध स्वरूप भारत ने बीजिंग स्थित अपने राजदूत को ओलंपिक कार्यक्रम में शामिल नहीं होने को कहा है। अमेरिका पहले से ही इन ओलंपिक का राजनयिक बहिष्कार कर रहा है।
चीन की इस हरकत को भारत को बदनाम करने की साजिश माना जा रहा है। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 2020 में हुए संघर्ष में भारत ने भी अपने 20 सैन्य जवान व अधिकारी खोए थे, वहीं चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को भारी कीमत चुकाना पड़ी थी।
दो अमेरिकी सीनेटरों ने भी रेजीमेंट कमांडर क्वी फैबाओ को मशाल थमाने का विरोध किया है। सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा कि बीजिंग 2022 खेलों के राजनीतिकरण का चीन का यह एक और भड़काने वाला प्रयास है। 2020 की भारत-चीन झड़प में शामिल सैनिक को मशाल थमाकर चीन ने भड़काने का प्रयास किया है। इसी तरह अमेरिकी विदेश विभाग की शक्तिशाली कमेटी के सीनेटर जिम रिश्च ने ट्वीट कर कहा कि अमेरिका भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए उसे समर्थन जारी रखेगा।
विस्तार
कई पड़ोसी देशों के साथ चीन के तनावपूर्ण रिश्तों व उन्हें डराने-धमकाने को लेकर अमेरिका ने कहा है कि वह हमेशा अपने मित्र देशों के साथ खड़ा है। भारत व चीन के बीच सीमा विवाद पर अमेरिका हमेशा सीधी बातचीत व शांतिपूर्ण हल के पक्ष में रहा है।
यह बातें अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कही। वॉशिंगटन में गुरुवार को आयोजित नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनसे चीन द्वारा शीतकालीन ओलंपिक की मशाल गलवान घाटी में हुए भारत-चीन संघर्ष में घायल चीनी रेजीमेंट कमांडर फैबाओ को थमाए जाने को लेकर सवाल पूछा गया था।
नेड प्राइस ने कहा कि अपने पड़ोसी देशों को डराने के बीजिंग पैटर्न को लेकर हम पहले भी अपनी चिंता जता चुके हैं। हम अपने मित्र देशों व सहयोगियों के साथ खड़े हैं। हम भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपनी साझा विरासत, सुरक्षा व मूल्यों को बढ़ावा देने के प्रति वचनबद्ध हैं।
भारत ने चीन द्वारा गलवान घाटी के संघर्ष में शामिल सैनिक को मशाल थमाने पर आपत्ति जताई है। इसके विरोध स्वरूप भारत ने बीजिंग स्थित अपने राजदूत को ओलंपिक कार्यक्रम में शामिल नहीं होने को कहा है। अमेरिका पहले से ही इन ओलंपिक का राजनयिक बहिष्कार कर रहा है।
चीन की इस हरकत को भारत को बदनाम करने की साजिश माना जा रहा है। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 2020 में हुए संघर्ष में भारत ने भी अपने 20 सैन्य जवान व अधिकारी खोए थे, वहीं चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को भारी कीमत चुकाना पड़ी थी।
दो अमेरिकी सीनेटरों ने भी रेजीमेंट कमांडर क्वी फैबाओ को मशाल थमाने का विरोध किया है। सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा कि बीजिंग 2022 खेलों के राजनीतिकरण का चीन का यह एक और भड़काने वाला प्रयास है। 2020 की भारत-चीन झड़प में शामिल सैनिक को मशाल थमाकर चीन ने भड़काने का प्रयास किया है। इसी तरह अमेरिकी विदेश विभाग की शक्तिशाली कमेटी के सीनेटर जिम रिश्च ने ट्वीट कर कहा कि अमेरिका भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए उसे समर्थन जारी रखेगा।
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