सार
सिंगापुर व मलेशिया के बचाव पोत शनिवार तक यहां पहुंचेंगे। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, रूस, भारत और तुर्की की सेना ने भी मदद की पेशकश की है।
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इस बीच, सिंगापुर व मलेशिया के बचाव पोत शनिवार तक यहां पहुंचेंगे। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, रूस, भारत और तुर्की की सेना ने भी मदद की पेशकश की है।
बता दें कि डीजल चालित ‘केआरआई नांग्गला 402’ पनडुब्बी बुधवार को उस समय लापता हो गई जब यह प्रशिक्षण अभ्यास पर थी। अधिकारियों ने बताया कि बाली द्वीप से 96 किलोमीटर उत्तर में जिस स्थान पर आखिरी समय पनडुब्बी ने पानी में गोता लगाया था, वहां पर तेल का रिसाव और डीजल की गंध मिली है।
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस तेल का संबंध लापता पनडुब्बी से ही है या नहीं। इंडोनेशियाई नौसेना ने कहा कि उसे लगता है यह पनडुब्बी 600 से 700 मीटर की गहराई में डूबी है जो 200 मीटर गहराई के पूर्व के अनुमान से अधिक है।
दक्षिण कोरियाई कंपनी ‘देउ शिपबिल्डिंग एंड मरीन इंजीनियरिंग’ के अधिकारी गुक हेयाने ने कहा कि अधिकतर पनडुब्बियां 200 मीटर से अधिक गहराई पर जाने की स्थिति में पानी के दबाव की वजह से नष्ट हो जाती हैं।
ज्यादा गहराई में चली गई पनडुब्बी
ऑस्ट्रेलियाई पनडुब्बी संस्थान के सचिव फ्रैंक ओवन ने अनुमान जताया कि पनडुब्बी बचाव दल के अभियान से कहीं अधिक गहराई में चली गई है।
उन्होंने कहा, अधिकतर बचाव प्रणाली केवल 600 मीटर तक की गहराई पर काम करने के लिए है। वे उससे गहरे जा सकते हैं क्योंकि उनके डिजाइन में सुरक्षा के अतिरिक्त उपाय होते हैं लेकिन वे उसे पंप नहीं कर सकते और उससे जुड़ी अन्य प्रणालियों को चला नहीं सकते हैं। वे गहराई में जिंदा रह सकते हैं लेकिन जरूरी नहीं कि पनडुब्बी का परिचालन कर सकें।