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एसबीआई की रिपोर्ट: जून से रेपो दर 0.25 फीसदी तक बढ़ा सकता है आरबीआई, उदार रुख में बदलाव की तैयारी

एसबीआई की रिपोर्ट: जून से रेपो दर 0.25 फीसदी तक बढ़ा सकता है आरबीआई, उदार रुख में बदलाव की तैयारी

एजेंसी, मुंबई।
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 14 Apr 2022 06:48 AM IST

सार

एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने एक रिपोर्ट में कहा कि मार्च में खुदरा महंगाई की दर 6.95 फीसदी रहने के बाद सितंबर तक इसके सात फीसदी से ऊपर जाने की संभावना है। इस दौरान अच्छी बात यह है कि सरकार लगातार निवेश बढ़ा रही है। पिछले दो वर्षों में 10 लाख करोड़ का निवेश हुआ है।

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भारतीय रिजर्व बैंक आने वाली दो मौद्रिक नीति की समीक्षा में रेपो रेट में आधा पर्सेंट की बढ़त कर सकता है। इसमें जून में 25 बेसिस प्वाइंट और अगस्त में 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि हो सकता है। केंद्रीय बैंक की कोशिश महंगाई की दरो को कम करने की है, जिसकी वजह से उसे ऐसा कदम उठाना पड़ेगा।

एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने एक रिपोर्ट में कहा कि मार्च में खुदरा महंगाई की दर 6.95 फीसदी रहने के बाद सितंबर तक इसके सात फीसदी से ऊपर जाने की संभावना है। इस दौरान अच्छी बात यह है कि सरकार लगातार निवेश बढ़ा रही है। पिछले दो वर्षों में 10 लाख करोड़ का निवेश हुआ है।

रेपो दर अभी चार फीसदी है
रेपो दर उसे कहते हैं जिस दर पर बैंक रिजर्व बैंक से उधारी लेते हैं। यह वर्तमान में चार फीसदी पर है। उन्होंने कहा कि अप्रैल, 2022 से मार्च, 2023 के दौरान महंगाई की दर 6.5 फीसदी रह सकता है। इसी के साथ सरकारी प्रतिभूतियों के 10 साल का ब्याज इस समय 7.24 फीसदी है जो सितंबर तक 7.75 फीसदी तक जा सकता है।

उधारी में 10-11 फीसदी की बढ़त का अनुमान
एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौगता भट्टाचार्य ने कहा कि अगले साल हम उधारी में 10-11 फीसदी की बढ़त देख सकते हैं। उनका कहना है कि रेपो रेट में बढ़त से बैंक के शुद्ध ब्याज मार्जिन में भी वृद्धि दिखेगी। महंगाई की दरें ऊपर जाने से रिजर्व बैंक के पास दरों को बढ़ाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। इसलिए जून की मौद्रिक नीति की समीक्षा में 50 बेसिस पाइंट रेपो रेट बढ़ सकता है। 

कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर के करीब रह सकती है 
उनका कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें कब नीचे आएंगी, यह किसी को पता नहीं है। लेकिन यह 75 से 80 डॉलर बैरल से नीचे नहीं जाने वाली है। हालांकि यह आने वाले समय में 90 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर रह सकती हैं।

विस्तार

भारतीय रिजर्व बैंक आने वाली दो मौद्रिक नीति की समीक्षा में रेपो रेट में आधा पर्सेंट की बढ़त कर सकता है। इसमें जून में 25 बेसिस प्वाइंट और अगस्त में 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि हो सकता है। केंद्रीय बैंक की कोशिश महंगाई की दरो को कम करने की है, जिसकी वजह से उसे ऐसा कदम उठाना पड़ेगा।

एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने एक रिपोर्ट में कहा कि मार्च में खुदरा महंगाई की दर 6.95 फीसदी रहने के बाद सितंबर तक इसके सात फीसदी से ऊपर जाने की संभावना है। इस दौरान अच्छी बात यह है कि सरकार लगातार निवेश बढ़ा रही है। पिछले दो वर्षों में 10 लाख करोड़ का निवेश हुआ है।

रेपो दर अभी चार फीसदी है

रेपो दर उसे कहते हैं जिस दर पर बैंक रिजर्व बैंक से उधारी लेते हैं। यह वर्तमान में चार फीसदी पर है। उन्होंने कहा कि अप्रैल, 2022 से मार्च, 2023 के दौरान महंगाई की दर 6.5 फीसदी रह सकता है। इसी के साथ सरकारी प्रतिभूतियों के 10 साल का ब्याज इस समय 7.24 फीसदी है जो सितंबर तक 7.75 फीसदी तक जा सकता है।

उधारी में 10-11 फीसदी की बढ़त का अनुमान

एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौगता भट्टाचार्य ने कहा कि अगले साल हम उधारी में 10-11 फीसदी की बढ़त देख सकते हैं। उनका कहना है कि रेपो रेट में बढ़त से बैंक के शुद्ध ब्याज मार्जिन में भी वृद्धि दिखेगी। महंगाई की दरें ऊपर जाने से रिजर्व बैंक के पास दरों को बढ़ाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। इसलिए जून की मौद्रिक नीति की समीक्षा में 50 बेसिस पाइंट रेपो रेट बढ़ सकता है। 

कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर के करीब रह सकती है 

उनका कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें कब नीचे आएंगी, यह किसी को पता नहीं है। लेकिन यह 75 से 80 डॉलर बैरल से नीचे नहीं जाने वाली है। हालांकि यह आने वाले समय में 90 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर रह सकती हैं।

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