न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Fri, 14 Jan 2022 08:31 AM IST
सार
भारत में पिछले साल अप्रैल-जून में 2,40,000 लोगों की मौत कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की वजह से हुई थी। इस वैरिएंट ने आर्थिक हालातों को भी प्रभावित किया था।
कोरोना वायरस से मौतें
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
‘वैश्विक आर्थिक हालात एवं संभावनाएं'(डब्ल्यूईएसपी) फ्लैगशिप रिपोर्ट में कहा गया गया है कि कोरोना के बेहद संक्रामक ओमिक्रॉन स्वरूप के कारण संक्रमण की नई लहर चल पड़ी है। इसलिए यह महामारी एक बार फिर से आर्थिक हालातों और इंसानों को प्रभावित कर सकती है।
वैश्विक सहयोग के बिना महामारी से निपटना असंभव
संयुक्त राष्ट्र में आर्थिक और सामाजिक मामलों की अवर महासचिव लियू झेनमिन ने कहा कि कोविड-19 से निपटना वैश्विक सहयोग के बिना संभव नहीं है। जब तक वैक्सीन सभी तक नहीं पहुंचेगी, तब तक महामारी वैश्विक अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी रहेगी। भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक 154.6 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। कोरोना की दूसरी लहर ने देशभर में कहर बरपाया था।
अमेरिका में मचा हालाकार
संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट तब सामने आई है, जब अमेरिका में ओमिक्रॉन वैरिएंट विकराल रूप धारण कर चुका है। हालात ये हो गए हैं कि कई राज्यों में मेडिकल ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है और व्हाइट हाउस को कई प्रांतों में सेना को उतारना पड़ा है। जानकारी के मुताबिक, अमेरिका में गुरुवार को अस्पतालों में पिछले 24 घंटे अंदर 1,42,388 मरीज भर्ती किए गए। हालात बेकाबू होते देखकर राष्ट्रपति जो बाइडन ने मिशिगन, न्यूजर्सी, न्यू मेक्सिको, न्यूयॉर्क, ओहायो और रॉड आईलैंड के अस्पतालों में मदद के लिए सैनिक रवाना किए हैं।