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एल्गार परिषद मामला: दो आरोपियों ने खटखटाया अदालत का दरवाजा, कहा सरकार की आलोचना करना देशद्रोह नहीं  

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Wed, 24 Nov 2021 12:37 PM IST

सार

दोनों आरोपी रमेश गायचोर और सागर गोरखे कथित तौर पर प्रतिबंधित संगठन करीब कला मंच के सदस्य हैं। इन दोनों को 2020 में एनआईए ने पुणे में एल्गार परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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2018 एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों ने जमानत के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। दोनों आरोपी रमेश गायचोर और सागर गोरखे कथित तौर पर प्रतिबंधित संगठन करीब कला मंच के सदस्य हैं। इन दोनों को 2020 में एनआईए ने पुणे में एल्गार परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

दोनों आरोपियों की ओर से कोर्ट में पेश वकील ने कहा कि गायचोर ओर गोरखे के खिलाफ आरोप है कि एल्गार परिषद कार्यक्रम के दौरान दोनों ने एक नाटक का मंचन किया था, जिसकी स्क्रिप्टर की वजह से शांति भंग हुई और माहौल खराब हुआ। वकील ने कहा दोनों ने जांच एजेंसी को पूरा सहयोग किया, इसलिए उन्हें हिरासत में रखे जाने की कोई ठोस वजह नहीं है। 

सरकार की आलोचना करना, राष्ट्रद्रोह नहीं
दोनों की ओर से पेश वकील ने कहा कि आरोप लगाया जाता है कि एल्गार परिषद में जो कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए वे राष्ट्रद्रोह से प्रेरित था। लेकिन सरकार की आलोचना करना देशद्रोह कैसे है। उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना करना उनका पूरा अधिकार है। 

विस्तार

2018 एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों ने जमानत के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। दोनों आरोपी रमेश गायचोर और सागर गोरखे कथित तौर पर प्रतिबंधित संगठन करीब कला मंच के सदस्य हैं। इन दोनों को 2020 में एनआईए ने पुणे में एल्गार परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

दोनों आरोपियों की ओर से कोर्ट में पेश वकील ने कहा कि गायचोर ओर गोरखे के खिलाफ आरोप है कि एल्गार परिषद कार्यक्रम के दौरान दोनों ने एक नाटक का मंचन किया था, जिसकी स्क्रिप्टर की वजह से शांति भंग हुई और माहौल खराब हुआ। वकील ने कहा दोनों ने जांच एजेंसी को पूरा सहयोग किया, इसलिए उन्हें हिरासत में रखे जाने की कोई ठोस वजह नहीं है। 

सरकार की आलोचना करना, राष्ट्रद्रोह नहीं

दोनों की ओर से पेश वकील ने कहा कि आरोप लगाया जाता है कि एल्गार परिषद में जो कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए वे राष्ट्रद्रोह से प्रेरित था। लेकिन सरकार की आलोचना करना देशद्रोह कैसे है। उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना करना उनका पूरा अधिकार है। 

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