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आशंका: घरेलू वित्तीय हालात आने वाले महीनों में सख्त रहेंगे, जानें रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने क्यों कही ये बात

आशंका: घरेलू वित्तीय हालात आने वाले महीनों में सख्त रहेंगे, जानें रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने क्यों कही ये बात

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Tue, 19 Apr 2022 10:03 PM IST

सार

Crisil Report On Domestic Financial Conditions: मंगलवार को जारी क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया कि रिजर्व बैंक की उदार मौद्रिक नीति राहत देने वाली है, लेकिन बढ़ती महंगाई से केंद्रीय बैंक आने वाले समय में अपना रुख बदल सकता है। रिपोर्ट में घरेलू जोखिमों में खासतौर से कच्चे तेल की कीमतों का जिक्र किया गया है।
 

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रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि बढ़ते बाहरी झटकों और घरेलू जोखिमों के चलते आने वाले महीनों में घरेलू वित्तीय हालात सख्त रहेंगे। रिपोर्ट में इस स्थिति में पूंजी निकासी बढ़ने की आशंका जताई गई है। 

रिपोर्ट में कहा गया कि वित्तीय स्थिति सूचकांक (एफसीआई) मार्च में शून्य अंक से नीचे चला गया, जो घरेलू वित्तीय स्थितियों में गिरावट को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक और अन्य प्रमुख बैंकों ने अपनी कर्ज की दरों में बढ़ोतरी की है, जिसके चलते ऋण लागत में वृद्धि देखने को मिलेगी। क्रिसिल के अनुसार, ऐसी स्थिति में हालांकि, चालू खाते के घाटे (कैड) को कम करने और विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के उपायों से देश किसी भी बाहरी झटके से निपटने में सक्षम रहेगा।

गौरतलब है कि क्रिसिल का वित्तीय स्थिति सूचकांक देश की वित्तीय हालात की महीनेवार जानकारी साझा करता है। इसके लिए रेटिंग एजेंसी नीति और उधारी शर्तों के साथ ही इक्विटी, ऋण, धन और विदेशी मुद्रा बाजारों के 15 प्रमुख मापदंडों का विश्लेषण करती है। मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि रिजर्व बैंक की उदार मौद्रिक नीति राहत देने वाली है, लेकिन बढ़ती महंगाई से केंद्रीय बैंक आने वाले समय में अपना रुख बदल सकता है। रिपोर्ट में घरेलू जोखिमों में खासतौर से कच्चे तेल की कीमतों का जिक्र किया गया है।

विस्तार

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि बढ़ते बाहरी झटकों और घरेलू जोखिमों के चलते आने वाले महीनों में घरेलू वित्तीय हालात सख्त रहेंगे। रिपोर्ट में इस स्थिति में पूंजी निकासी बढ़ने की आशंका जताई गई है। 

रिपोर्ट में कहा गया कि वित्तीय स्थिति सूचकांक (एफसीआई) मार्च में शून्य अंक से नीचे चला गया, जो घरेलू वित्तीय स्थितियों में गिरावट को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक और अन्य प्रमुख बैंकों ने अपनी कर्ज की दरों में बढ़ोतरी की है, जिसके चलते ऋण लागत में वृद्धि देखने को मिलेगी। क्रिसिल के अनुसार, ऐसी स्थिति में हालांकि, चालू खाते के घाटे (कैड) को कम करने और विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के उपायों से देश किसी भी बाहरी झटके से निपटने में सक्षम रहेगा।

गौरतलब है कि क्रिसिल का वित्तीय स्थिति सूचकांक देश की वित्तीय हालात की महीनेवार जानकारी साझा करता है। इसके लिए रेटिंग एजेंसी नीति और उधारी शर्तों के साथ ही इक्विटी, ऋण, धन और विदेशी मुद्रा बाजारों के 15 प्रमुख मापदंडों का विश्लेषण करती है। मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि रिजर्व बैंक की उदार मौद्रिक नीति राहत देने वाली है, लेकिन बढ़ती महंगाई से केंद्रीय बैंक आने वाले समय में अपना रुख बदल सकता है। रिपोर्ट में घरेलू जोखिमों में खासतौर से कच्चे तेल की कीमतों का जिक्र किया गया है।

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