न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Wed, 01 Dec 2021 10:48 PM IST
सार
आरएसएस के वरिष्ठ नेता और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने बुधवार को मुसलमानों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बात की। उन्होंने सीएए-एनआरसी और तीन तलाक पर कानून को सही ठहराया और मदरसों में दीनी तालीम के साथ अन्य शिक्षाएं शामिल करने की भी अपील की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने देश के उलेमाओं से कहा है कि मदरसों में मजहबी तालीम के साथ कौशल विकास, कंप्यूटर और अन्य शिक्षाएं भी दी जाएं। कुमार ने कहा कि मदरसों में गैर कानूनी गतिविधियों को अंजाम देकर कुछ लोग पूरे इस्लाम का नाम खराब करने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त रुख अपनाए जाने की जरूरत है।
शिक्षा की अहमियत पर जोर देते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि माता-पिता को चाहिए कि भले ही खुद आधे पेट रहें लेकिन अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा जरूर उपलब्ध कराएं। इसके साथ ही उन्होंने सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) की तरफदारी भी की। उन्होंने आश्वासन दिया कि सीएए और एनआरसी के जरिए दूसरे देशों के सताए हुए अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
सीएए-एनआरसी का किया समर्थन
इंद्रेश कुमार ने कहा, असम और देश के कई राज्य दूसरे देशों की सीमाओं से जुड़ते हैं जो भारत में घुसपैठ कर हिंसा और आतंक का माहौल बनाना चाहते हैं। इसी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एनआरसी की कवायद शुरू की थी। संघ नेता ने कहा कि एक समय बांग्लादेश में लगभग 30 फीसदी हिंदू थे लेकिन आज मात्र नौ फीसदी रह गए हैं। एक सहिष्णु देश होने के कारण भारत में ऐसे लोगों को भी नागरिकता मिलनी चाहिए।
पाकिस्तान के पीएम को दी नसीहत
वहीं, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की निंदा करने पर इंद्रेश कुमार ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने इमरान खान को अपनी सीमा में रहने की नसीहत देते हुए सवाल किया कि क्या दुनिया के मुसलमानों के लिए अयोध्या का राम मंदिर कोई समस्या है? उन्होंने कहा कि जब कोरोना महामारी फैली थी तो भारत ने मालदीव और बांग्लादेश जैसे कई देशों की धर्म की परवाह किए बिना मदद की थी।
तीन तलाक कानून पर कही ये बात
इसके अलावा तीन तलाक पर कानून को लेकर इंद्रेश कुमार ने कहा कि इस कानून से देश की मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है। लोगों ने इस्लाम के सही अर्थ को भी समझा है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में तीन तलाक जैसी चीजों को सही नहीं माना जाता है। इस पर कानून के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की मुहिम औरतों को इंसाफ और बच्चों को उनका अधिकार दिलाने के लिए था, जिसे लोगों ने खुले दिल से स्वीकार किया है।
विस्तार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने देश के उलेमाओं से कहा है कि मदरसों में मजहबी तालीम के साथ कौशल विकास, कंप्यूटर और अन्य शिक्षाएं भी दी जाएं। कुमार ने कहा कि मदरसों में गैर कानूनी गतिविधियों को अंजाम देकर कुछ लोग पूरे इस्लाम का नाम खराब करने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त रुख अपनाए जाने की जरूरत है।
शिक्षा की अहमियत पर जोर देते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि माता-पिता को चाहिए कि भले ही खुद आधे पेट रहें लेकिन अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा जरूर उपलब्ध कराएं। इसके साथ ही उन्होंने सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) की तरफदारी भी की। उन्होंने आश्वासन दिया कि सीएए और एनआरसी के जरिए दूसरे देशों के सताए हुए अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
सीएए-एनआरसी का किया समर्थन
इंद्रेश कुमार ने कहा, असम और देश के कई राज्य दूसरे देशों की सीमाओं से जुड़ते हैं जो भारत में घुसपैठ कर हिंसा और आतंक का माहौल बनाना चाहते हैं। इसी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एनआरसी की कवायद शुरू की थी। संघ नेता ने कहा कि एक समय बांग्लादेश में लगभग 30 फीसदी हिंदू थे लेकिन आज मात्र नौ फीसदी रह गए हैं। एक सहिष्णु देश होने के कारण भारत में ऐसे लोगों को भी नागरिकता मिलनी चाहिए।
पाकिस्तान के पीएम को दी नसीहत
वहीं, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की निंदा करने पर इंद्रेश कुमार ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने इमरान खान को अपनी सीमा में रहने की नसीहत देते हुए सवाल किया कि क्या दुनिया के मुसलमानों के लिए अयोध्या का राम मंदिर कोई समस्या है? उन्होंने कहा कि जब कोरोना महामारी फैली थी तो भारत ने मालदीव और बांग्लादेश जैसे कई देशों की धर्म की परवाह किए बिना मदद की थी।
तीन तलाक कानून पर कही ये बात
इसके अलावा तीन तलाक पर कानून को लेकर इंद्रेश कुमार ने कहा कि इस कानून से देश की मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है। लोगों ने इस्लाम के सही अर्थ को भी समझा है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में तीन तलाक जैसी चीजों को सही नहीं माना जाता है। इस पर कानून के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की मुहिम औरतों को इंसाफ और बच्चों को उनका अधिकार दिलाने के लिए था, जिसे लोगों ने खुले दिल से स्वीकार किया है।
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